लखनऊ (ब्यूरो)। विद्युत नियामक आयोग की ओर से 20 जुलाई को जारी नए टैरिफ आदेश के खिलाफ बिजली कंपनियों ने लामबंदी शुरू कर दी है। कंपनियों की ओर से आयोग के आदेश के खिलाफ एपिलेट ट्रिब्यूनल नई दिल्ली में मुकदमा दर्ज कराया जा रहा है। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने इस कदम का विरोध करते हुए नियामक आयोग चेयरमैन से मुलाकात कर लोकमहत्व याचिका दाखिल की है। परिषद अध्यक्ष का कहना है कि अगर बिजली कंपनियां जीत गईं तो उपभोक्ताओं पर भार पड़ेगा।

4 अगस्त से नई दरें हुईं लागू

उप्र विद्युत नियामक आयोग द्वारा मध्यांचल, पूर्वांचल, पश्चिमांचल, दक्षिणांचल व केस्को की वर्ष 2022-23 का बिजली दर आदेश व ट्रूअप याचिका पर अपना फैसला 20 जुलाई को सुनाया था। वर्तमान में 4 अगस्त से प्रदेश में नई बिजली दर लागू हो गई हैं। अब प्रदेश की बिजली कंपनियां एपिलेट ट्रिब्यूनल नई दिल्ली में आयोग आदेश के खिलाफ मुकदमा दाखिल कर रही हैं।

चेयरमैन से की मुलाकात

इसकी भनक लगते ही उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह से मुलाकात की। उन्होंने प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर निकल रहे 22045 करोड़ व एनपीसीएल पर 579 करोड़ के एवज में दाखिल बिजली दरों में पुनर्विचार याचिका एक सितंबर पर अविलंब सुनवाई शुरू करने की मांग उठाई। यह मुददा भी उठाया कि बिजली कंपनियां करोड़ों रुपया वकीलों पर खर्च कर मुकदमा दाखिल कर रही हैं, अंत में इसका खर्च भी उपभोक्ताओं पर पड़ेगा।

इन बिंदुओं पर हो रहा मुकदमा

उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष ने कहाकि बिजली कंपनियां जो मुकदमा दाखिल कर रही हैं, उसमें प्रमुख रूप से विद्युत नियामक आयोग द्वारा खारिज किये गये लेट पेमेंट सरचार्ज, ट्रांसमिशन चार्ज, स्मार्ट मीटर ओपेक्स कास्ट, इंट्रेस्ट ऑफ वर्किंग कैपिटल, बैड एवं डाउटफुल डेप्ट, विभागीय कर्मचारियों के एलएमवी-10 का मामला आदि बिंदु शामिल हैं। उपभोक्ता परिषद ने भी एलान किया है प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं पर कोई भार न पड़े, इसके लिये जरूरत पडऩे पर एपटेल में भी विधिक पक्ष रखा जाएगा। प्रदेश की बिजली कंपनियों पर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं का लगभग 22045 करोड़ सरप्लस निकल रहा है, जिसके एवज में अगले छह वर्षों तक प्रत्येक वर्ष बिजली दरों में 7 प्रतिशत कमी होनी चाहिये, तब यह सरप्लस राशि बराबर होगी।