लखनऊ (ब्यूरो)। स्वच्छता सर्वेक्षण 2023 की अग्निपरीक्षा शुरू हो चुकी है। इस बार लखनऊ समेत सभी शहरों के लिए स्वच्छता परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करना खासा चुनौती भरा होगा। इसकी एक वजह यह है कि एक तो इस बार इस परीक्षा में स्कोरिंग के अंक पिछली बार हुई परीक्षा के मुकाबले दो हजार अधिक कर दिए गए हैैं, वहीं शहरों की संख्या भी 4500 से अधिक रहेगी। इस बार स्वच्छता के साथ वेस्ट कलेक्शन और उसके निस्तारण पर विशेष फोकस किया गया है और इस बिंदु में सबसे अधिक अंक भी रखे गए हैैं।

तीन अलग-अलग सेक्टर बांटे गए

इस स्वच्छता परीक्षा में कुल 9500 अंकों की स्कोरिंग रखी गई है। इसके लिए तीन अलग-अलग सेक्टर बांटे गए हैैं। पहला सेक्टर प्रमाणीकरण से जुड़ा हुआ है। जिसमें कचरा मुक्त शहर और ओडीएफ को शामिल किया गया है। वहीं सिटीजन वॉयस में नागरिक अनुभव, नागरिक जुड़ाव, शिकायत निवारण और नवाचार और सर्वोत्तम अभ्यास शामिल है। इसी तरह सेवा स्तर प्रगति में वेस्ट को अलग-अलग किया जाना, उसका निस्तारण और सफाई मित्र सुरक्षा शामिल है।

इस तरह हैैं अंक

1250 अंक कचरा मुक्त शहर

1250 ओडीएफ

975 अंक नागरिक अनुभव

600 अंक नागरिक जुड़ाव

700 अंक शिकायत निवारण

200 अंक नवाचार

1750 अंक वेस्ट पृथक्कीकरण के

1830 अंक वेस्ट निपटान

945 अंक सफाई मित्र सुरक्षा

मुख्य फोकस

44 प्रतिशत फोकस वेस्ट कलेक्शन एवं निपटान पर

25 प्रतिशत स्वच्छता एवं सफाई मित्र सुरक्षा पर

16 प्रतिशत फोकस शिकायत निस्तारण पर

वर्ष 2016 में शुरू हुई थी परीक्षा

वर्ष 2016 में स्वच्छता परीक्षा की शुरुआत हुई थी। पहली परीक्षा में केवल 73 शहर शामिल हुए थे। वर्ष 2017 में 434 शहर, 2018 में 4203 शहर, 2019 में 4237 शहर, 2020 में 4242 शहर, 2021 में 4320 शहर और 2022 में 4355 शहर शामिल हुए थे। इस बार अभी शहरों की संख्या फाइनल नहीं हुई है, लेकिन इतना साफ है कि 4500 के करीब शहर शामिल किए जा सकते हैैं।

चार चरणों में परीक्षा की प्रक्रिया होगी

स्वच्छता सर्वेक्षण की परीक्षा चार चरणों में पूरी होगी। पहले चरण में सभी चार त्रैमासिक प्रगति का मूल्यांकन किया जाएगा। दूसरे चरण में चयनित संकेतकों का नागरिकों द्वारा सत्यापन किया जाएगा और तीसरे चरण में सुविधाओं का जमीनी स्तर पर मूल्यांकन किया जाएगा।

पिछली बार 5 रैैंकिंग का नुकसान

स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 के परिणाम में राजधानी लखनऊ को रैैंकिंग में पांच स्थानों का नुकसान उठाना पड़ा था। यह नुकसान घैला में लगे वेस्ट के ढेरों के कारण हुआ था। कमोवेश इस बार भी स्थिति ऐसी ही है। स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 में जहां लखनऊ पूरे देश में 12वें स्थान पर था, वहीं 2022 में रैैंकिंग 17 रही थी। हालांकि, राहत की बात यह थी कि सिटीजन फीडबैक मामले में लखनऊ की स्थिति बेहतर मानी गई थी।

इस बार ये हैैं चुनौतियां

वेस्ट कलेक्शन-वर्तमान समय में सिर्फ 40 फीसदी घरों से ही वेस्ट कलेक्ट हो रहा है। इस लक्ष्य को फिलहाल 100 फीसदी तक नहीं पहुंचाया जा सकता है, लेकिन कम से कम 70 फीसदी तक करना होगा।

घैला डंपिंग प्वाइंट-घैला में अभी तक लाखों टन वेस्ट के ढेर लगे हुए हैैं। पिछली बार इसकी वजह से लखनऊ नगर निगम के अंक कटे थे और इस बार भी अंक कटने का खतरा है।

पब्लिक फीडबैक सिस्टम-इस बिंदु पर जरूर नगर निगम बेहतर स्कोर कर सकता है। पब्लिक फीडबैक सिस्टम एक्टिव है, जिसके माध्यम से जनता की निगम से जुड़ी समस्याओं को दूर किया जा रहा है।

वेस्ट परिवहन-कमोवेश वेस्ट परिवहन की स्थिति बेहतर है, लेकिन इस बिंदु पर अभी काम किया जाना जरूरी है। कई बार देखने में आता है कि एनजीटी नियमों की अनदेखी करके वेस्ट परिवहन किया जाता है।

स्वच्छता-प्रमुख मार्गों पर तो सफाई व्यवस्था बेहतर है, लेकिन गली मोहल्लों में कई बार स्थिति चिंताजनक हो जाती है। नगर निगम को वार्डों में स्वच्छता सिस्टम बेहतर करने पर जोर देना होगा।

पब्लिक जागरूकता-नगर निगम को पब्लिक जागरूकता पर फोकस करना होगा। इसकी वजह यह है कि कई बार सफाई अभियान चलने के बाद स्थानीय लोगों की ओर से उक्त प्वाइंट पर ही वेस्ट फेंक दिया जाता है। जिससे स्वच्छता पर दाग लगता है।

ओपन डंपिंग प्वाइंट्स-राजधानी में पहले जहां 300 से अधिक ओपन डंपिंग प्वाइंट्स थे, लेकिन अब यह संख्या 30 से भी कम रह गई है। ऐसे में साफ है कि इस बिंदु पर भी नगर निगम बेहतर स्कोर कर सकता है।

केंद्र से आएंगी टीमें

राजधानी में स्वच्छता परीक्षा से जुड़े बिंदुओं का कितना अनुपालन हो रहा है, इसका आंकलन करने के लिए केंद्र से टीमें आएंगी। केंद्र की टीमों द्वारा किए जाने वाले आंकलन के आधार पर ही निगम लखनऊ को अंक दिए जाएंगे, जिससे ओवरऑल रैैंकिंग फाइनल होगी।