लखनऊ (ब्यूरो)। मियावाकी प्लांटेशन शहर के लिए लंग्स की तरह काम करेंगे। यह शहर की हवा को स्वच्छ रखेंगे। पर्यावरण को भी बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे। एनबीआरआई संस्थान ने बंथरा में एक हजार स्कावयर मीटर में मियावाकी स्टाइल से डेंस फॉरेस्ट डिवेलप करने का प्रयास सराहनीय है।

संस्थान के प्रयासों को सराहा

गुरुवार को सीएसआईआर-एनबीआरआई में चल रहे वन वीक वन लैब प्रोग्राम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने संस्थान को उसके प्रयासों के लिए सराहा। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के चलते कृषि एवं किसानों पर पड़ने वाले प्रभावों पर चिंता जाहिर करते हुए उत्पादन व उत्पादकता को बढ़ाने, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को देखते हुए भविष्य के लिए योजनाबद्ध तरीके से समाधान तलाशने, आर्सेनिक के कृषि पर दुष्प्रभावों के समाधान की दिशा में हल खोजने से लेकर पुष्प कृषि वं फूलों के भंडारण की दिशा में आने वाली समस्याओं पर समाधान खोजने की बात कही। जलवायु परिवर्तन, सूक्ष्जीवी एवं पर्यावरणीय प्रौद्योगिकियां पर अनुसंधान एवं विकास प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया। उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यावरण एवं वन माननीय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ। अरुण कुमार सक्सेना विशिष्ट अतिथि रहे। उन्होंने किसानों और शोधों के बीच की दूरी को कम करने की बात भी कही।

तीन एमओयू हुए साइन

संस्थान ने तीन एमओयू पर साइन किया। पहला कृषि विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार के साथ संस्थान ने विकसित माइक्रोबियल प्रौद्योगिकियों के उपयोग पर, दूसरा मैसर्स एग्रीफोर्ट प्रा। लिमिटेड के साथ देश के किसानों तक संस्थान की प्रौद्योगिकियों को पहुंचाने व तीसरा उत्तर प्रदेश वन विभाग के साथ काम करने के लिए है। साथ ही राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद (एनसीवीईटी) की ओर से उद्योगों के लिए ग्रीनबेल्ट विकासविषयक हरित कौशल विकास प्रमाणपत्र कार्यक्रम का संस्थान द्वारा विकसित पाठ्यक्रम मैनुअल वर्शन 3.0 को भी जारी किया गया। संस्थान के निदेशक डॉ। एके शासनी ने भी कार्यक्रम के बारे में बताया। इस मौके पर संस्थान के वैज्ञानिक, क्लाइमेट चेंज को लेकर हुए सेमिनार में एक्सपर्ट के साथ शोध छात्र समेत कई लोग मौजूद रहे।