- कोरोना काल में छात्रवृत्ति बांटने पर अब सीएम करेंगे फैसला

- समाज कल्याण विभाग ने सीएम को भेजी फाइल

LUCKNOW: कोरोना काल का असर गरीब छात्र-छात्राओं की छात्रवृत्ति पर पड़ सकता है। सरकार इस साल छात्रवृत्ति देने पर रोक लगा सकती है। इसका कारण बजट की कमी के साथ कुछ और दिक्कतें भी हैं। हालांकि इस पर अंतिम फैसला सीएम योगी आदित्यनाथ लेंगे। समाज कल्याण विभाग ने वर्तमान वित्तीय वर्ष में छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति देने या न देने का फैसला लेने के लिए फाइल सीएम के पास भेज दी है।

हर साल 57 लाख को छात्रवृति

प्रदेश में समाज कल्याण विभाग, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग व पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग हर साल 57 लाख से अधिक छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति देते हैं। सरकार छात्रवृत्ति में होने वाले घोटालों पर लगातार अंकुश लगा रही है। इसके लिए कई कड़े नियम भी बनाए हैं। कोरोना काल में उन नियमों का पालन नहीं हो पा रहा है। सरकार को इसमें ढील देनी पड़ेगी। कक्षाओं में 75 फीसद उपस्थिति के नियम में भी बदलाव करना होगा। साथ ही पाठ्यक्रम के लिए एनबीए (नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रीडिटेशन) व नैक (नेशनल असेसमेंट एंड एक्रीडिटेशन काउंसिल) की अनिवार्यता भी इस साल स्थगित करनी होगी। ऐसे में छात्रवृत्ति में घपला होने की भी आशंका जताई जा रही है।

नियमों में ढील देने का प्रस्ताव

छात्रवृत्ति देने के लिए कई और नियमों में ढील देने के लिए उच्च स्तरीय बैठक प्रस्तावित है। इस बीच बजट की कमी के कारण वित्त विभाग इस साल छात्रवृत्ति योजना को स्थगित करने का सुझाव दे रहा है। चूंकि पहले चरण की छात्रवृत्ति दो अक्टूबर को बांटी जाती है। इसलिए समाज कल्याण विभाग ने दिशा-निर्देश मांगे हैं। वर्तमान वित्तीय वर्ष में छात्रवृत्ति बांटने या न बांटने के लिए निर्णय लेने के लिए फाइल मुख्यमंत्री के पास भेज दी गई है। वहां से निर्णय होने के बाद विभाग आगे कार्रवाई करेगा।