लखनऊ (ब्यूरो)। नवरात्र के चौथे दिन शुक्रवार को मां आद्या शक्ति के कूष्मांडा स्वरूप की पूजा-अर्चना की गई। देवी मंदिरों में सुबह से ही भक्तों का पहुंचना जारी रहा। वहीं, घरों में भी लोगों ने विधि-विधान से मां की पूजा की। मंदिर परिसर मां के जयघोषों से गूंजते रहे। इस दौरान मां का विशेष श्रृंगार और महाआरती का आयोजन किया गया।

भक्तों ने गाए माता के गीत

मां के भक्तों द्वारा घरों में हवन-पूजन भी किया गया। महिलाओं द्वारा माता के मंगल गीत गाये गये और परिवार की मंगल कामना की। घरों में मां को भोग भी लगाया गया, जिसे बाद में परिजनों में प्रसाद के तौर पर बांटा गया। मंदिरों में तड़के महाआरती के बाद कपाट भक्तों के दर्शनों के लिए खोल दिए गए। मां के भक्त लंबी कतारों में हाथों में पूजा की थाली लिए अपनी-अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। इस दौरान पूरा मंदिर परिसर जय माता दी, जय मां दुर्गा के जयघोष से गूंज उठा।

गरुड़ पर सवार हो मां ने दिए दर्शन

चौपटिया स्थित संदोहन देवी मंदिर में मां गरुड़ पर सवार हुईं। इस दौरान मां का गुलाबी वस्त्रों से भव्य श्रृंगार किया गया। ठाकुरगंज स्थित मां पूर्वी देवी मंदिर में मां का कूष्मांडा स्वरूप में श्रृंगार किया गया। मंदिर को फूलों से सजाया गया। कुम्हड़े अर्पण करने के साथ प्रसाद में केला व खोया चढ़ाया गया। शास्त्री नगर स्थित दुर्गा मंदिर में मां का फूलों से भव्य श्रंृगार किया गया। चौक स्थित छोटी व बड़ी कालीजी मंदिर में सुबह कपाट खुलने के बाद भक्तों का आना जारी रहा।

स्कंदमाता की पूजा से मिलता है संतान सुख

नवरात्र के पांचवे दिन स्कंदमाता का ध्यान करके उनका षोडशोपचार व पंचोपचार पूजन करके माता को श्वेत कमल पुष्प अर्पित करें। कुमारी कन्याएं व महिलाएं मां के मंत्र का 108 बार जाप करें। इसके बाद भोग व आरती करें। इससे कुमारी कन्याओं को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है एवं विवाहिता स्त्रियों को सौभाग्य व सुख की प्राप्ति होती है। संतान सुख की इच्छा से जो मां स्कंदमाता की आराधना करना चाहते हैं, उन्हें नवरात्र की पांचवीं तिथि को लाल वस्त्र में सुहाग चिन्ह सिंदूर, लाल चूड़ी, महावर, नेल पेंट, लाल बिंदी तथा सेब और लाल फूल एवं चावल बांधकर मां की गोद भरनी चाहिए।