लखनऊ (ब्यूरो)। लखनऊ यूनिवर्सिटी में बायोमेट्रिक मशीन के धोखा देने से हड़कंप मचा हुआ है, क्योंकि शिक्षकों द्वारा हाजिरी लगाने के बावजूद मशीन उन्हें अनुपस्थित दिखा रही है। इसका खुलासा हाल ही में हुआ है। मशीन का संचालन करने वाली कंपनी ने शिक्षकों की हाजिरी वेरीफाइ करने से मना कर दिया है। ऐसे में शिक्षक अपने वेतन को लेेकर परेशान हैं। पहली सितंबर से लखनऊ यूनिवर्सिटी प्रशासन ने सभी शिक्षकों के लिए बायोमेट्रिक हाजिरी लगाना अनिवार्य कर दिया है। इसके लिए बकायदा कुलसचिव संजय मेधावी ने सभी संकायाध्यक्षों और विभागाध्यक्षों सहित कोर्स समन्वयकों को आदेश जारी किया है। आदेश के अनुसार प्रत्येक शिक्षक को सुबह यूनिवर्सिटी आने और शाम को घर जाने के समय बायोमेट्रिक हाजिरी लगानी है। इसके तहत सभी विभागों में एक सितंबर से विरोध के बावजूद शिक्षकों ने हाजिरी लगाना शुरू कर दिया।

भूगर्भ विभाग में हुआ खुलासा

मशीन के धोखा देने का खुलासा भूगर्भ विभाग में हुआ है। वहां के विभागाध्यक्ष प्रो। अजय मिश्रा ने शिक्षकों की इस महीने की बायोमेट्रिक हाजिरी का विवरण कंपनी से मांगा। कंपनी ने जो विवरण उपलब्ध कराया उसको देखकर प्रो। अजय के होश उड़ गए, क्योंकि हाजिरी के विवरण में एक-दो शिक्षकों को छोड़कर सभी गैर हाजिरी थे, लेकिन उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि यह हुआ कैसे। सभी शिक्षक रोजाना विभाग आ रहे थे। उन्होंने शिकायत पर कंपनी ने जांच की तो पता चला कि साफ्टवेयर की गड़बड़ी है। ऐसी गड़बड़ी सभी विभागों में हो रही है।

सात घंटे पर ही दोबारा स्वीकार करेगा हाजिरी

प्रो। मिश्रा ने बताया कि जो साफ्टवेयर है, उसके अनुसार सुबह निर्धारित समय पर हाजिरी लगाने के सात घंटे बाद ही मशीन हाजिरी स्वीकार करेगी। इससे पहले हाजिरी लगाने पर मशीन गैर हाजिर दिखाएगी। उन्होंने बताया कि मशीन में केवल सुबह साढ़े दस बजे से साढ़े पांच बजे का ही टाइम स्लाट फीड है। इससे पहले हाजिरी लगाने वाले शिक्षकों को मशीन अनुपस्थित दिखा रही है। उन्होंने बताया कि जबकि एलयू में शिक्षकों के आने और जाने का एक समय नहीं है, क्योंकि किसी की सुबह साढ़े सात बजे तो किसी की साढ़े नौ बजे क्लास है।

शिक्षकों को नहीं मालूम सात घंटे का नियम

शिक्षकों का कहना है कि एलयू कुलसचिव ने ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया है कि सात घंटे बाद ही हाजिरी लगानी है। यूनिवर्सिटी में कम से कम सात घंटे तक रहना जरूरी है। उनका कहना है कि कुलसचिव ने आदेश नहीं दिया तो कंपनी ने अपनी तरफ से कैसे ये किया।