लखनऊ (ब्यूरो)। भले ही बिजली कंपनियों की ओर से दिए गए बिजली दर संबंधी प्रस्ताव को नियामक आयोग की ओर से सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया गया हो, लेकिन उपभोक्ता परिषद की लामबंदी से साफ है कि उपभोक्ताओं को महंगी बिजली का करंट नहीं लगेगा।

उपभोक्ताओं की आपत्तियां आमंत्रित

प्रदेश की बिजली कंपनियों द्वारा विद्युत नियामक आयोग में दाखिल 18 से 23 प्रतिशत बिजली दरों में बढ़ोतरी प्रस्ताव पर जहां विज्ञापन जारी होने के बाद नियामक आयोग आदेशानुसार उपभोक्ताओं की आपत्तियां आमंत्रित की जा रही है वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने शुक्रवार को विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह से मुलाकात की और प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं की बिजली दरों में कमी के लिए उपभोक्ता परिषद की दाखिल याचिका पर कार्रवाई शुरू करने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर सरप्लस लगभग 25,133 करोड़ रुपये निकल रहा है, ऐसे में बिजली दरों में बढ़ोतरी पर सुनवाई किया जाना जनहित में रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के खिलाफ है।

सात दिन में रिपोर्ट तलब की

पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के सचिव संजय कुमार सिंह ने उपभोक्ता परिषद द्वारा दाखिल लोक महत्व जनहित याचिका प्रस्ताव पर पावर कारपोरेशन के निदेशक कमर्शियल एवं मुख्य अभियंता रेगुलेटरी अफेयर्स यूनिट से सात दिन में विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। जिसके बाद प्रदेश की बिजली कंपनियों की बिजली दरों में बढ़ोतरी प्रस्ताव पर एक बार फिर उल्टी गिनती शुरू हो गई है। उपभोक्ता परिषद ने इस बार अपनी याचिका में यह भी गंभीर सवाल उठाया है कि प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं की बिजली दरों में कमी को रोकने के लिए पावर कारपोरेशन का बार-बार यह कहना की कारपोरेशन की तरफ से अपटेल में मुकदमा दाखिल किया गया है, इससे कार्रवाई नहीं रोकी जा सकती क्योंकि अभी तक मुकदमे में ना तो कोई स्टे आर्डर है और ना ही कोई अंतरिम आदेश। ऐसे में अब समय आ गया है विद्युत नियामक आयोग को उपभोक्ताओं की बिजली दरों में कमी करनी चाहिए।

35 प्रतिशत बिजली दरें होंगी कम

उपभोक्ता परिषद ने अपनी याचिका में पावर कारपोरेशन की वित्तीय स्थिति को देखते हुए यह अनुरोध भी किया है कि प्रदेश की बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं की जो सरप्लस रकम निकल रही है, यदि पूरे रकम के बराबर बिजली दरें कम की जाएंगी तो लगभग एक साथ 35 प्रतिशत बिजली दरों में कमी होगी। ऐसे में अगले पांच वर्षों तक प्रदेश के सभी बिजली उपभोक्ताओं की बिजली दरों में सात प्रतिशत की कमी का आदेश विद्युत नियामक आयोग को जारी करना चाहिए।