लखनऊ (ब्यूरो)। लखनऊ का बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पेलियोसाइंस (बीएसआईपी) 2027 में इंटरनेशनल यूनियन फॉर क्वाटरनेरी रिसर्च (आईएनक्यूए) की मेजबानी करेगा। यह विज्ञान के क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिकों के अलावा पूरे शहर और देश के लिए गौरव की बात है। आईएनक्यूए की स्थापना 1928 में हुई थी, दुनियाभर के कई देशों के 21 शहरों में आईएनक्यूए की कांग्रेस हो चुकी है। पहली बार भारत इसकी मेजबानी करने जा रहा है। इंटरनेशनल यूनियन फॉर क्वाटरनेरी रिसर्च से कई वैज्ञानिक विषयों के सदस्य जुड़े हैं, जो बीते 2.6 मिलियन वर्षों में हिमयुग के दौरान हुए पर्यावरणीय परिवर्तनों का अध्ययन करते हैं। यह विशेषज्ञ बदलती जलवायु के कारणों को समझने के लिए जलवायु परिवर्तनों के समय और पैटर्न का दस्तावेजीकरण करते हैं।

बीएसआईपी ने जीती बोली

रोम में चल रही कांग्रेस में बीएसआईपी ने 58 देशों को पीछे छोड़ दिया। इससे पहले साल 2019 में भी मेजबानी के लिए बोली लगाई थी, लेकिन रोम, इटली से हार गया था। बीएसआईपी की निदेशक वंदना प्रसाद ने इस उपलब्धि को गर्व का विषय बताया। उनके मुताबिक, यह सम्मेलन उन युवा शोधार्थियों व स्टूडेंट्स के लिए, जो जलवायु परिवर्तन को लेकर काम कर रहे हैं, बहुत उपयोगी रहेगा। आईएनक्यूए के लिए आईआईटी रुड़की के प्रो। प्रदीप श्रीवास्तव को अध्यक्ष, एनसीपीओआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ। राहुल उपाध्याय को उपाध्यक्ष और बीएसआईपी की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ। बिनीता फर्तियाल को आयोजन का सचिव नियुक्त किया गया है।

यहां हो चुकी है कॉन्फ्रेंस

कोपेनैंहेगन 1928

लेनिनग्राद सेंट पीटर्सबर्ग 1932

वियना 1936

रोम 1953

मैड्रिड 1957

वारसॉ 1961

बोल्डर 1965

पेरिस 1969

क्राइस्टचर्च 1973

बर्मिंघम 1977

मॉस्को 1982

ओटावा 1987

बीजिंग 1991

बर्लिन 1995

डरबन 1999

रेनो 2003

केर्न्स 2007

बर्न 2011

नागोया 2015

डबलिन 2019

रोम 2023