लखनऊ (ब्यूरो)। एक बार फिर से बिजली कंपनियों की ओर से प्रदेशभर के बिजली उपभोक्ताओं को महंगी बिजली का झटका देने की तैयारी शुरू कर दी गई है। बिजली कंपनियों की ओर से इस वर्ष के लिए 13 से 15 प्रतिशत तक बिजली दर वृद्धि किए जाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। बिजली कंपनियों की ओर से इसी सप्ताह इस प्रस्ताव को नियामक आयोग में सब्मिट करने की तैयारी भी कर ली गई है। वहीं दूसरी तरफ, उपभोक्ता परिषद की ओर से दर वृद्धि के विरोध में लामबंदी तेज कर दी गई है।

तीन साल से कवायद

पिछले तीन साल से बिजली कंपनियों की ओर से बिजली दरों में वृद्धि किए जाने का प्रयास किया जा रहा है। पिछले तीन सालों में बिजली कंपनियों की ओर से जो दर वृद्धि संबंधी प्रस्ताव तैयार किया गया था, वो पांच से छह प्रतिशत ही था लेकिन इस बार यह आंकड़ा 13 से 15 प्रतिशत तक है। जिससे खुद अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर यह प्रस्ताव पास हो गया तो बिजली उपभोक्ताओं पर कितना भार पड़ेगा। हालांकि, उपभोक्ता परिषद का साफ कहना है कि किसी भी सूरत में दर वृद्धि नहीं होने दी जाएगी। इसके लिए उनकी तरफ से कई बिंदुओं पर तैयारियां कर ली गई हैैं।

दाखिल होना चाहिए यह प्रस्ताव

प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर निकल रहे 25133 करोड़ सरप्लस के एवज में बिजली कंपनियों को कानूनन बिजली दरों में अगले 5 वर्षों तक 7 प्रतिशत की कमी का प्रस्ताव दाखिल करना चाहिए, लेकिन वहीं उसके विपरीत बिजली कंपनियां इसी सप्ताह में वार्षिक राजस्व आवश्यकता के साथ ही साथ बिजली दरों में बढ़ोत्तरी प्रस्ताव दाखिल करने की तैयारी में हैं। उपभोक्ता परिषद का मानना है कि इस बार बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं को राहत देने के बजाय उनकी बिजली दरों में औसत लगभग 13 प्रतिशत से 15 प्रतिशत तक बढ़ोत्तरी के लिए प्रस्ताव दाखिल करने की तैयारी में लगी हुई हैैं। सबसे चौंकाने वाला मामला यह है कि बिजली कंपनियों को यह लग रहा है कि वह अपने गैप को पूरा करने के लिए बिजली दरों में बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव देकर वास्तविक लाइन हानियां अधिक है के आधार पर वितरण हानियां बढ़ाकर प्रस्ताव दाखिल कर देंगी और आयोग इस प्रस्ताव को मान लेगा, जबकि ऐसा बिल्कुल होने वाला नहीं है।

उपभोक्ता परिषद ने तैयारी पूरी की

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि उपभोक्ता परिषद द्वारा पहले से ही बिजली दरों में कमी के लिए आयोग में याचिका दाखिल की जा चुकी है और जिस पर आयोग ने पावर कारपोरेशन से जवाब तलब किया था और पावर कारपोरेशन ने आयोग के सामने जो जवाब सौंपा है कि उपभोक्ता परिषद द्वारा बिजली कंपनियों पर निकल रहे 25135 करोड़ के मामले पर बिजली कंपनियों की तरफ से अपीलेट ट्रिब्यूनल में मुकदमा दाखिल किया जा चुका है, इसलिए बिजली दरों में कमी के प्रस्ताव को स्थगित रखा जाए। सवाल यह उठता है कि जब तक अपीलीय ट्रिब्यूनल द्वारा उस पर कोई भी स्टे ऑर्डर अथवा अंतरिम आदेश नहीं किया गया है तो उस आधार पर किसी कार्रवाई को कैसे रोका जा सकता है और यदि बिजली दरों में कमी के प्रस्ताव को स्थगित करने की बात पावर कारपोरेशन कर रहा है तो वह कैसे भूल सकता है कि वह बिजली दरों में बढ़ोत्तरी के लिए प्रस्ताव कैसे दाखिल करने जा रहा है।