लखनऊ (ब्यूरो)। 'हैलो, नमस्कार पहचाना नहीं', सुरेंद्र गौतम के मोबाइल फोन पर एक अंजान कॉल आई। कॉल करने वाले की आवाज भारी थी। मोबाइल पर नंबर भी फीड नहीं था। उन्होंने दिमाग पर बहुत जोर दिया लेकिन आवाज की पहचान नहीं कर सके। दोबारा आवाज आई, 'अरे, आप ने अब तक मेरा नंबर भी फीड नहीं किया।' 10 सेकेंड की बातचीत के दौरान सुरेंद्र ने कॉल करने वाले का सम्मान करते हुए गेस किया और कहां आप गुडिय़ा के हसबैैंड बोल रहे हैं क्या? कॉल करने वाले ने जवाब में 'हां' कहा। जिसके बाद शुरू हुआ उन्हें साइबर जाल में फंसाने का सिलसिला। राजधानी लखनऊ में ऐसी कॉल्स एक-दो नहीं बल्कि दर्जनों लोगों के पास आई हैं और कई साइबर क्रिमिनल्स की जाल में फंसकर अपनी मेहनत की कमाई अंजाने में लुटा चुके हैं।

इस तरह से करते हैं ठगी

अलीगंज सेक्टर-डी में रहने वाले चंद्र प्रकाश के पास अंजान नंबर से कॉल आई। कॉल करने वाले ने कहा, 'पहचाना नहीं', उन्होंने अपनेे रिश्तेदार की बेटी का दामाद समझ कर कॉल करने वाले से बातचीत शुरू की। कॉल करने वाले ने झांसे में फंसाया कि उसका कुछ पैसा आने वाले है। वह शहर में नहीं है और उसका गूगल पे नहीं चल रहा है। आप ऑनलाइन अपने अकाउंट में पैसा मंगवा लें। कुछ देर बाद एक दूसरे नंबर से कॉल आई, 'कहां पैसा ट्रांसफर करना है?Ó कॉल करने वाले का अकाउंट वैरीफिकेशन के लिए एक रुपये ट्रांसफर किया। एक रुपये आने पर जैसे ही चंद्र प्रकाश ने 'हां' कहा कॉल करने वाले ने गूगल पे नंबर पर एक लिंक भेजा। जिसमें 10 हजार अकाउंट के साथ पे लिखा था। उन्हें कंफ्यूजन भी हुआ कि वह पेमेंट कर रहे हैं या फिर पेमेंट आ रहा है, लेकिन कॉल करने वाले ने उन्हें विश्वास में लिया और लिंक क्लिक करते ही 16 अगस्त को उनके अकाउंट से 10 हजार रुपये निकल गए। जिसके बाद तीन ट्रांसजेक्शन और हुए और उनकी मेहनत की कमाई अकाउंट से खाली हो गई।

15 दिन में दो से तीन मामले आये

साइबर क्राइम सेल प्रभारी रनजीत राय ने बताया कि ऑनलाइन फ्राड के मामले 15 में दो से तीन लोग पीडि़त होकर शिकायत लेकर साइबर सेल आते हैं। जिसमें ज्यादातर मामले एक की तरह के होते हैं। इस तरह की वारदात को मेवाती गैैंग अंजाम दे रहा है। एक जनवरी से अब तक 3100 साइबर फ्राड में मामले आ चुके हैं, जिसमें ज्यादातर मामले मेवाती गैैंग से जुड़े हैैं।

चार तरीकों से साइबर फ्राड करता है मेवाती गैैंग

यह गैैंग राजस्थान व हरियाणा के बार्डर से जुड़े मेवात जिले के मेवाती गांव का है। गांव में रहने वाले ज्यादातर युवा साइबर फ्राड व ठगी करते हैं। यह एक भेडिय़ा ग्रुप की तरह काम करता है। बार्डर एरिया से जुड़ा होने के चलते वारदात को अंजाम देकर वह आसानी से बार्डर पार कर जाते हैं, ताकि पुलिस उन्हें पकड़ न सके। पुलिस की रेड के दौरान वह एक साथ होकर पुलिस टीम पर हमला तक करने से नहीं चूकते हैैं।

तरीका नंबर एक

सामान बेचने व खरीदने के नाम पर फ्राड

ओएलएक्स पर विज्ञापन डालकर सामान बेचने व खरीदने के नाम पर फ्राड करते हैं। ऑनलाइन पेमेंट के नाम पर लिंक भेजते हैं और अकाउंट से कैश उड़ा लेते हैं। मेवाती इलाके के कई थानों के बाहर ओएलएक्स पर फ्राड से बचने के लिए कई पोस्टर व होर्डिंग भी पुलिस ने लगाई है ताकि लोग साइबर क्रिमिनल्स से बच सकें।

तरीका नंबर दो

ऑनलाइन व फेसबुक से नंबर पर करते हैं कॉल

फेसबुक व ऑनलाइन वेबसाइट पर कंपनी व शोरूम के नंबर पर डायरेक्ट कॉल करते हैं। उनसे सामान खरीदते हैं और पेमेंट ऑनलाइन करने का झांसा देते हैं। सामान ऑफलाइन हैंडओवर करने के झांसे में कई बार शोरूम ओनर उनके जाल में फंस जाते हैं। इसी तरह से उन्होंने हजरतगंज के टाइटन शोरूम में 94 हजार रुपये की धोखाधड़ी की थी। इसके अलावा जेजे ब्रेकर्स को भी चूना लगाया था।

तरीका नंबर तीन

रिश्तेदार बनकर करते हैं फ्राड

वे किसी भी सीरीज के नंबर को टारगेट करते हैं और लगातार लोगों को कॉल करते हैं। उन्हें रिश्तेदार बनकर जाल में फंसाते हैं। जाल में फंसाने के बाद ऑनलाइन पेमेंट भेजने का हवाला देकर अकाउंट से कैश उड़ा लेते हैं।

तरीका नंबर चार

सोने की गिन्नी के नाम पर ठगी

मेवाती गैैंग सोने की गिन्नी बेचने के नाम पर भी कई वारदात को अंजाम दे चुका है। पहले वे ऑनलाइन सोने की गिन्नी दिखाते हैं। सैंपल के तौर पर एक गिन्नी को ऑफलाइन दिखाते हैं और फिर ग्राहक से पेमेंट लेने के लिए बाद में उन्हें नकली गिन्नी थमा देते हैैं।

कैसे बचें ऐसे फ्राड से

- मोबाइल पर कॉल करने पर उसे वैरीफाइ जरूर करें।

- किसी का भी पेमेंट अपने अकांउट में बिना परखे न मंगवाएं।

- मोबाइल पर लिंक आने पर उसे क्लिक कभी न करें।

- इस तरह की कॉल आने पर साइबर क्राइम सेल से शिकायत करें।

- ऑनलाइन आर्डर बुक करने में बहुत सावधानी बरतें।