- 11 बच्चे निमोनिया से मर रहे हर घंटे
- 10 परसेंट मरीज रोजाना ओपीडी में आ रहे
- 90 परसेंट मरीज बढ़ गए हैं
हेडिंग- सर्दी में बढ़ रहा निमोनिया का सितम
- निमोनिया के साथ डायरिया का भी खतरा
- वैक्सीन को लेकर ज्यादा जागरूक करने की जरूरत
द्यह्वष्द्मठ्ठश्र2@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ
रुष्टयहृह्रङ्ख : राजधानी में ठंड बढ़ने के साथ मासूमों में निमोनिया का खतरा बढ़ता जा रहा है। गवर्नमेंट हॉस्पिटल में निमोनिया के पेशेंट बढ़ने लगे हैं। इसके साथ वायरल डायरिया के केसेस भी बढ़ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में हर घंटे निमोनिया से 11 बच्चे मर रहे हैं। वर्ष 2017-18 में करीब 78 हजार 470 की मौत निमोनिया के कारण हुई थी। डॉक्टर्स का कहना है कि ऐसे मौसम में बच्चों को विशेष ख्याल रखना चाहिये।
बढ़ रहे हैं निमोनिया के केसेस
डफरिन अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ। सलमान खान के अनुसार सर्दी-खांसी के साथ निमोनिया और डायरिया के 5 से 10 परसेंट बच्चे रोजाना ओपीडी में आ रहे हैं। इसके अलावा बच्चों को सांस लेने की तकलीफ होने पर पैरेंट्स इसे नजरअंदाज न करें। वहीं सिविल हॉस्पिटल के चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ। एपी पांडेय के अनुसार मौसम में बदलाव के कारण कॉमन कोल्ड के केसेस 80-90 परसेंट तक बढ़ गये हैं। जिनमें 2-4 केसेस निमोनिया और इतने ही डायरिया के आ रहे हैं।
वैक्सीनेशन करवाना जरूरी
आईडीएसपी की नोडल इंचार्ज डॉ। शीतल वर्मा ने बताया कि निमोनिया 1 साल से कम उम्र और 65 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। निमोनिया और रोटावायरस से होने वाली डायरिया के लिए वैक्सीनेशन मौजूद है, लेकिन इसके बारे में लोगों को ज्यादा जागरूक करने की जरूरत है। इससे निमोनिया के खतरे को टाला जा सकता है। सभी गवर्नमेंट हॉस्पिटल में इसका वैक्सीनेशन मौजूद है। अभी इसके लिए कोई सर्विलांस सिस्टम नहीं है। ऐसे में सर्विलांस सिस्टम बनाने से इसको कंट्रोल करने में मदद मिलेगी।
खतरनाक है निमोनिया
डॉ। शीतल वर्मा के अनुसार निमोनिया फेफड़े का एक संक्रमण है। आमतौर पर निमोनिया कई कारणों से होता है, जिनमें बैक्टीरिया, वायरस और फंगल प्रमुख कारण हैं। निमोनिया का सही इलाज नहीं होने से मल्टीपल आर्गेन फेलियर तक होने का खतरा बना रहता है। इस बात का विशेष ध्यान रखें खुद से कोई एंटी-बॉयोटिक्स या इलाज नहीं करना चाहिये। इससे कई बार पता नहीं चलता कि क्या बीमारी है।
निमोनिया के लक्षण
- तेज सांसे चलना
- खांसी
- 10 दिनों से ज्यादा बुखार होना
- शरीर में दर्द
- सांस लेने में प्रॉब्लम
बरतें सावधानियां
- छींक या खांसी आने पर मुंह ढक लें
- संक्रमित व्यक्ति के कपड़े, रुमाल का प्रयोग न करें
- अपने हाथों को अच्छी तरह से धोएं
- ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए ताकि डिहाइड्रेशन न हो
- बच्चों को पूरा ढंककर रखे
- नवजात को 6 माह तक दूध पिलाएं
कोट
सर्दी के मौसम में छोटे बच्चों में निमोनिया होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है इसलिए इस मौसम में बच्चों को विशेष ध्यान रखना चाहिये। खुद से इलाज करने से बचना चाहिये।
डॉ। शीतल वर्मा, आईडीएसपी, नोडल इंचार्ज