लखनऊ (ब्यूरो)। वर्दी में सिपाही केवल अपराध ही नहीं बल्कि अशिक्षा के अंधकार को भी मिटा सकते हैं। यह साबित किया है लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट में तैनात एक महिला कांस्टेबल ने। एक तरफ जहां वह शहर की शांति व्यवस्था बनाए रखने में ईमानदारी से अपनी ड्यूटी करती हैं, उतनी ही लगन व सच्चे मन से गरीब बच्चों के जीवन मेें शिक्षा का उजाला फैला रही हैं।

न क्लासरूम है, न स्कूल की छत

इस महिला कांस्टेबल को बच्चे मैैम या टीचर नहीं बल्कि 'पुलिस वाली दीदी' कहकर पुकराते हैं। वह इन गरीब बच्चों को पिछले सात महीनों से हर दिन दो घंटे पढ़ाती हैं। अंतर बस यह है कि न उनके पास क्लासरूम है और न स्कूल की छत। खुले आसमान और रोड किनारे हर दिन क्लास लगती है। इस क्लास में ऐसे बच्चे आते हैं जिनके मां-बाप के पास उन्हें पढ़ाने के न तो पैसे हैं और न ही रहने को घर। झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ उनके लिए स्टेशनरी की व्यवस्था भी पुलिस वाली दीदी खुद करती हैैं। डायल 112 में तैनात महिला कांस्टेबल सरिता शुक्ला जानकीपुरम में पुलिस वाली मैडम के नाम से मशहूर हो चुकी हैं। वह अपनी पाठशाला में 30 से ज्यादा बच्चों को पढ़ाती हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने कई बच्चों के तो सरकारी स्कूलों में दाखिले भी करवाए हैं।

'पुलिस वाली मैडम' के नाम से फेमस

मूलरूप से प्रतापगढ़ निवासी सरिता शुक्ला 11 बैच की महिला कांस्टेबल हैं। उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद पुलिस विभाग ज्वाइन किया था। वर्तमान में वह पीआरवी 483 जानकीपुरम इलाके में तैनात हैं। वह नौकरी से आने के बाद नियम से गरीब बच्चों को पढ़ाती हैं। सरिता शुक्ला बच्चों को ना सिर्फ अक्षर ज्ञान दे रही हैं, बल्कि समय-समय पर खुद ही अपने पैसों से उन्हें किताबें भी मुहैया कराती हैं। सरिता शुक्ला अपने इस नेक कार्य की बदौलत क्षेत्र में पुलिस वाली मैडम के नाम से जानी जाती हैं। जिन गरीब परिवारों के बच्चों को पुलिस वाली मैडम शिक्षित कर रही हैं, वे उनका शुक्रिया अदा करते नहीं थकते हैं।

काफी संख्या में आते हैं बच्चे

सरिता शुक्ला की करीब 6 महीने पहले ही जानकीपुरम इलाके में तैनाती हुई थी। यहां उन्होंने देखा कि गरीबी की वजह से कुछ मासूम शिक्षा से वंचित हैं। ये देखकर उन्हें काफी दुख हुआ और फिर उन्होंने ठान लिया कि वे इन बच्चों को शिक्षित करेंगी। फिर क्या था उन्होने शुरू कर दी अपनी पाठशाला। शुरू में वह कुछ बच्चों को पढ़ाया करती थीं, बाद में कारवां बढ़ता गया और आज आलम ये है कि अच्छी खासी संख्या में बच्चे उनकी पाठशाला में पढऩे आते हैं।

सरकारी स्कूल में कराए दाखिले

बच्चे भी पुलिस वाली मैडम से खासे घुल मिल गए हैं। कई बार तो सरिता बच्चों के साथ हंसते गाते झुमते भी देखी जाती हैं। उनकी इस निस्वार्थ सेवा की उनके महकमे के अधिकारी भी काफी प्रशंसा करते हैं। वहीं, सरिता कहती हैं कि उन्हें बच्चो को पढ़ाने का शौक है। उन्होंने ने बताया कि उनकी प्राथमिकता रहती है कि बच्चों का सरकारी स्कूल में एडमिशन भी कराया जाए। उन्होंने बताया कि अब तक जिन बच्चों का आधार कार्ड बना है, प्राथमिक विद्यालय में उनका दाखिला भी कराया है और आगे बच्चों को सरकारी स्कूल में भर्ती कराने के लिए प्रयासरत हैं।

बढ़ रहा है पाठशाला का दायरा

जानकीपुरम के चंद्रिका टावर में उनकी क्लास चलती है। पहले आस-पास के झुग्गी झोपड़ी के बच्चे उनके पढऩे आते थे लेकिन अब खदरी, रेलवे क्रासिंग समेत कई जगहों से बच्चे हर दिन उन के पास पढऩे आते हैं। सरिता शुक्ला का कहना है कि उनकी ड्यूटी दो शिफ्ट में लगती है। जिस दिन ड्यूटी सुबह 6 से दोपहर 2 बजे तक होती है, उस दिन उनकी क्लास शाम 4.30 बजे लगती है। जिस दिन ड्यूटी दोपहर 2 से रात 8 बजे होती है तो उनकी क्लास सुबह 10 बजे से चलती है। संडे छोड़ हर दिन वह नियमित अपनी क्लास में पढ़ाने जाती हैं। उनके इस निस्वार्थ भाव को देख कर कुछ सामाज सेवी संगठन व व्यापारियों गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए ब्लैक बोर्ड व स्टेशनरी भी उपलब्ध करा रहे हैं।