लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी की मार्केट्स को कागजों में तो स्मार्ट बना दिया गया है, लेकिन हकीकत यह है कि किसी भी प्रमुख मार्केट में मूलभूत सुविधाओं जैसे पिंक टॉयलेट, पार्किंग, रोड्स, स्मार्ट इलेक्ट्रिफिकेशन, वेस्ट कलेक्शन, वेंडिंग जोन इत्यादि नदारद हैं। जिसकी वजह से कारोबार पर तो सीधा असर पड़ता ही है साथ में व्यापारियों और मार्केट्स में आने वाले ग्राहकों को भी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हैरानी की बात तो यह है कि मार्केट्स को स्मार्ट बनाने के लिए नगर निगम स्तर से कई बार योजनाएं तो बनाई गईं, लेकिन अभी तक योजनाओं को धरातल पर उतारा नहीं जा सका है। गुजरते वक्त के साथ मार्केट्स में हालात और खराब होते जा रहे हैैं। पेश है अभिषेक मिश्रा की रिपोर्ट

मार्केट्स का इतिहास भी पुराना

हम जिन मार्केट्स की बात कर रहे हैैं, उनका इतिहास भी खासा पुराना है। भूतनाथ मार्केट की बात करें तो यह करीब 40 साल पुरानी है, वहीं अमीनाबाद और चौक मार्केट की बात की जाए तो दोनों मार्केट्स का इतिहास 150 से 200 साल पुराना इतिहास है। पत्रकारपुरम मार्केट और मुंशी पुलिया मार्केट भले बहुत पुरानी न हो, लेकिन कारोबार की दृष्टि से इसकी महत्ता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

करोड़ों का होता है कारोबार

भूतनाथ, चौक, अमीनाबाद और आलमबाग मार्केट राजस्व की दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण हैैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सामान्य दिनों में भूतनाथ मार्केट का मंथली कारोबार करीब 15 से 20 करोड़ रुपये के आसपास का है। वहीं, चौक और अमीनाबाद की बात की जाए तो 20 से 25 करोड़ का कारोबार डेली होती है। त्योहार के दिनों में तीन से चार गुना तक कारोबार में इजाफा देखने को मिलता है। आलमबाग मार्केट की बात की जाए तो यहां का कारोबार भी मंथली 20 करोड़ से ज्यादा रहता है।

इस तरह समझें कारोबार

-15 करोड़ का मंथली कारोबार भूतनाथ मार्केट का

-25 करोड़ का डेली कारोबार अमीनाबाद-चौक का

-01 करोड़ का मंथली कारोबार मुंशी पुलिया-पत्रकारपुरम का

कस्टमर्स का फुटफॉल भी कम नहीं

इन मार्केट्स में कस्टमर्स का फुटफॉल भी अधिक है। ट्रांसगोमती एरिया में वैसे तो एक दर्जन से अधिक बड़ी मार्केट्स हैैं, लेकिन भूतनाथ मार्केट में आने वाले कस्टमर्स की संख्या प्रतिदिन पांच से छह हजार है। त्योहार के आसपास यह संख्या 10 हजार तक पहुंच जाती है। चौक और अमीनाबाद की बात की जाए तो यहां पर डेली एक से डेढ़ लाख कस्टमर्स आते हैैं। आलमबाग की बात की जाए तो यहां भी डेली सात से आठ हजार कस्टमर्स का फुटफॉल रहता है। यहां भी त्योहार के आसपास कस्टमर्स की संख्या तीन गुना तक बढ़ जाती है।

योजनाएं तो बनीं, लेकिन रहीं बेअसर

आलमबाग, भूतनाथ, अमीनाबाद और चौक मार्केट को स्मार्ट मार्केट्स की श्रेणी में रखा गया है। इन मार्केट्स में स्मार्ट सुविधाओं को डेवलप करने के लिए कई बार योजनाएं तैयार की गईं, लेकिन अभी तक ज्यादातर योजनाओं को इंप्लीमेंट नहीं किया जा सका है। इन मार्केट्स की सबसे प्रमुख समस्या पार्किंग और पिंक टॉयलेट न होने से जुड़ी हुई है। इसके साथ ही इन मार्केट्स में जाकर तारों के मकडज़ाल को भी देखा जा सकता है। जिसकी वजह से हादसा होने का भी खतरा रहता है और कई बार तारों में आग लगने की घटनाएं भी सामने आती हैैं और वे भी खासकर अमीनाबाद और चौक मार्केट में।

जाम भी बढ़ाता है दर्द

इन मार्केट्स में जाम की समस्या भी गहरी है। आलमबाग, भूतनाथ, चौक और अमीनाबाद मार्केट जाने वाले लोगों को जाम की समस्या का भी सामना करना पड़ता है। इसकी एक वजह पार्किंग की समस्या का अभाव है। आलम यह है कि इन मार्केट्स में रोड्स पर ही वाहन पार्क होते हैैं, जिसकी वजह से जाम की समस्या सामने आती है।