लखनऊ (ब्यूरो)। एलडीए के चीफ इंजीनियर इंदु शेखर सिंह 30 जून को रिटायर होने वाले थे लेकिन गुरुवार को अर्थात रिटायरमेंट से सात दिन पहले ही उन्हें शासन ने अनियमितता के आरोपों की जांच के बाद हटा दिया। फिलहाल उन्हें आवास बंधु से संबद्ध किया गया है और उनके स्थान पर नए चीफ इंजीनियर की तैनाती के आदेश भी जारी कर दिए गए हैैं।

इन मामलों को लेकर हुई कंपलेन

इंदु शेखर ङ्क्षसह वर्ष 2017 से एलडीए में चीफ इंजीनियर के पद पर तैनात हैं। उनके खिलाफ एक शिकायत पर विजिलेंस जांच हुई थी। जांच रिपोर्ट के बाद मंडलायुक्त रंजन कुमार ने 29 मार्च को इंदु शेखर सिंह के खिलाफ कार्रवाई के लिए अपर मुख्य सचिव गृह को पत्र लिखा था। चीफ इंजीनियर के खिलाफ शारदानगर योजना के अंतर्गत रक्षाखंड एल्डिको-2 स्थित प्राकृतिक झील के सुंदरीकरण और गोमतीनगर विस्तार योजना के सेक्टर-सात में अवस्थापना सुविधाओं के निर्माण में आमंत्रित ई-टेंडर को अनियमित रूप से स्वीकृत करने की शिकायत हुई थी। चीफ इंजीनियर के खिलाफ नरेश राजपूत ने पिछले साल 29 अक्टूबर को ई-टेंडर में अनियमितता करने और अवैध तरीके से संपत्ति अर्जित करने की भी शिकायत की थी।

28 जनवरी को आख्या भेजी गई

कंपलेन को लेकर एलडीए वीसी अक्षय त्रिपाठी ने 18 नवंबर को सचिव व अपर सचिव की दो सदस्यीय कमेटी से जांच कराई थी। जांच पूरी कर 28 जनवरी को आख्या शासन को भेजी गई थी। शिकायत में आरोप लगा था कि चीफ इंजीनियर इंदु शेखर ने प्राकृतिक झील के बायो इंजीनियरिंग तकनीक से सुंदरीकरण का 4.83 करोड़ रुपये का कार्य मेसर्स शिवांश वेंचर्स को दे दिया। यह कार्य फर्जी अनुभव के आधार पर दिया गया। मेसर्स शिवांश वेंचर्स की सहयोगी फर्म शिवम लाइट हाउस को गोमतीनगर विस्तार के सेक्टर सात में ईएमएएआर व ओमेक्स के आसपास 45 मीटर चौड़ी सड़कों पर छह करोड़ रुपये के अवस्थापना निर्माण का कार्य दिया गया था। आरोप लगा कि इस फर्म ने ई-टेंडर में हिस्सा ही नहीं लिया था। प्राकृतिक झील के सुंदरीकरण के लिए 20 जुलाई 2020 से 18 मार्च 2021 तक पांच बार निविदा आमंत्रित की गई। इसके बाद 13 सितंबर 2021 को जब निविदा आमंत्रित की गई तो उसमें पांच कंपनियों ने हिस्सा लिया था। तीन फर्म तकनीकी बिड में अयोग्य ठहरा दी गईं। अंत में शिवांश वेंचर प्राइवेट लिमिटेड और पाल बिल्डर्स टेंडर की दौड़ में रह गईं। दोनों ही फर्मों ने सड़क व नाली निर्माण के अनुभव का प्रमाण पत्र लगाया। जांच में पता चला कि दोनों ही फर्मों के पास बायो इंजीनियङ्क्षरग से सुंदरीकरण का कोई अनुभव नहीं है। मेसर्स शिवांश वेंचर प्राइवेट लिमिटेड ने मेसर्स शिवांश कंस्ट्रक्शन के नाम से लगाया गया। जांच में फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र लगाने का आरोप सही साबित हुआ।

सादे पेपर किए अपलोड

गोमतीनगर विस्तार में अवस्थापना निर्माण के लिए 7.22 करोड़ रुपये की टेंडर प्रक्रिया के दौरान मेसर्स शिवम लाइट हाउस ने 21 अगस्त 2021 को एलडीए को एक पत्र दिया। इसमें कहा गया कि ई-टेंडर के लिए स्कैन करते समय तकनीकी खराबी से सादे कागज अपलोड हो गए हैं। निविदा में पेपर की छायाप्रति को स्वीकार करने का प्रार्थना पत्र दिया गया। इसे चीफ इंजीनियर ने स्वीकार कर लिया। शिकायत में कहा गया कि ई-निविदा में निविदा अपलोड होने के बाद कोई भी प्रपत्र लेने का प्रविधान नहीं है।