लखनऊ (ब्यूरो)। बेसिक और माध्यमिक शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त जिन निजी प्रबंधन तंत्र के प्राथमिक और जूनियर विद्यालयों को समाज कल्याण विभाग के अनुदान पर संचालन किया जा रहा है। उन विद्यालयों में नामांकन संख्या आस-पास के सरकारी स्कूलों के बच्चों की दिखाई जा रही है। इस बात की जानकारी समाज कल्याण विभाग को मिली है। ऐसे में विभाग का कहना है कि इन विद्यालयों में शिक्षकों के वेतन से लेकर अन्य सुविधाओं का खर्च तो समाज कल्याण विभाग उठा रहा है, लेकिन यहां बच्चों की वास्तविक नामांकन संख्या में खेल करते हुए आस-पास के सरकारी विद्यालयों के बच्चों की संख्या दिखाई जा रही है। निरीक्षण में खेल पकड़ में आने के बाद समाज कल्याण विभाग के निदेशक आरके सिंह ने जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार को पत्र लिखकर जांच की मांग की है।

डीएम ने एक सप्ताह में मांगी रिपोर्ट

पत्र मिलने के बाद जिलाधिकारी की ओर से भी बीएसए और डीआईओएस को जांच के आदेश देते हुए एक सप्ताह में रिपोर्ट देने को कहा है। वहीं, समाज कल्याण विभाग को ये भी जानकारी मिली है कि विभाग से अनुदानित विद्यालयों के प्रबंधन आस-पास के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को पैसे देकर बच्चों को बुलाते हैं और निरीक्षण के दौरान नामांकन संख्या दिखाकर फिर बच्चों को उनके मूल विद्यालय में भेज दिया जाता है। ये खेल काफी समय से चल रहा है।

डीएम ने गठित की जांच कमेटी

मामला संज्ञान में आने के बाद जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार ने जांच कमेटी गठित कर दी है। इसमें जांच की जायेगी कि समाज कल्याण विभाग की ओर से अनुदानित विद्यालयों के अगल बगल कौन-कौन से सरकारी स्कूल चलते हैं और जिन विद्यालयों के बच्चे इन स्कूलों में भेजे गये वहां के शिक्षकों और प्रधानाध्यपकों की क्या भूमिका है। अगर जांच में कोई दोषी पाया जाता है तो कठोर कार्रवाई होना तय है।

14 विद्यालयों का संचालन समाज कल्याण विभाग के बजट से होता है। ऐसे में इन विद्यालय में सरकारी प्राथमिक और जूनियर विद्यालयों के बच्चों बैठाकर नामांकन संख्या दिखाई जायेगी तो फिर विभाग की ओर से इतना बजट देने का क्या फायदा। इस संबंध में जिलाधकारी को पत्र लिखा गया है।

-आरके सिंह, निदेशक, समाज कल्याण विभाग