-डिटेल की कमी होने पर पुलिस ने ट्रॉमा सेंटर को वापस भेज दिया था मेमो

-मेमो के अभाव में पुलिस नहीं कर सकी पंचनामा

-पंचनामे के बगैर 12 दिन से नहीं हो सका पोस्टमार्टम, मच्र्युरी के फ्रीजर खराब होने की वजह से खुले में ही पड़ी है बॉडी

-ट्रॉमा सेंटर में एडमिट कराई गई थी अज्ञात महिला, इलाज के दौरान हुई थी मौत

-पुलिस ने मच्र्युरी फार्मासिस्ट से चार दिन पहले फिर की कागजों की मांग, फार्मासिस्ट ने झाड़ा पल्ला

pankaj.awasthi@inext.co.in

LUCKNOW: सभी धर्मो में किसी भी इंसान के शव को पूरा आदर और सम्मान देकर उसका अंतिम संस्कार करने का विधान बताया गया है। इंडियन पीनल कोड में भी शव का अनादर करने को दंडनीय अपराध माना गया है। पर, ट्रॉमा सेंटर के डॉक्टर्स और मच्र्युरी के फार्मासिस्ट को न तो धर्म में दी गई सीख की चिंता है और न आईपीसी का डर। यही वजह है कि ट्रॉमा सेंटर में इलाज के दौरान मृत महिला का शव पंचनामे के इंतजार में कंकाल में तब्दील हो गया। उस महिला को ट्रॉमा सेंटर में इलाज के लिये एडमिट कराया गया था। जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। इस हृदय विदारक घटना ने न सिर्फ हमारे निर्दयी सिस्टम की पोल खोल कर रख दी है। बल्कि, यह भी साबित किया है कि हमारा समाज अब इंसान तो छोडि़ये शव के प्रति भी पूरी तरह संवेदनहीन हो चुका है।

अज्ञात लोगों ने कराया था एडमिट

कहानी शुरू होती है 30 अगस्त को शाम 7 बजे। जब कुछ लोग राजधानी की किसी सड़क के किनारे पड़ी घायल महिला को इलाज के लिये लेकर ट्रॉमा सेंटर में पहुंचे। 50 साल की उस अचेत अज्ञात महिला के बाएं हाथ व बाएं पैर में प्लास्टर बंधा हुआ था। डॉक्टर्स ने उसे एडमिट कर इलाज शुरू किया। लेकिन, एडमिट होने के कुछ देर बाद ही उसकी मौत हो गई। जिसके बाद ट्रॉमा सेंटर में तैनात डॉक्टर ने मेडिकल कॉलेज चौकी को पंचनामा भरने के लिये मेमो भेजा।

टेक्निकल फॉल्ट की वजह से मेमो कर दिया वापस

पुलिस के मुताबिक, मेमो में मृतका को भर्ती करवाने वाले का नाम अंकित नहीं था। मृतका के शरीर पर प्लास्टर बंधा था। जिस वजह से पंचनामा में उसे एडमिट करवाने वाले व चोट लगने के स्थान का जिक्र करना जरूरी था। जिस वजह से पुलिस ने मेमो को यह कहते हुए लौटा दिया कि ट्रॉमा सेंटर एडमिनिस्ट्रेशन मृतका को हॉस्पिटल में एडमिट कराने वाले का नाम अंकित कर भेजे। पर, टेक्निकल फॉल्ट की वजह से लौटाया गया मेमो ट्रॉमा सेंटर से पुलिस चौकी वापस नहीं लौटा।

पंचनामे के अभाव में टाल दिया पोस्टमार्टम

इधर, शव को ट्रॉमा सेंटर से मच्र्युरी भेज दिया गया। नियमानुसार अज्ञात शव को 72 घंटे तक सुरक्षित रखा जाता है। इस वजह से शुरुआती 72 घंटे तो महिला के शव की किसी ने सुध नहीं ली। बताया जाता है जब तीन दिन बीतने के बाद महिला के शव के पोस्टमार्टम का नंबर आया तो पता चला कि मृतका का पंचनामा ही मच्र्युरी नहीं पहुंचा। इसलिए उसका पोस्टमार्टम टाल दिया गया। हालांकि, मच्र्युरी के चीफ फार्मासिस्ट डीके वर्मा ने इस बात की जरूरत तक नहीं समझी कि इस बारे में पुलिस चौकी या ट्रॉमा सेंटर में पड़ताल करें।

डीप फ्रीजर खराब, सड़ता रहा शव

मच्र्युरी में लावारिस शवों को रखने के लिये 4 डीप फ्रीजर हैं। एक डीप फ्रीजर में तीन शव रखे जा सकते हैं। पर, इनमें से दो डीप फ्रीजर लंबे समय से खराब हैं, जबकि दो अन्य फ्रीजर की ट्रे की स्लाइडिंग खराब चल रही थी। बताया जाता है कि स्लाइडिंग को तीन दिन पहले ठीक कराया गया। लेकिन, स्लाइडिंग की मरम्मत के दौरान उन फ्रीजर्स में भी कूलिंग बंद हो गई। यही वजह थी कि उस अज्ञात महिला के शव को भी खुले में ही रख दिया गया। भीषण गर्मी की वजह से शव सड़ता रहा और 12 दिन में शव में कीड़े पड़ने की वजह से गलकर करीब-करीब नष्ट हो गया और अब शव में बचा है तो केवल कंकाल। हालांकि, शव की इस दुर्गति के बावजूद न तो मच्र्युरी में तैनात फार्मासिस्ट ने इसकी सुध ली और न ही वहां पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर्स ने।

फार्मासिस्ट पर पल्ला झाड़ने का आरोप

पंचनामा भरने के जिम्मेदार चौकी इंचार्ज मेडिकल कॉलेज राजेश कुमार राय ने बताया कि उन्होंने महिला को एडमिट कराने वाले का नाम अंकित न होने की वजह से मेमो को वापस कर दिया था। चार दिन पहले चौकी में तैनात कॉन्सटेबल निजाम को मच्र्युरी भेजकर शव के बारे में पड़ताल कराई। कॉन्सटेबल निजाम ने चीफ फार्मासिस्ट डीके वर्मा से मिलकर ट्रॉमा सेंटर से मृतका से संबंधित जानकारी मांगने की गुजारिश की। एसआई राय ने बताया कि कॉ। निजाम की बात सुनने के बाद फार्मासिस्ट वर्मा ने किन्ही पाहवा साहब पर मामला टाल कर पल्ला झाड़ लिया।