- पिछले साल की तुलना में कहीं कम मिले स्वाइन फ्लू के मरीज
- हालांकि मिले मरीजों में मौत का प्रतिशत इस बार रहा ज्यादा
LUCKNOW: कोरोना काल में इस बार राजधानी में स्वाइन फ्लू का असर अधिक नहीं दिखाई दिया। 2019 की तुलना में 2020 में कहीं कम स्वाइन फ्लू के मामले सामने आए। हालांकि जो स्वाइन फ्लू के मरीज मिले, उनमें पिछले साल की तुलना में मृत्यु दर अधिक दिखाई दी। डॉक्टर्स का कहना है कि कोरोना को देखते हुए लोग काफी सतर्क थे, जिस कारण स्वाइन फ्लू का प्रकोप इस बार ज्यादा नहीं दिखाई दिया।
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क्या है स्वाइन फ्लू
स्वाइन फ्लू एच1एन1 वायरस के फैलने से होता है। बुखार, जुकाम, उल्टी, बदन दर्द आदि इसके लक्षण हैं। स्वाइन फ्लू के केस अधिकतर सर्दी के दौरान सामने आते हैं। इस बीमारी से बड़ी संख्या में लोगों की मौत भी हो जाती है।
इस बार कम मिले मरीज
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो राजधानी में 2019 में 2096 लोगों में इसके संक्रमण की पुष्टि हुई थी और 37 मरीजों की स्वाइन फ्लू से जान चली गई थी। मृत्यु दर 1.77 फीसद रही थी। वहीं 2020 में सिर्फ 252 लोग इस संक्रमण का शिकार हुए और 12 मरीजों की स्वाइन फ्लू के कारण मौत हुई। मृत्यु दर 4.76 फीसद रही।
कोरोना बनी बड़ी वजह
स्वाइन फ्लू के मामलों में कमी का एक बड़ा कारण कोरोना भी रहा। कोरोना के चलते काफी समय तक इसकी टेस्टिंग बंद रही और बाद में जांचें हुई तो वे भी बहुत कम। दूसरा कारण यह भी रहा कि लोग मास्क पहनकर निकलते रहे और एक-दूसरे से पर्याप्त दूरी भी बनाए रहे। जिसके कारण स्वाइन फ्लू का संक्रमण कम फैला।
इस बार वार्ड भी नहीं बने
हर साल स्वाइन फ्लू को देखते हुए स्पेशल वार्ड तैयार किए जाते थे लेकिन इस बार कोरोना के चलते वार्ड तो बनाए गए लेकिन उन्हें कुछ दिनों बाद ही खत्म कर दिया गया। अस्पताल प्रशासन के मुताबिक स्वाइन फ्लू के मरीज ही नहीं आ रहे थे, इसलिए स्वाइन फ्लू के लिए बनाए गए वार्डो को खत्म कर दिया गया। जबकि 2020 मार्च तक ही राजधानी में 40 से अधिक लोगों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हो चुकी थी।
कोट
पिछले साल से स्वाइन फ्लू के मामलों में काफी कमी देखी गई। लोगों के मास्क पहनने और एक दूसरे से पर्याप्त दूरी बनाए रखने से इस बार संक्रमण ज्यादा नहीं फैला।
डॉ। केपी त्रिपाठी, एसीएमओ
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किस तरह कम हुए केस
साल मरीज मौत मृत्युदर
2019 2096 37 1.77 प्रतिशत
2020 252 12 4.76 प्रतिशत