लखनऊ (ब्यूरो)। प्रदेश के नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने कहा कि बिजली कर्मियों व कुछ संगठनों द्वारा कार्य बहिष्कार के लिए 72 घंटे की उनकी हड़ताल पूरी तरह असंवैधानिक है। कुछ स्थानों से बिजली आपूर्ति को बाधित एवं क्षतिग्रस्त करने की शिकायतें मिली हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। ऊर्जा मंत्री शुक्रवार को शक्ति भवन में प्रदेश की बिजली व्यवस्था एवं आपूर्ति के संबंध में प्रेसवार्ता कर रहे थे।

प्रदेश में बिजली आपूर्ति नियंत्रण में

ऊर्जा मंत्री ने बताया कि प्रदेश में बिजली आपूर्ति पूरी तरह से नियंत्रण में है। सप्लाई, डिमांड एवं स्थानीय आपूर्ति पूरी तरह से नियंत्रित है। बिजली आपूर्ति एवं उत्पादन पर्याप्त है। केंद्रीय पूल से भी पर्याप्त बिजली मिल रही है। उन्होंने लोगों एवं सभी जनप्रतिनिधियों से भी अपील की है कि इस समय जो भी कार्मिक व्यवस्था बनाने में सहयोग कर रहे हैं, अपनी जिम्मेदारियों का लगन से निर्वहन कर रहे हैं, ऐसे कार्मिकों का किसी भी प्रकार से उत्पीडऩ न हो, इसका ध्यान रखें।

व्यवधान करने वालों को पहचानें

ऊर्जा मंत्री ने कहा कि इस समय जो लोग सरकार के कार्यों में व्यवधान डालकर लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं, उन्हें पहचानें। बिना कानून को हाथ में लिये, ऐसे लोगों को बिजली आपूर्ति बाधित करने से रोकें। विगत रात्रि में कुछ जिलों से ऐसी घटनाएं आई हैं, जिसमें बिजली कर्मियों ने आपूर्ति में बाधा पहुंचाई है और फीडर, ट्रांसफार्मर व लाइन को क्षतिग्रस्त भी किया है। उन्होंने डीजी विजलेंस पावर कारपोरेशन को निर्देश दिये कि स्थानीय पुलिस के सहयोग से ऐसे तत्वों के खिलाफ एक्शन लें।

अभी बातचीत की गुंजाइश

ऊर्जा मंत्री ने कहा कि बातचीत का लोकतांत्रिक तरीका सभी के लिए अभी भी खुला हुआ है, लेकिन राष्ट्रीय सम्पत्ति का नुकसान किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। संयुक्त संघर्ष समिति के कार्य जन विरोधी हैं, इसलिए कुछ और संगठनों ने कार्य बहिष्कार, हड़ताल से अपने आपको अलग कर लिया है, वे जनता की सेवा में समर्पित हैं। कई राष्ट्रीय और निजी संस्थानों ने भी इस आपदा से निपटने के लिए अपने कुशल कार्मिक उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है। इसमें एनटीपीसी, बजाज पावर, प्रयागराज का टाटा पावर, लैंको, केस्को, पावर ग्रिड कारपोरेशन आदि शामिल हैैं।

हस्ताक्षर करके गायब हो रहे

उन्होंने कहा कि शिकायतें हैं कि कुछ कार्मिक उपस्थिति पंजिका में हस्ताक्षर करके गायब हो जाते हैं। ऐसे कर्मियों से अनुरोध है कि वे या तो ठीक से कार्य करें या घर बैठें। अधिकारी ऐसे कार्मिकों का संज्ञान लें। ऐसे आउटसोर्सिंग व संविदा कार्मिक जो कार्य पर नहीं आ रहे हैं उन्हें अतिशीघ्र निकालने की प्रक्रिया शुरू की जाये। ऐसे लोगों का मानदेय बंद किया जाये। उनके कार्यों की अब हमें आवश्यकता नहीं है, हम उनके स्थान पर दूसरे नौजवानों को नौकरी देकर कार्य करवा लेंगे। उन्होंने कहा कि इस हड़ताल को रोकने के सभी प्रयास विफल हो गये हैं। पावर कारपोरेशन को 93 हजार करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है तथा 82 हजार करोड़ रुपये का बैंक लोन भी है। इतने नुकसान के बावजूद इस वर्ष कार्मिकों को बोनस दिया गया, जो कि विगत पांच वर्षों से नहीं दिया जा रहा था। वित्तीय संकट से जूझ रहे पावर कारपोरेशन ने अपने कार्मिकों के हितों की चिंता कर रहा है, लेकिन कार्मिक राजस्व की वसूली करने व लाइन लॉस को कम करने में रुचि नहीं ले रहे हैं।