लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी में 12 लाख उपभोक्ताओं के घरों में लगे स्मार्ट मीटरों पर एक बार फिर सवाल उठे हैैं। ये सवाल गोरखपुर में दो स्मार्ट मीटरों में पकड़ी गई बिजली चोरी के कारण उठे रहे हैैं। अब उपभोक्ता परिषद की ओर से सभी मीटरों की जांच कराए जाने की मांग की गई है। स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने के मामले में एक नया मोड़ आ गया है। पूरे देश में स्मार्ट मीटर इसलिए लगवाए जा रहे थे ताकि कोई भी मीटर बायपास करके बिजली चोरी न कर सके। हालांकि, दो दिन पहले गोरखपुर में बक्शीपुर वितरण खंड निजामपुर क्षेत्र में लोग दो आइस फैक्ट्री में स्मार्ट मीटर के न्यूट्रल को काटकर बिजली चोरी कर रहे थे। स्मार्ट मीटर में रीडिंग तो जीरो थी लेकिन उपभोक्ता के परिसर पर सप्लाई जारी थी और सर्वर पर कोई भी टेंपर रिकॉर्ड नहीं हुआ। स्थानीय विजिलेंस टीम व खंड अभियंताओं द्वारा इस मामले का खुलासा चेकिंग के दौरान किया गया।

मीटरों की तकनीक पर उठे सवाल
उपभोक्ता परिषद ने सवाल उठाया है कि पूरे प्रदेश में पूर्व में जो 12 लाख स्मार्ट मीटर लगाए गए थे, उनमें तकनीकी रूप से कई खामियां हैैं। ऐसे में, पावर कारपरेशन प्रबंधन को सबसे पहले उन मीटरों की तकनीक पर फोकस करना होगा, जो अब उपभोक्ताओं के यहां लगेंगे। उपभोक्ता परिषद का कहना है कि स्मार्ट मीटरों में मीटर जंपिंग के मामले पहले ही सामने आ चुके हैैं। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि स्मार्ट मीटर में जो बिजली चोरी पकड़ी गई है, उस पर अब गंभीरता से सोचना होगा। यूपी में 1 जुलाई से 4जी स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाने की योजना है। ऐसे में, उत्तर प्रदेश के मामले में अभिलंब पावर कार्यक्रम प्रबंधन को त्वरित कार्रवाई करते हुए जो भी स्मार्ट प्रीपेड मीटर वर्तमान में प्रदेश में लगने हैं, उनमें इस प्रकार की कमियां ना सामने आएं, इसकी छानबीन करना जरूरी है।