- एसपी नॉर्थ ने जांच में सीओ अवनीश मिश्र को भी लचर पैरवी का पाया दोषी

गायत्री की मदद में जुटी थीं सीओ अमिता सिंह!

- जांच रिपोर्ट एसएसपी को सौंपी, कार्रवाई की तैयारी

LUCKNOW:

गायत्री प्रजापति और उसके गुर्गो पर गैंगरेप, रेप की कोशिश और पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज मुकदमे की जांच में शुरुआती दोनों विवेचकों ने आरोपियों को बचाने की भरसक कोशिश की। पूरे मामले में दोनों विवेचकों की भूमिका की जांच कर रहे एसपी नॉर्थ अनुराग वत्स ने उन्हें दोषी पाया और इसकी रिपोर्ट एसएसपी को सौंप दी है। एसएसपी ने कार्रवाई के लिये जांच रिपोर्ट आईजी को भेजने की बात कही है।

क्लीनचिट देने की तैयारी थी

सूत्रों के मुताबिक, एसपी नॉर्थ ने सीओ अमिता सिंह द्वारा की गई विवेचना की छानबीन की तो पता चला कि उसमें पीडि़ता द्वारा लगाए गए आरोपों के पक्ष में उन्होंने एक भी सुबूत जुटाने की कोशिश नहीं की। पीडि़ता द्वारा बताए गए घटनास्थल की नक्शा नजरी तक नहीं बनाई और न ही पीडि़ता को साथ ले जाकर घटनास्थल का निरीक्षण ही किया। उलटे उन्होंने गायत्री व उसके गुर्गो के पक्ष में तमाम तथ्य प्रस्तुत कर दिये। सूत्रों ने बताया कि सीओ अमिता सिंह ने केस डायरी में गायत्री के मोबाइल की सीडीआर की प्रमाणित कॉपी भी शामिल नहीं की। यहां तक कि पीडि़ता की मेडिकल जांच तक कराने की जरूरत नहीं समझी। इतना ही नहीं, उन्होंने गायत्री और तमाम आरोपियों की पत्‍ि‌नयों तक के बयान दर्ज कर लिये, जिसमें उन्होंने आरोपियों को निर्दोष बताया था। सीओ अमिता ने पीडि़ता की नाबालिग बेटी को भी जबरन चित्रकूट से लाकर उसके बयान दर्ज कराए। वहीं, आरोपों-प्रत्यारोपों के बाद जब विवेचना सीओ हजरतगंज अवनीश मिश्र को मिली तो उन्होंने गायत्री की जमानत पर सुनवाई के दौरान केस डायरी लेकर खुद ही कोर्ट पहुंच गए। जिसके बाद गायत्री व उसके दो गुर्गो अमरेंद्र सिंह पिंटू और विकास वर्मा को जमानत मिल गई थी। एसपी नॉर्थ ने जांच में पाया कि सीओ अवनीश मिश्र अपने पर्यवेक्षण अधिकारी एसपी पूर्वी को बिना बताए ही केस डायरी लेकर कोर्ट जा पहुंचे थे। जिसके चलते जांच में उन्हें भी जमानत की सुनवाई के दौरान लचर पैरवी का दोषी माना गया। एसपी नॉर्थ ने अपनी रिपोर्ट एसएसपी को सौंप दी है।

यह था मामला

बीती 18 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गायत्री प्रजापति और उसके गुर्गो के खिलाफ थाना गौतमपल्ली में गैंगरेप, रेप की कोशिश, पॉक्सो एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। मामले की पीडि़ता का आरोप था कि मौरंग का पट्टा दिलाने के नाम पर गायत्री व उसके गुर्गो ने गैंगरेप किया। वहीं, उसकी नाबालिग बेटी से भी रेप की कोशिश की। मामले की विवेचना तत्कालीन सीओ आलमबाग अमिता सिंह को सौंपी गई। दो महीने की जांच में पीडि़ता ने कई बार उन पर धमकाने और बयान बदलने के लिये दबाव डालने का आरोप लगाया। सीओ अमिता के खिलाफ पीडि़ता की बेटी को अगवा करने की एफआईआर भी चित्रकूट कोतवाली मे दर्ज कराई गई। आखिरकार मामले की जांच सीओ अमिता से ट्रांसफर कर सीओ हजरतगंज अवनीश मिश्र को सौंपी गई। पर, सीओ मिश्र भी अधिकारियों को अनदेखा करते हुए गायत्री की जमानत अर्जी की सुनवाई के दौरान मामले की केस डायरी लेकर खुद ही कोर्ट जा पहुंचे। जिसके आधार पर गायत्री को जमानत भी मिल गई। इससे हुई फजीहत के बाद आखिरकार एसएसपी दीपक कुमार ने मामले की जांच के लिये सीओ चौक राधेश्याम राय के नेतृत्व में एसआईटी का गठन कर दिया। इसके अलावा सीओ अमिता सिंह व सीओ अवनीश मिश्र की पूरे मामले में भूमिका को लेकर एसपी नॉर्थ को जांच सौंप दी थी।

एसपी नॉर्थ द्वारा की गई जांच की रिपोर्ट मुझे प्राप्त हो गई है। इसे आगे की कार्रवाई के लिये उच्चाधिकारियों को प्रेषित किया जा रहा है।

दीपक कुमार

एसएसपी, लखनऊ