- पावर कारपोरेशन ने नियामक आयोग को लिखा पत्र
- स्लैब परिवर्तन पर निर्णय आम जनता की सुनवाई एवं आपत्तियों पर करेगा निर्भर
LUCKNOW पावर कारपोरेशन द्वारा मनमाने तरीके से स्लैब परिवर्तन कर गरीब बिजली उपभोक्ताओं की बिजली दरों में गुपचुप बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव देने के बाद पुन: नियामक आयोग पहुंचकर आयोग से यह अनुरोध किया कि उनके द्वारा दिया गया स्लैब परिवर्तन वर्ष 2019-20 की टैरिफ के आधार पर बिना बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव है इसलिये जो बिजली कंपनियों का गैप है, उस पर नियामक आयोग स्वत: निर्णय ले। पावर कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक द्वारा समाचार पत्रों में विज्ञापन के पहले कुछ शर्त के लिये एक पत्र आयोग को कल सौंपा गया। आयोग ने पावर कारपोरेशन की मांग को खारिज करते हुये यह आदेशित कर दिया कि बिजली कंपनियों द्वारा प्रस्तावित स्लैब परिवर्तन पर अनुमोदन आम जनता की सुनवाई के बाद ही तय किया जायेगा। तुरंत समाचार पत्रों में विज्ञापन छपवाया जाये, जिससे आम जनता उस पर अपनी आपत्ति दाखिल कर सके।
आम उपभोक्ताओं के साथ धोखा
उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 62 (3) का उल्लंघन कर बनाये गये भार व वोल्टेज घटक के अनुसार स्लैब परिवर्तन पर पावर कारपोरेशन सुनवाई के पहले ही मोहर लगवाना चाहता है, जिस पर आयोग द्वारा अनुमोदन न देना यह दर्शाता है कि पावर कारपोरेशन असंवैधानिक परिपाटी अपना रहा है जो आम उपभोक्ताओं के साथ धोखा है। बिजली कंपनियों ने अपने स्लैब परिवर्तन में वाणिज्यक विद्युत उपभोक्ताओं के फिक्स्ड चार्ज में बदलाव करते हुये अब यह प्रस्तावित कर दिया है कि 4 किलोवाट तक जो फिक्स्ड चार्ज 330 रु। प्रति किलोवाट प्रति माह है, अब उसे 360 रु। प्रति किलोवाट प्रति माह प्रस्तावित किया जाता है। मतलब एक बार फिर से चोर दरवाजे से वाणिज्यक उपभोक्ताओं के फिक्सड चार्ज में प्रति किलोवाट 30 रु। की बढ़ोत्तरी प्रस्तावित की गई है।