लखनऊ (ब्यूरो)। केजीएमयू में इस समय एक अनजान व्यक्ति द्वारा लगातार किए जा रहे सनसनीखेज ई-मेल चर्चा का विषय बने हुए हैं। इन ई-मेल के माध्यम से संस्थान में आरटीपीसीआर किट समेत कई अन्य खरीदारी में गड़बड़ी का आरोप लगाया गया है। ई-मेल में अनजान व्यक्ति द्वारा दर्जनों फैकल्टी को खरीद संबंधी डाक्यूमेंट्स भी भेजे गये हैं। जिसमें खरीदारी को लेकर बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का आरोप लगाया गया है। वहीं, संस्थान प्रशासन पूरे प्रकरण पर मौन साधे हुए है।

डॉक्यूमेंट्स भेज लगा रहा आरोप

केजीएमयू में एक अनजान व्यक्ति द्वारा कोरोना काल में हुए भ्रष्टाचार को लेकर लगातार ई-मेल रजिस्ट्रार समेत तमाम फैकल्टी को भेजा जा रहा है। इनमें शिकायतें, जांच, आपत्तियां और एक कंपनी को लाभ पहुंचाने समेत कई अन्य महत्वूपर्ण डाक्यूमेंट्स भी भेजे जा रहे हैं। इतना ही नहीं, इसके पहले भी कई महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट्स को ई-मेल करके आरोप लगाया जा चुका है। उस अनजान व्यक्ति का कहना है कि मामले में 7-10 करोड़ तक की कमाई की गई है। साथ ही, उनकी पूरी टीम मामले की गहनता से जांच कर रही है। जल्द ही और सबूत देने का दावा किया जा रहा है।

पहले भी उछल चुका है मामला

गौरतलब है कि कोरोना काल के दौरान पूरे प्रदेश की लैब के लिए कोरोना किट खरीदने और भेजने के लिए नोडल सेंटर बनाया गया था। पर बाद में मामला सामने आया कि केजीएमयू प्रशासन द्वारा कई गुना महंगी कीमतों पर प्लास्टिक वेयर, कोरोना किट और रीजेंट आदि खरीदे गए। इतना ही नहीं, आरोप था कि अगस्त-सितंबर 2021 के दौरान कोरोना जांच के लिए जो किट 18.48 रुपये में दूसरे प्रदेश में खरीदी गई थी, वही किट प्रदेश में 26.32 रुपये में खरीदी गई। इतना ही नहीं, जब मामले की शिकायत की गई तो इसपर जांच भी बैठाई गई थी। वहीं, ऑडिट के दौरान भी कई आपत्तियां उठाई गई थीं। जहां दी गई दलीलों को खारिज कर दिया गया था। साथ ही, महंगी दरों पर किट देने वाली कंपनी पर बैन तक लगाया गया था।

कई शिकायतें मिल चुकी हैं

संस्थान के ऊपर दूसरे जिलों के अस्पतालों में स्थापित किट की सप्लाई का भी भार था। जब किट भेजी गई तब कई जगहों से शिकायतें मिली थीं कि इस दौरान कई चीजें किट से गायब रहीं। जिसके चलते जांच पर असर पड़ रहा था। पर उन शिकायतों का क्या हुआ किसी को नहीं पता। ऐसे ही कई और शिकायतें भी भेजी गई थीं, जिनको नजरअंदाज करने का आरोप लगाया गया है।

पहले भी हुई जांच

जब महंगी खरीदारी का मामला सामने आया था, तब जांच बैठाई गई थी। पर आजतक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। संस्थान प्रशासन के अनुसार, खरीदारी नियमों के अनुसार ही की गई है। हालांकि, जो ई-मेल भेजे गये हैं, वे कुछ और ही कहानी कह रहे हैं। आरोप है कि जानबूझकर महंगी किट खरीदी गई, जिसकी वजह से केजीएमयू को अधिक खर्च करना पड़ा है।

ई-मेल बना चर्चा का विषय

अनजान व्यक्ति द्वारा संस्थान के 100 से अधिक फैकल्टी और कर्मचारियों को ई-मेल भेजा जा चुका है। जिसके चलते पूरे परिसर में मामले को लेकर बड़े स्तर पर कानाफूसी हो रही है। चर्चा आम है कि ये काम पूर्व कर्मचारियों द्वारा किया जा रहा है। वहीं, संस्थान प्रशासन का कहना है कि यह किसी अराजक व्यक्ति की साजिश लग रही है।

केजीएमयू में वित्त नियमों के तहत ही खरीदारी होती है। इस मामले में भी ऐसा ही हुआ है।

-डॉ। सुधीर सिंह, प्रवक्ता, केजीएमयू