BARABANKI: बाराबंकी सिर्फ सूफी संतों की तपोस्थली ही नहीं है। यहां के महाभारतकालीन शिव मंदिर न केवल श्रद्धा के केंद्र हैं बल्कि राष्ट्रीय जिज्ञासा का विषय भी। यहां स्थित देश का एकमात्र पारिजात वृक्ष अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वनस्पति विज्ञानियों के लिए जिज्ञासा का विषय है। साल भर कहीं न कहीं मेलों का सिलसिला चलता रहता है। लाखों श्रद्धालु आते हैं परंतु यहां के धर्मस्थल देश के पर्यटन मानचित्र पर नहीं हैं। इन स्थानों से सुविधाएं भी नदारद हैं।
वादे तो बहुत किये पर काम नहीं
इन धर्मस्थलों के पर्यटन विकास का वादा सांसद ने जीतने से पहले ही यहां के लोगों ने किया था। अब जबकि वे सांसद बन चुकी हैं उनके समक्ष सबसे बड़ी चुनौती देश के पर्यटन मानचित्र पर बाराबंकी को स्थापित करने की है। बाराबंकी का लोधेश्वर महादेव मंदिर व कुंतेश्वर महादेव मंदिर महाभारतकालीन माना जाता है। यह दोनों मंदिर देश के शिवभक्तों के लिए श्रद्धा का केंद्र हैं। यहां कांवडि़यों की भीड़ उमड़ती है, लेकिन इन मंदिरों की ओर जाने वाले रास्ते इतने खराब हैं कि पहुंचने में शरीर के सारे कलपुर्जे ढीले पड़ जाते हैं। राज्य सेक्टर से महादेवा में खुला मंच व गेस्ट हाउस के निर्माण का प्रस्ताव है। इस पर कार्य शुरू नहीं हो सका। मां कुंती के कुंतेश्वर महादेव मंदिर का सौंदर्यीकरण भी प्रस्तावित है। पारिजात के लिए पर्यटन विभाग ने एक करोड़ ब्क् लाख रुपये का प्रस्ताव बनाया था। इस पर भी अमल नहीं हुआ।
नहीं मिली मंजूरी
कोटवाधाम मंदिर के सौंदर्यीकरण और यहां स्थित विशाल तालाब के लिए केंद्रीय योजना में प्रस्ताव भेजा गया था। इस प्रस्ताव को भी अभी तक मंजूरी नहीं मिल सकी है। देवा शरीफ राजधानी से सटा हुआ है। यहां के पर्यटन विकास के लिए इसे सूफी सर्किट से जोड़ने की योजना थी। घोषणाएं कई बार हुई, लेकिन अमल नहीं हुआ। त्रिलोकपुर के प्रसिद्ध जैन मंदिर के सौंदर्यीकरण का प्रस्ताव भी राज्य सेक्टर से किया गया था। इस पर भी मंजूरी नहीं मिली। मसौली में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन स्थल को क्0 लाख रुपये की लागत से विकसित करने का प्रस्ताव भी धरा रह गया। महादेवा में तीन करोड़ की योजनाएं परवान नहीं चढ़ सकीं।
पर्यटन विकास की योजनाएं
महादेवा - तीन करोड़
कोटवाधाम - क्भ् लाख
पारिजात - एक करोड़ 7क् लाख
इसरौली सिद्धौर शिवस्थल - क्0 लाख
ब्रम्हचारी आश्रम - क्0 लाख
नागेश्वर नाथ मंदिर - क्ख् लाख
रफी अहमद किदवई की मजार - क्0 लाख
भुइंहारे बाबा का सौंदर्यीकरण - पांच लाख
कबीर विशाल कल्याण कुंज - क्0 लाख
मझगवां शरीफ - क्0 लाख
दुर्गा प्रतिमा विसर्जन स्थल - क्0 लाख
बूढ़े बाबा की मजार - क्0 लाख
भगहर झील का सौंदर्यीकरण - ब्ख् लाख
कुरुक्षेत्र आश्रम - क्0 लाख
टीकाराम बाबा - क्0 लाख
औसानेश्वर महादेव - क्भ् लाख
इनसेट-पर्यटन विकास के सुझाव
-महादेवा, पारिजात व देवा शरीफ को अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर शामिल करना
-धर्मस्थलों की ओर जाने वाले मार्गो का निर्माण
-पर्यटन पुस्तिका में जिले के धर्मस्थलों को शामिल करना
-अच्छे होटल व पर्यटक गृहों का निर्माण
-सौंदर्यीकरण के बाद नियमित देखभाल की व्यवस्था करना
-पर्यटन स्थलों के आसपास अच्छे पार्को का विकास
-झील व तालाबों की नियमित देखभाल व लाइट व फव्वारों की व्यवस्था
पर्यटक चाहते हैं मूलभूत सुविधाएं
जिले की जिन पर्यटन स्थलों के लिए विकास व सुंदरीकरण की योजनाएं बनीं वहां पानी, बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं भी नदारद हैं। पर्यटक और श्रद्धालु चाहते हैं कि उन्हें वहां ठहरने की सुविधा भी मिल सके। इसके लिए उन्हें पैसा खर्च करने में भी गुरेज नहीं है। सबसे बड़ी समस्या नियमित विद्युत आपूर्ति की है।