लखनऊ (ब्यूरो)। संजय गांधी पीजीआई की एंडोक्राइन ओटी में सोमवार को ऑपरेशन के दौरान आग लग गई। उस दौरान कई मरीज ओटी के बाहर अपनी सर्जरी का इंतजार कर रहे थे। वहीं, उनके तीमारदार भी बाहर मौजूद थे। इतने में आग और धुंआ फैलने से वहां अफरातफरी मच गई। आननफानन में लोग ओटी से बाहर अपनों को बचाने के लिए भागे। सभी के सकुशल वहां से बाहर निकालने पर सभी ने राहत की सांस ली।

मेरी मां दीपा तिवारी कार्डियोलॉजी ओटी में थीं। हम लोग दूसरी जगह थे। इतने में लोगों के चिल्लाने की आवाज आने लगी। मैं दौड़ के आया तो देखा हर ओर धुंआ भरा हुआ था और जलने के बदबू आ रही थी। मैं तुरंत ओटी के पास पहुंचा और अपनी मां को लेकर वहां से निकल आया, साथ में अन्य परिजन भी थे। हालांकि, मेरी मां की फाइल अंदर ही छूट गई थी। किसी तरह वापस गया, लेकिन फाइल नहीं मिली। अंदर कई गंभीर मरीज भी मौजूद थे। बड़ा ही भयानक दृश्य था।

-आशुतोष तिवारी

मेरे फादर उमेश यादव की सर्जरी होने वाली थी। वह ओटी के बाहर इंतजार कर रहे थे। तभी अचानक आग लगने की सूचना मिली और हर ओर भगदड़ मचने लगी। तभी डॉक्टर बाहर आये और बोले कि आप लोग बाहर जाओ, हम मरीजों को शिफ्ट कर रहे हैं। जिसके बाद फादर को एमआईसीयू में शिफ्ट कराया गया, जहां उनकी हालत स्थिर बनी हुई है।

-अभिनव यादव

मेरा भाई शैलेंद्र आईसीयू में भर्ती है। हम लोग बाहर ही बैठे थे कि अचानक धुंआ भरने लगा। हर ओर हल्ला मच गया। लोग अपनी जान बचाने के लिए भागने लगे। हम लोग भी बचाव के लिए भागे, लेकिन भाई की चिंता होने लगी। राहत की बात यह रही कि उसे कुछ नहीं हुआ। उसकी हालत स्थिर बनी हुई है।

-अनूप गुप्ता

अचानक से कर्मचारी आये और चिल्लाने लगे कि सभी लोग बाहर निकालो क्योंकि धुंआ भर रहा है। इतना सुनते ही हम लोग बाहर की ओर भागे। हर ओर अफरातफरी मची हुई थी। यहां के सीसीएम में मेरा भाई दिलीप भर्ती है। धुंआ भरने के बाद उसे डायलिसिस यूनिट में शिफ्ट करा दिया गया है। फिलहाल उसकी स्थिति ठीक है।

-जय प्रकाश उपाध्याय

बच्चे का नाम तक नहीं रख पाये थे

मेरा नाती करीब एक माह का था। जन्मजात ही उसके दिल में छेद था, जिसको लेकर उसका इलाज चल रहा था। सर्जरी के लिए उसे 11 तारीख को पीजीआई के सीवीटीएस विभाग में भर्ती कराया गया था। सोमवार सुबह 10 बजे स्टाफ के लोग बच्चे को सर्जरी के लिए आपरेशन थियेटर में ले गए थे। डॉक्टरों ने कहा था कि आपरेशन 6 घंटे चलेगा। पर 2 घंटे बाद ही वहां आग लग गई और सब लोग खुद को बचाने के लिए वहां से भागने लगे, जिसके चलते मासूम की मौत हो गई। यह कहना है मृतक मासूम के नाना राम सुजन यादव का, जो अपने नाती की सर्जरी के लिए पीजीआई आये हुए थे।

बच्चे को बचाने का किसे ख्याल रहा होगा

परिजन ने बताया कि जब आग लगी, तो ओटी समेत चारों तरफ धुंआ ही धुंआ फैल गया था। सब लोग अपनी जान बचा कर भाग रहे थे। ऐसे में बच्चे को बचाने का किसे ही ख्याल रहा होगा। हम लोगों को कई घंटे बाद बताया गया कि आपके बच्चे की मौत हो गई है। उन्होंने आगे बताया कि अभी तो हम लोग बच्चे का नाम भी नहीं रख पाए थे। उसे मां नेहा के नाम पर ही बुलाया जाता था। हमारे तो परिवार की खुशियां ही उजड़ गईं।