लखनऊ (ब्यूरो)। 16 फरवरी से शुरू हो रहे यूपी बोर्ड के हाईस्कूल और इंटर के एग्जाम सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में होने हैं, लेकिन इसके लिए इस साल भी स्कूलों को फंड के नाम पर कुछ नहीं मिला है। राजकीय स्कूलों को तो फिर भी रमसा के तहत मिले बजट का सहारा है लेकिन एडेड स्कूलों की स्थिति खराब है। सीसीटीवी लगवाने और उसका मेंटीनेंस उनके लिए परेशानी का सबब बन रहा है।

दूसरे खाते का बजट गड़बड़ाता है

अमीनाबाद इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल एसएल मिश्र का कहना है कि बीते साल शासन से सीसीटीवी कैमरा लगवाने के लिए दूसरे मद में आने वाली धनराशि का इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई थी। खेल बजट और स्काउट एंड गाइड जैसे दूसरे फंड के बजट से सीसीटीवी कैमरे लगवाए थे। इसके मेंटीनेंस के लिए भी इन्हीं फंड का इस्तेमाल होता है। इससे दूसरे फंड का बजट गड़बड़ा जाता है। हमारा स्कूल नगर निगम का स्कूल है ऐसे में कई आर्थिक मदद वहां से मिल जाती हंै। वरना हमारे लिए व्यवस्थाएं कराना बहुत मुश्किल हो जाए।

सहयोग से होती है व्यवस्था

यूपी माध्यमिक शिक्षक संघ के जिलामंत्री मिथलेश कुमार पांडेय ने बताया कि शहर में कई ऐसे एडेड स्कूल हैं जहां सीसीटीवी और उसके मेंटीनेंस की व्यवस्था शिक्षक और प्रिंसिपल अपनी जेब से करते हैं। एग्जाम के दौरान इन पर आने वाला खर्च भी स्कूलों को खुद उठाना पड़ता है। एडेड स्कूलों की काई आमदनी नहीं है, इस बारे में विभाग को सोचना चाहिए।

परीक्षा का बजट अलग से जारी हो

शिक्षक नेता डॉ। आरपी मिश्रा का कहना है कि प्राइवेट स्कूल मोटी फीस लेकर व्यवस्था दुरुस्त कर लेते हैं। राजकीय और एडेड स्कूलों में आठवीं तक की पढ़ाई मुफ्त है और 9 से 12वीं में नॉमिनल फीस है। बोर्ड हर साल छात्रों से एग्जामिनेशन फीस वसूल करता है। ऐसे में कुछ बजट का प्रावधान स्कूलों में परीक्षा के दौरान करना चाहिए।