लखनऊ (ब्यूरो)। कोई इंसान कितना डिप्रेस्ड है इसकी जानकारी अब आवाज से पता चल सकेगी। लखनऊ यूनिवर्सिटी के स्टेटिस्टिक्स डिपार्टमेंट के हेड प्रो। मसूद हुसैन सिद्दीकी ने पांच शिक्षकों के साथ मिलकर डिवाइस फॉर डिटेक्टिंग डिप्रेशन यूजिंग वॉयस मार्कर डिजाइन किया है। उनका दावा है कि इस वॉयस मार्कर के जरिए पांच से 10 मिनट की बातचीत के दौरान इंसान के डिप्रेशन का अंदाजा लगाया जा सकेगा। इस डिवाइस का भारत सरकार से पेटेंट करा लिया गया है। जल्द ही इसको बनाने के लिए कंपनी से संपर्क कर डिवाइस तैयार कराने का प्रोसेस शुरू किया जाएगा।

मशीन लर्निंग पर आधारित है डिवाइस

प्रो। सिद्दीकी ने बताया कि यह डिवाइस मशीन लर्निंग व नैचुरल लैंग्वेज प्रॉसेसिंग पर आधारित है, जो पूरी तरह मशीन लर्निंग एल्गोरिदम पर काम करेगा। वॉयस बायोमार्कर आवाज की पिच, फ्रीक्वेंसी, ऑडियो सिग्नल पर के जरिए पता करेगा कि व्यक्ति डिप्रेशन में है या नहीं। इसमें छोटा सा माइक लगा होगा जो बोलने वाले की आवाज रिकॉर्ड करेगा। इसके बाद यही मशीन लर्निंग एल्गोरिदम आवाज को अलग करके डिप्रेशन का का पता लगाएगा।

शुरुआती स्टेज का लगेगा पता

प्रो। सिद्दीकी ने बताया कि आज के दौर में डिप्रेशन सबसे तेजी से बढऩे वाली प्रॉब्लम है। कई बार हम लोग जान नहीं पाते कि कोई व्यक्ति डिप्रेशन में है या नहीं। इसके कारण सुसाइडल टेंडेंसी भी बढ़ रही है, ऐसे में जैसे बायोमार्कर कई सारी दिक्कतों का पता करते हैं ऐसे में डिप्रेशन में इनका क्या रोल हो सकता है इसको लेकर यह डिवाइस डिवेलप की गई है। उन्होंने बताया कि डिवाइस बनने के बाद उसमें आगे सुसाइडल टेंडेंसी को लेकर भी काम किया जाएगा ताकि लोगों को भारी अवसाद से बचाकर इलाज के लिए प्रेरित किया जा सके।

इन शिक्षकों का है सहयोग

बायोमार्कर की डिजाइन बनाने में डॉ। प्रीतम सुमन, डॉ। दीपक सिंह, डॉ। विपिन खत्री, डॉ। रजित नायर और रोशन जहां की अहम भूमिका है। इस डिजाइन को जनवरी में पेटेंट कराने का आवेदन किया गया था, जिसे मार्च में स्वीकृति मिली है।