लखनऊ (ब्यूरो)। पेट और आंत संबंधी बिमारियों में पहले एंडोस्कोपी से आंत का पानी निकालने के बाद कल्चर किया जाता है, जिसमें काफी समय लग जाता है। पर अब मोबाइल और एक छोटे से कैप्सूल की मदद से यह काम कुछ ही समय हो सकेगा। दरअसल, आस्ट्रेलिया की एक कंपनी ने गैस सेंसिंग कैप्सूल तैयार किया है, जिसका ट्रायल अमेरिका और यूरोप में सफल न होने के बाद पीजीआई ने अपने हाथों में लिया। जहां अबतक 200 से अधिक मरीजों पर इसका सफल ट्रायल किया जा चुका है, जिससे आंत के मूवमेंट से लेकर होने वाली बीमारियों का पता लगाकर सटीक इलाज किया जा सकेगा।

पीजीआई में सफल ट्रायल

संजय गांधी पीजीआई के गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग के एचओडी प्रो। यूसी घोषाल ने बताया कि वल्र्ड गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी आर्गेनाइजेशन द्वारा दुबई में एक कांग्रेस का आयोजन था। वहां कई नई टेक्नोलॉजी लांच की गईं। इनमें गैस सेंसिंग कैप्सूल टेक्नोलॉजी भी शामिल थी, जिसका ट्रायल करने के लिए हमारा संस्थान आगे आया। इसको मरीज द्वारा खाया जाता है। यह गले, पेट और आंत से होता हुआ अपने आप शौच के बाद बाहर आ जाता है। इस दौरान यह हर मूवमेंट, गैस और बैक्टीरियल लोड के बारे में जानकारी स्टोर करता है, जो बाहर से कनेक्टेड मोबाइल में सभी जानकारी भेजता है।

तीन स्टेज पर देगा सूचना

प्रो। घोषाल के मुताबिक, दिसंबर में इसकी टेस्टिंग शुरू हुई और 200 से अधिक मरीजों पर इसकी टेस्टिंग की जा चुकी है। कैप्सूल शरीर के अंदर जाने के बाद तीन बातों का पता चलेगा। सबसे पहले, मुंह से अंदर जाने और शौच के रास्ते बाहर आने के दौरान तापमान क्या-क्या रहा। दूसरा, खाना पचने के बाद हाईड्रोजन गैस की मात्रा कितनी बनी और तीसरा पीएच यानि एसिड लेवल कितना है। इससे पता चलेगा कि कब खाना पेट से छोटी आंत से होता हुआ बड़ी आंत में गया और कितनी मात्रा में गैस बनी। इससे पूरी आंत के हर मूवमेंट का पता चलेगा।

बैक्टीरियल लोड का पता चलेगा

इसका फायदा यह होगा कि आंत के अंदर का जूस निकालने का जो तरीका है, उससे बैक्टिरियल लोड का पता लगेगा। इससे आंत की बीमारियों का सटीक इलाज किया जा सकेगा। कोई भी साइड इफेक्ट न होने के साथ-साथ इससे जानकारी बहुत जल्द हासिल की जा सकती है, जिसके आधार पर रिपोर्ट जल्द तैयार की जा सकती है।