- उच्च शिक्षा विभाग ने सभी स्टेट यूनिवर्सिटी के कुलसचिवों को भेजा निर्देश

- यूजी कोर्सेस के अंतिम वर्ष में अनिवार्य रूप से कौशल विकास को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा

LUCKNOW: प्रदेश की सभी यूनिवर्सिटी में अब कॉमन सिलेबस पढ़ाया जाएगा। इसका फायदा उन स्टूडेंट्स को होगा जो बीच सेशन में दूसरी यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले लेते हैं। इसके लिए सरकार ने यूनिवर्सिटी के कुलसचिव को प्रस्ताव भेज दिया है। अपर सचिव और कमेटी के संयोजक सचिव डॉ। आरके चतुर्वेदी ने ऑर्डर जारी कर इसे लागू करने का आदेश दिया है।

70 प्रतिशत सिलेबस होगा कॉमन

इस संबंध में प्रदेश सरकार ने सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी कपिलवस्तु के वीसी प्रो। सुरेंद्र दुबे की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति का गठन किया था। समिति ने अपनी रिपोर्ट शासन को भेज दी है, सिसके बाद शासन ने कमेटी के प्रस्तावों को यूनिवर्सिटी में लागू करने का आदेश दिया है। कमेटी ने सिफारिश की कि सभी यूनिवर्सिटी का सिलेबस 70 प्रतिशत कॉमन किया जाए। इसके अलावा कमेटी ने यूनिवर्सिटी को 30 प्रतिशत सिलेबस स्थानीय जरूरतों के हिसाब से कोर्स में शामिल करने को कहा है। साथ ही कोर्स में 80 प्रतिशत मूल्यांकन बाहर के परीक्षकों और 20 प्रतिशत मूल्यांकन अपने यहां के परीक्षकों से कराने की सिफारिश की है।

यूजी के लास्ट ईयर में कौशल विकास कोर्स

कमेटी ने यूजी के लास्ट ईयर में स्टूडेंट्स को कौशल विकास का सिलेबस पढ़ाने की सिफारिश की है। सब्जेक्ट में सिलेबस संबंधित निर्णय यूनिवर्सिटी अपने स्तर पर ले सकेगी। वहीं कोर्स में स्टूडेंट्स को कौशल विकास का सिलेबस चुनने के लिए तीन विकल्प दिए जाएंगे। इसके साथ स्टूडेंट्स को तीन महीने की इंडस्ट्री ट्रेनिंग दी जाएगी। इससे यूनिवर्सिटी कोर्स में ऐसे सिलेबस को शामिल नहीं कर सकेगी, जिसमें इंडस्ट्री ट्रेनिंग का विकल्प न हो।

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पहले भी तैयार हो चुका है कॉमन सिलेबस

इसे पहले वर्ष 2011 में ऐसे ही कमेटी का गठन किया गया था, जिसमें 57 सब्जेक्ट का कामन सिलेबस तैयार करने की मंजूरी दी गई थी। उस समय एलयू प्रशासन ने इसे लागू करने से इंकार कर दिया था। उनका कहना था कि उनके यहां जो सिलेबस पढ़ाया जा रहा है वह कॉमन सिलेबस की तुलना में काफी एडवांस है। ऐसे में एक बार फिर इसे लागू करने में समस्या हो सकती है।