- प्रदेश के सरकारी अस्पताल में पहली बार हुई रोबोट से सर्जरी

LUCKNOW :

प्रदेश में रोबोटिक सर्जरी की मदद से सफल किडनी ट्रांसप्लांट को अंजान देने वाला एसजीपीजीआई पहला संस्थान बन गया है। यहां 42 वर्षीय महिला मरीज का किडनी ट्रांसप्लांट किया गया। निदेशक ने सफल ट्रांसप्लांट के लिए पूरी टीम को बधाई दी।

पहली बार रोबोटिक ट्रांसप्लांट

पीजीआई में नेफ्रोलॉजी, यूरोलॉजी व एनस्थिसिया विभाग की टीम ने रोबोटिक सर्जरी द्वारा सफल किडनी ट्रांसप्लांट को अंजाम दिया। बाराबंकी निवासी 42 वर्षीय महिला को किडनी की क्रोनिक बीमारी से ग्रसित थी और अप्रैल से हीमोडायलिसिस पर चल रही थीं। ऐसे में महिला को किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत बताई गई। जिसके लिए उसकी मां सामने आई और सभी जरूरी टेस्ट करने के बाद ट्रांसप्लांट को मंजूरी दी। करीब 3-4 घंटा की सर्जरी के बाद रोबोट की मदद से सफल ट्रांसप्लांट किया गया।

दर्द कम होता है

यूरोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ। अनीस श्रीवास्तव ने बताया कि रोबोट की मदद से सर्जरी को अंजाम देने के लिए अनुभवी होना जरूरी है क्योंकि यह बेहद ही एडवांस सर्जरी है। इससे फायदा यह होता है कि कम चीरा लगाया जाता है। इससे न केवल दर्द कम होता है बल्कि खून का रिसाव भी कम होता है।

प्राइवेट में महंगा

प्रो। अनीस ने बताया कि सर्जरी का पूरा खर्च फ्री रहा। सिर्फ अन्य मदों के तहत ही खर्च हुआ है। पूरे ट्रांसप्लांट में करीब 2 लाख का खर्च आया है। जबकि यहीं ट्रांसप्लांट निजी अस्पताल खासतौर पर दिल्ली व मुंबई में होता है, तो वहां पर करीब 8-10 लाख का खर्च आता है। ऐसे में पीजीआई में यह सर्जरी बेहद सस्ती हुई है।

टीम को बधाई

निदेशक प्रो। आरके धीमन ने बताया कि संस्थान में रोबोट के माध्यम से पहली बार किडनी ट्रांसप्लांट किया गया है। इसके लिए यूरोलॉजी विभाग के प्रो। अनीश श्रीवास्तव और नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रो। नारायण प्रसाद के साथ एनेस्थेटिक विभाग के प्रो। अनिल अग्रवाल व प्रो.संदीप साहू के अलावा डॉ। राजेश अहलावत की टीम शामिल रही। पूरी टीम को इसके लिए बधाई।