लखनऊ (ब्यूरो)। चाइनीज मांझे का नाम जुबान पर आते ही हर किसी के रोंगटे खड़े हो जाते हैैं। जो लोग इसकी चपेट में आ चुके हैैं, वो आज भी इसके द्वारा दिए गए दर्द को भूल नहीं पाए हैैं। चाइनीज मांझे के हमले में वो बच तो गए लेकिन एक डर उनके दिल में हमेशा के लिए बैठ गया है। राजधानी के फ्लाईओवर्स से लेकर पुराने एरियाज से गुजरने वाले रूटों पर हर जगह चाइनीज मांझे का खतरा मंडराता रहता है। हैरानी की बात तो यह है कि अभी तक बैन होने के बावजूद चाइनीज मांझे की रोकथाम के लिए कोई भी बड़ा एक्शन नहीं लिया गया है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के अभियान खूनी मांझा के माध्यम से मांझे से जुड़े हर एक पहलूओं पर फोकस किया जाएगा। यह भी बताया जाएगा कि अगर आप चाइनीज मांझे की चपेट में आ जाएं तो किस तरह से खुद का बचाव करना है साथ ही जिम्मेदारों से भी जाना जाएगा कि चाइनीज मांझे की रोकथाम को लेकर उनकी क्या प्लानिंग है।

हर पल रहें सावधान

अगर आप किसी फ्लाईओवर या ऐसे रूट से गुजर रहे हैैं, जहां आसपास पतंगबाजी होती है तो जरा सावधान रहें। कहीं ऐसा न हो कि आप 'आसमानी आफतÓ के नाम से मशहूर चाइनीज मांझे की चपेट में आकर खून से नहा जाएं। बैन होने के बावजूद राजधानी के कई इलाकों में पतंगबाजी में इसका धड़ल्ले से यूज किया जा रहा है और नतीजा यह है कि आए दिन लोग इसकी चपेट में आने से घायल हो रहे हैैं। हादसे दर हादसे होने के बावजूद चाइनीज मांझे की बिक्री या उसके यूज पर रोक लगाए जाने को लेकर कोई भी कड़े कदम नहीं उठाए जा रहे हैैं।

पुराने एरियाज में खतरा ज्यादा

वैसे तो राजधानी के सभी इलाकों पर चाइनीज मांझे का खतरा मंडराता रहता है लेकिन सबसे ज्यादा बुरी स्थिति पुराने एरियाज में देखने को मिलती है। इसकी वजह यह है कि पुराने एरियाज में जमकर पतंगबाजी होती है और उसमें चाइनीज मांझे का यूज किया जाता है। त्योहारों के आसपास तो स्थिति और भी ज्यादा भयावह हो जाती है। इसकी वजह यह है कि त्योहारों पर पतंगबाजी करने वालों की संख्या बढ़ जाती है।

हादसे आते हैैं सामने

अलीगंज निवासी राकेश निशातगंज पुल से गुजर रहे थे, इसी दौरान अचानक उनके गले में चाइनीज मांझा आकर फंस गया। संयोग से उनकी बाइक की स्पीड कम थी तो उन्होंने तुरंत ब्रेक लगा दी और मांझे को हटाया। हालांकि इस दौरान उनका गला और उंगलियां मांझे की चपेट में आने से लहुलूहान हो गईं। यह तो महज एक उदाहरण है लेकिन ऐसे मामले अक्सर सामने आते रहते हैैं।

मेट्रो की रफ्तार पर ब्रेक

अपने ट्रैक पर सरपट दौडऩे वाली मेट्रो की रफ्तार पर भी चाइनीज मांझा कई बार ब्रेक लगा चुका है। चाइनीज मांझे के कारण ओएचई कई बार ट्रिप हो जाती है, जिसकी वजह से मेट्रो रुक जाती है। विश्वविद्यालय, बादशाहनगर, चारबाग मेट्रो स्टेशन पर ऐसे मामले ज्यादा सामने आते हैैं। इसकी वजह यह है कि इन इलाकों में पतंगबाजी जमकर होती है। मेट्रो प्रशासन की ओर से मेट्रो रूट के आसपास पतंगबाजी करने वालों पर नजर रखने के लिए टीमें भी बनाई गई हैैं, लेकिन इसका कोई खास असर देखने को नहीं मिल रहा है।

गले को कवर रखें

अगर चाइनीज मांझा आपके गले या शरीर के किसी अन्य हिस्से में फंस जाता है तो आपको चोट लगना तय है लेकिन आपकी जिंदगी सेफ रहे, इसके लिए जागरूक होना बहुत जरूरी है। विशेषज्ञों की माने तो मांझे के फंसते ही झटके से उसे अलग न करें। अगर घाव गहरा हो गया है तो तत्काल डॉक्टर के पास जाएं और ट्रीटमेंट लें। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि जिन इलाकों में पतंगबाजी ज्यादा होती है, वहां से गुजरते समय अपने गले को अच्छे से कवर कर लें साथ ही हेलमेट का शीशा भी जरूर बंद रखें।

कोई ठोस कार्रवाई नहीं

चाइनीज मांझे की रोकथाम के लिए जिम्मेदारों की ओर से कोई ठोस चेकिंग अभियान नहीं चलाया जाता है। जिसकी वजह से भी चाइनीज मांझे का धड़ल्ले से यूज किया जा रहा है और इसकी वजह से लोग घायल हो रहे हैैं। हादसे दर हादसे होने के बावजूद जिम्मेदार बैकफुट पर नजर आ रहे हैैं।