लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी में व्यावसायिक भवनों में नक्शे के विपरीत विस्तारीकरण कराए जाने का खेल सामने आया है। जब से एलडीए ने नजरें टेढ़ी की हैैं, विस्तारीकरण कराने वालों की ओर से शमन शुल्क जमा करने के लिए आवेदनों की भरमार हो गई है। पहले जहां दो या तीन महीने में एक या दो आवेदन ही आते थे, वहीं अब तक 250 आवेदन सामने आ चुके हैैं। जिसके आधार पर एलडीए अब शमन शुल्क वसूलने की तैयारी कर रहा है। हैरानी की बात तो यह है कि एक-एक व्यावसायिक भवन पर तीन से चार करोड़ रुपये शमन शुल्क लिया जा रहा है।

निर्माण कराने वालों को राहत

नक्शे से ज्यादा बिल्डिंग या मकान का विस्तारीकरण कराने वालों को लेकर एलडीए की ओर से सर्वे कराया जा रहा है। इसके साथ ही एलडीए की ओर से एक से पंद्रह नवंबर तक शमन शुल्क जमा करने के लिए एलडीए परिसर में विशेष कैंप भी लगाया जा रहा है। एलडीए की ओर से शमन शुल्क को लेकर सख्ती करते ही इसका असर भी देखने को मिलने लगा है। अभी तक जो आवेदन आए हैैं, उसमें करीब 80 फीसदी आवेदन व्यावसायिक भवनों से जुड़े हुए हैैं।

राजस्व संबंधी लाभ होगा

शमन शुल्क को लेकर की गई सख्ती से एक तरफ जहां एलडीए को राजस्व संबंधी लाभ होगा, वहीं दूसरी तरफ निर्माण कराने वालों को भी बड़ी राहत मिलेगी। एक बार शमन शुल्क जमा किए जाने के बाद वे टेंशन फ्री हो जाएंगे और उनसे किसी भी तरह की वसूली नहीं हो पाएगी। वहीं जो शमन शुल्क जमा नहीं करेंगे, उनके खिलाफ एलडीए की ओर से सीलिंग या ध्वस्तीकरण तक की कार्रवाई किए जाने की तैयारी की जा रही है।

3 से 4 करोड़ तक शमन शुल्क

अभी तक आवेदनों के आधार पर जो शमन शुल्क की गणना की गई है, उससे साफ है कि एक-एक बिल्डिंग पर तीन से चार करोड़ रुपये तक शमन शुल्क निकल रहा है। इसमें बड़ी-बड़ी व्यावसायिक बिल्डिंग शामिल हैैं। छोटी व्यावसायिक बिल्डिंग की बात करें तो उन पर करीब 5 से 10 लाख रुपये तक शमन शुल्क बन सकता है। वहीं आवासीय आवेदनों की संख्या कम है, लेकिन जो 20 प्रतिशत आवेदन आए हैैं, उसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि 50 हजार से 1 लाख तक शमन शुल्क बन सकता है। स्थलीय सत्यापन के बाद शमन शुल्क की सही तस्वीर साफ हो सकेगी।

प्राइम लोकेशन के अधिक आवेदन

अभी जो आवेदन सामने आए हैैं, उससे साफ है कि प्राइम लोकेशन जैसे गोमतीनगर, जानकीपुरम, गोमतीनगर विस्तार, टीपी नगर में ज्यादातर व्यावसायिक भवनों में नक्शे से अधिक विस्तारीकरण कराया गया है। इसके साथ ही कई अन्य इलाकों में सर्वे कराकर नक्शे से ज्यादा निर्माण कराने वालों को चिन्हित किया जा रहा है ताकि उनको भी शमन शुल्क के दायरे में लाया जा सके।

अभी जो आवेदन आ रहे हैैं, उससे साफ है कि व्यावसायिक भवनों में नक्शे के विपरीत ज्यादा विस्तारीकरण हुआ है। इसकी वजह से उन पर तीन से चार करोड़ रुपये तक शमन शुल्क बन रहा है। अगर किसी ने भी नियम विरुद्ध विस्तारीकरण किया है तो तत्काल आवेदन करे, जिससे वो कार्रवाई से बच सकें।

-डॉ। इंद्रमणि त्रिपाठी, वीसी, एलडीए