लखनऊ (ब्यूरो)। मार्डन मेडिसिन के दौर में आयुर्वेद एक बार फिर अपना लोहा मनवा रहा है। केजीएमयू के डेंटल विभाग में आयुर्वेद दवा को लेकर ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस यानि मुंह के कैंसर के शुरुआती लक्षणों वाले मरीजों में ट्रायल किया गया, जिसके काफी सकारात्मक नतीजे मिले हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि इस तरह के कई मरीज ओपीडी में दिखाने आते हैं। ऐसे में, अगर किसी का मुंह नहीं खुल रहा है, तो उसे एक बार केजीएमयू आकर जरूर दिखाना चाहिए। शुरुआती लक्षण नजर आने पर ट्रीटमेंट मिल जाये, तो काफी फायदा मिलता है।

ओरल कैंसर में बदलने की संभावना
केजीएमयू के ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल विभाग के प्रो। यूएस पाल ने बताया कि ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस मुंह की ऐसी बीमारी है जिनके ओरल कैंसर में बदलने की संभावना अधिक होती है। इसमें शुरुआत में मुंह खुलना कम हो जाता है। ऐसे कई मरीज केजीएमयू में दिखाने आते हैं। खासतौर पर जो लोग मसाला, तंबाकू खाते हैं, उनका मुंह नहीं खुलता है। इसी को लेकर भारत सरकार को एक प्रपोजल बनाकर भेजा था, जिसके बाद आयुष विभाग से कई आयुर्वेदिक दवाएं दी हैं, जो ऐसे मरीजों को फ्री दी जाती हैं।

मरीजों के दो ग्रुप बनाये गये
डॉ। पाल आगे बताते हैं कि ट्रायल के लिए दो ग्रुप बनाये गये हैं। एक ग्रुप को एलोपैथिक स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट दिया गया। दूसरे ग्रुप को एलोपैथिक व आयुर्वेदिक दवा दी गई। करीब 100 के आसपास मरीजों को फ्री में दवा दी जा चुकी है। इस दवा में घी, हल्दी और यष्टी मधु आदि समेत कई दवाएं दी गईं। मरीजों को हल्दी और यष्टी मधु को घी में मिलाकर लेप लगाने को कहा जाता है। वहीं, पाउच में जो लेप बच जाता है, उसे गर्म पानी में उबालकर आधा होने पर कुल्ला करने या पीने को कहा जाता है।