- विभूतिखंड पुलिस ने क्वेडा एक्सप्रेस सिटी हाउसिंग सोसाइटी के पांच अधिकारियों को दबोचा

- पूर्वाचल एक्सप्रेस-वे पर जमीन दिलाने का देते थे झांसा

-आरोपितों के पास से तीन लक्जरी कार समेत फर्जी दस्तावेज बरामद

LUCKNOW: एक प्लाट की बुकिंग पर दूसरा फ्री देने एवं निवेश किए गए रुपयों को वर्ष भर में दोगुना करने के नाम पर दो सौ से अधिक लोगों से करीब 75 करोड़ की ठगी करने वाले गिरोह के पांच लोगों को विभूतिखंड पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इनके पास से तीन लक्जरी कार, स्वाइप मशीन, एटीएम कार्ड, लैपटाप, जमीन संबंधी फर्जी दस्तावेज, रबर की 18 मोहरें सहित अन्य सामान बरामद हुआ है।

यह दबोचे गये

गिरफ्तार आरोपित क्वेडा एक्सप्रेस-वे कंपनी के अधिकारी तौलकपुर कादीपुर सुलतानपुर निवासी रजनीश मौर्या, कप्तानगंज देऊरपुर आजमगढ़ निवासी आनंद, उतरौलिया इसहाकपुर आजमगढ़ निवासी बृजेश कुमार यादव, सिधारी आजमगढ़ निवासी संजय और खामपार सौरेजी देवरिया निवासी संतोष पटेल हैं। वहीं, कंपनी के डायरेक्टर रेखचंद्र मौर्य, रमा यादव, अनिल यादव, मिनाक्षी तिवारी, पूनम तिवारी, आनंद मौर्या व अरुणेश प्रताप सिंह की तलाश में दबिश दी जा रही है।

अलग-अलग नाम से खोली थीं आठ कंपनियां

एडीसीपी पूर्वी सैय्यद मोहम्मद कासिब आब्दी के मुताबिक इन लोगों ने क्वेडा एक्सप्रेस सिटी समेत करीब आठ हाउसिंग कंपनियां अलग-अलग नामों से खोल रखीं थीं। ये लोग पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर लोगों को प्लाट दिलाने का झांसा देते थे। जालसाजों ने क्वेडा एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड, क्वेडा डेवलपर्स, केडी जियो इंश्योरेंस वेब एग्रीमेंट प्राइवेट लिमिटेड, केडीएल मेट्रो सिटी, रियल टाइम ग्रोथ मल्टी ट्रेड, क्वेडा बिजनेस सल्यूशन, क्वेडा कोटन और क्वेडा ग्रीन सिटी के नाम से कंपनियां खोल रखीं थीं।

रायबरेली निवासी प्रदीप की शिकायत पर हुआ राजफाश

इंस्पेक्टर चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि क्वेडा एक्सप्रेस-वे प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के खिलाफ गुरुवार को रायबरेली निवासी प्रदीप कुमार ने तहरीर दी थी। प्रदीप ने बताया कि फेसबुक के माध्यम से उन्हें कंपनी के बारे जानकारी मिली थी। इसके बाद वह प्लाट की खरीद के लिए गोमतीनगर के विनम्रखंड स्थित क्वेडा कंपनी के दफ्तर पहुंचे। कंपनी के लोगों ने उन्हें एक्सप्रेस-वे पर साइट दिखाई और 2.30 लाख रुपये देकर प्लाट बुक कराया। इतना ही नहीं उन्हें कंपनी ने एक प्लाट मुफ्त में देने का आफर दिया। रुपये जमा करने के बाद जब उन्हेंने साइट का नक्शा मांगा तो कंपनी टाल मटोल करने लगी। कंपनी के अधिकारी जब उन पर 75 फीसद रकम जमा कर प्लाट की रजिस्ट्री कराने का दबाव बनाने लगे तो उन्हें कुछ शक हुआ। इसके बाद जब उन्होंने साइट की पूरी जानकारी जुटाई, तो उन्हें ठगी का पता चला इसके बाद उन्होंने तहरीर देकर मुकदमा दर्ज कराया।