लखनऊ (ब्यूरो)। ग्रामीण व शहरी क्षेत्र के अस्पतालों में मिडवाइफ को प्रशिक्षित किया जाए। सामान्य व जटिल प्रसव के बीच अंतर व लक्षणों की जानकारी दी जाये। इससे सामान्य प्रसव को बढ़ावा मिलेगा। बड़े अस्पतालों से मरीजों का दबाव कम होगा। मातृ एवं शिशु मृत्युदर के आंकड़ों में कमी लाने में मदद मिलेगी। ये बातें डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने शुक्रवार को पीजीआई में सोसाइटी ऑफ मिडवाइफ के वार्षिक अधिवेशन के दौरान बताईं।

20 फीसदी तक लाया जा सकता है ऑपरेशन प्रतिशत

कार्यक्रम के दौरान नर्सिंग कालेज की प्रो। शबाना खातून ने बताया कि आज करीब 50-60 फीसदी प्रसव ऑपरेशन से हो रहे हैं। इसको 20 फीसदी तक लाया जा सकता है। मिडवाइफ और नर्सेज पेल्विक रीजन को मजबूत करने के लिए कई तरह की कसरत बताती हैं। इसके अलावा किसमें ऑपरेशन की जरूरत है, अंदाजा लगा लेती हैं। ऑपरेशन के कारण परिवारों की आर्थिक स्थिति को भी प्रभावित करते हैं। आधुनिक जीवन शैली भी ऑपरेशन प्रक्रिया से प्रसव के चलन को बढ़ावा दे रही हैं। ऑपरेशन में कई दिन तक जटिलता रहती है। कई राज्य में तो मिडवाइफ और नर्सेज प्रसव तक करा रही हैं। इससे डॉक्टर पर भार कम हो रहा है।

बर्थिंग बाल व्यायाम से टल सकता है सिजेरियन

गर्भावस्था के दौरान बर्थिंग बॉल का उपयोग करने से पेल्विक, कमर और पैरों की मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद मिलती है। एक्सरसाइज करने से बच्चे के जन्म के दौरान काफी मदद मिल सकती है। ऐसे में ऑपरेशन करने की प्रक्रिया से बचा जा सकता है। इसके प्रति लोगों को जागरूक करने की जरूरत है।

रियल टाइम वेबसाइट पर मिलेगी हीमोफीलिया की जानकारी

राज्य में हीमोफीलिया देखभाल प्रदान करने के लिए रियल टाइम वेब आधारित वेबसाइट का शुभारंभ किया गया। यह डिजिटल प्लेटफॉर्म राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र, भारत सरकार ने विकसित किया है। इसका उद्धाटन शुक्रवार को पीजीआई में हीमोफीलिया अपडेट आयोजन के दौरान डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने किया।

मुफ्त में मिल रही दवा

हीमोफिलिया एक दुर्लभ ब्लीडिंग विकार है। इससे पुरुष सबसे ज्यादा पीडि़त होते हंै। इस बीमारी से पीडि़त मरीजों में रक्त का थक्का नहीं जमने से जोड़ों में अत्यधिक रक्तस्राव होने लगता है और बाद में चोट लगती है। जो कई मरीजों के लिए घातक हो जाता है। इसका एकमात्र इलाज एंटी-हीमोफीलिया फैक्टर (एएचएफ) देना होता है, लेकिन यह दवा भारत में न बनने से बेहद महंगी मिलती है। जिसके कारण कई मरीज महंगा इलाज का खर्च नहीं उठा पाते हैं। जिसको देखते हुए 2009 में प्रदेश सरकार ने इन रोगियों को मुफ्त एएचएफ प्रदान करने का प्रावधान किया। यह राज्य में हीमोफीलिया केयर प्रोग्राम की शुरुआत थी। हीमोफीलिया उपचार केंद्रों की संख्या 8 से बढ़ाकर 26 एचटीसी की गई। इसके लिए हेमेटोलॉजी विभाग स्टेट नोडल सेंटर है। यह जानकारी हिमेटोलॉजी विभाग के प्रमुख एवं नोडल प्रो। राजेश कश्यप ने दी।