लखनऊ (ब्यूरो)। मोबाइल फोन आज के वक्त में आपकी तिजोरी हो गया है और उसका ताला भी फोन में ही मौजूद होता है। अगर आप किसी को इमरजेंसी में मदद के नाम पर मोबाइल देते हैं तो सावधान रहें, क्योंकि मदद मांगने वाला न केवल आपकी मेहनत की कमाई उड़ा सकता बल्कि मोबाइल फोन हैक कर आपकी पर्सनल जानकारी भी हासिल कर सकता है। साइबर क्रिमिनल्स ने ठगी का यह नया तरीका निकला है। राजधानी लखनऊ में आधा दर्जन से ज्यादा लोग इसके शिकार हो चुके हैं। साइबर क्राइम सेल इसकी जांच पड़ताल कर रही है।

कॉल करने के लिए मांगते हैं फोन

साइबर सेल लखनऊ के प्रभारी रंजीत राय ने बताया कि उनके पास कई ऐसे पीडि़त आ रहे हैं, जिन्होंने बताया कि उन्होंने कोई ओटीपी भी शेयर नहीं किया और न ही किसी के कहने पर कोई लिंक क्लिक किया उसके बाद भी उनके खातों से पैसे निकल गए। जांच के बाद सामने आया कि उन्होंने फ्राड से पहले किसी अंजान व्यक्ति की मदद के लिए अपना फोन दिया था। मदद के नाम पर जैसे ही आप अपना मोबाइल फोन उसे देते हैं, जालसाज सामने एक ऐसा नंबर डायल करता है जो ऑफ जाता है। ठग एक बार फिर दूसरा नंबर डायल करने के लिए निवेदन करता है। दोबारा भी बात नहीं हो पाती और नंबर ऑफ जाता है। वह मोबाइल वापस कर वहां से निकल जाता है, जिसके बाद शिकार के खाते से पैसे निकलने लगते हैं।

कैसे करते हैं फोन हैक

साइबर एक्सपर्ट शिशिर यादव के अनुसार, इसमें मदद के नाम पर आपका फोन मांग कर एक नंबर मिलाया जाता है, जो स्विच ऑफ होता है। दूसरी बार वह कॉल तो करता है लेकिन अपने गैंग मेंबर्स के नंबर के आगे '21' या '401' या फिर अलग-अलग ऑपरेटर के नंबरों को जोड़ देते हैं। इससे पीडि़त का मोबाइल नंबर ठग के नंबर पर फॉरवर्ड हो जाता है और उसमें आने वाली हर कॉल और एसएमएस ठगों के नंबर पर चले जाते हैं, जिसके बाद वह खातों से पैसे निकालने के साथ-साथ सोशल मीडिया अकाउंट भी ऑपरेट कर सकता है।

केस 1

खाते से निकले 35 हजार

अमीनाबाद के एक व्यापारी के बैंक खाते से अचानक कई बार में 35 हजार रुपए कटने के मैसेज आए। उन्होंने बैंक जाकर पता किया तो उन्हें बताया गया कि पंजाब के अलग-अलग खातों में उनकी रकम जमा हुई है। उन्हें समझ में आ गया कि उनके साथ ठगी हुई है। वह शिकायत लेकर साइबर सेल पहुंचे जहां उन्हें बताया गया कि उनके साथ साइबर ठगी हुई है, जबकि उन्होंने न ही किसी के साथ ओटीपी शेयर किया और न ही कोई एप्लिकेशन डाउनलोड की। पीडि़त व्यापारी ने बताया कि साइबर सेल में पूछताछ के दौरान उन्हें यह याद आया कि उन्होंने उनकी दुकान आये एक व्यक्ति को बात करने के लिए अपना फोन दिया था, लेकिन नंबर ऑफ था।

केस 2

60 हजार का लगाया चूना

चिनहट के मटियारी में रहने वाले पुट्टी कारोबारी अखिलेश कुमार के अकाउंट से अचानक तीन बार में 20-20 हजार रुपये निकल गए। अकाउंट से 60 हजार रुपये बिना ओटीपी शेयर किए, बिना किसी लिंक पर क्लिक किए निकलने पर वह भी चौंका गए। अखिलेश बढ़ते साइबर क्राइम के चलते काफी सतर्क रहते थे, पर इसके बावजूद उनके साथ फ्राड हो गया। उन्होंने साइबर सेल में शिकायत की। जांच में पता चला कि फोन हैक कर उनके अकाउंट से ऑनलाइन ट्रांजैक्शन किया गया। तब उन्हें ध्यान में आया कि मार्केट में एक व्यक्ति ने अपना फोन स्विच ऑफ होने पर इमरजेंसी कॉल करने की बात कहकर उनका फोन मांगा था।

केस 3

3 लाख 23 हजार उड़ाए

नाका के राजेंद्र नगर इलाके में रहने वाले संदीप के अकाउंट से 3 लाख 23 हजार रुपए निकाल लिए गए। वह भी तब जब उसने किसी से ओटीपी तक साझा नहीं की। मामला 13 नवंबर का है। पीडि़त अपने घर पर था। उसी समय उसके फोन पर अनजान नंबर से कॉल आई। पीडि़त ने फोन उठाया, पर दूसरी तरफ से कोई आवाज नहीं आई। इसके बाद अलग-अलग नंबर से कई बार फोन आया। कुछ मिस्ड कॉल में बदल जाती हैं। 2-3 बार वह फोन उठाता भी है, लेकिन दूसरी तरफ से कोई आवाज नहीं आई। पीडि़त का कहना है कि 13 नवंबर की शाम करीब सात बजे से साढ़े आठ बजे के बीच ये फोन कॉल्स आती रहीं। ये सिलसिला करीब एक घंटे तक चला। उसके बाद जब उन्होंने अपने फोन पर आए मैसेज देखे तो अकाउंट से करीब 3 लाख 23 हजार रुपए निकल चुके थे।

हैक होने पर क्या करें

-किसी भी अंजान व्यक्ति को अपना फोन न दें

-किसी जान पहचान वाले को भी यदि फोन दें तो खुद नंबर डायल करके दें

-मदद के लिए मोबाइल देने के बाद वापस मिलने पर तत्काल उसे चेक करें

-हैक होने की स्थिति में सबसे पहले अपने अकाउंट के ब्लाक कराए मैनुअल या फैमिली मेंबर्स के किसी अन्य सदस्य की मदद से ऑनलाइन ब्लाक करें

-साइबर क्राइम सेल में शिकायत करें, ताकि फ्राड होने पर भी आप की रकम को ठग के वॉलेट में जाने से रोका जा सके

साइबर क्रिमिनल्स का फ्राड करने का यह नया तरीका है। वे आपसे मिलते हैं और इमरजेंसी के चलते कॉल करने के नाम पर आपका फोन मांगते हैं। इस दौरान वे अपने गैैंग मेंबर्स के नंबर पर कॉल करते हैं, जो कि पहले से स्विच ऑफ होता है। इसके बाद सिम कंपनी वाइज कोड लगाकर कॉल कर फोन हैक कर लेते हैं। फोन हैक होने के बाद ठगी का खेल शुरू होता है।

-रनजीत राय, प्रभारी, साइबर क्राइम सेल