लखनऊ (ब्यूरो)। करियर काउंसलर्स की माने तो आट्र्स में सब्जेक्ट्स का चुनाव करने में तीन तरह की साइकी काम करती है। वो अधिकतर ऐसे सब्जेक्ट्स का चुनाव करते हैं जिसमें उनका अधिकांश जीएस का पार्ट कवर हो जाए। इसके बाद वे कैंडिडेट्स जो गवर्नमेंट जॉब्स की तैयारी करते हैं, वे इंग्लिश, हिंदी, सोशियोलॉजी का चुनाव करते हैं। आट्र्स का चुनाव करने वे कैंडिडेट्स आते हैं जो एक स्पेशिफिक सब्जेक्ट में करियर बनाना चाहते हैं। इन सब्जेक्ट्स में साइकोलॉजी, सोशियोलॉजी, लैंग्वेज सब्जेक्ट्स, जियोग्राफी, आर्कियोलॉजी, इकोनॉमिक्स, जियोलॉजी शामिल हैं।

इसका ध्यान रखना जरूरी
करियर काउंसलर के मुताबिक सब्जेक्ट कॉम्बिनेशन का चुनाव करते वक्त अपना लक्ष्य पहले से ही निर्धारित रखना चाहिए। सब्जेक्ट्स का चुनाव ऐसा हो जो एक दूसरे को कॉम्प्लीमेंट करें। अगर आप जियोलॉजी में करियर बनाना चाहते हैं तो बीए में बचे दो सब्जेक्ट्स ऐसे हों जो जियोलॉजी को कॉम्प्लीमेंट करें और साथ बेहतर करियर ऑप्शन दें।

लैंग्वेज सब्जेक्ट का विकल्प जरूरी
करियर काउंसलर प्रो। विवेक मिश्रा कहते हैं कि बीए में अपने विषयों का चुनाव करने से पहले जॉब के विकल्पों को देखें। तीन में से एक सब्जेक्ट लैंग्वेज का रखें। हिन्दी, इंग्लिश, संस्कृत जैसे लैंग्वेज विषय काफी स्कोप रखते हैंं। एक सब्जेक्ट ऐसा हो जिससे आप प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर सकें। जैसे पॉलिटिकल साइंस, सोशियोलॉजी जैसे सब्जेक्ट आपको प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार करते हैं। तीसरा सब्जेक्ट ऐसा हो जो रिसर्च फील्ड में काम आ सकें। हिस्ट्री, जियोग्राफी, इकोनॉमिक्स जैसे सब्जेक्ट रिसर्च में मदद कर सकते हैं।

इस कॉम्बिनेशन से मिलेगा फायदा
हिस्ट्री के साथ बीए करने के बाद एजुकेटर्स, हिस्टोरियन रिसर्चर, कम्युनिकेटर, इंफार्मेशन मैनेजर, अकेडमिक लाइब्रेरियन, आर्कियोलॉजिस्ट, आर्चिविस्ट, सिविल सर्विस एडमिनिस्ट्रेटर, एडिटोरियल असिस्टेंट, क्यूरेटर, पीपीसी स्पेशलिस्ट के तौर पर करियर बनाया जा सकता है। बीए के बाद एमए से जॉब विकल्प बेहतर होंगे। हिस्ट्री के साथ इंग्लिश, मैथ्स, पॉलिटिकल साइंस, संस्कृत, फिलॉसिफी, जियोग्राफी, इकोनॉमिक्स, सोशियालॉजी, स्टेटिस्टिक्स, साइकोलॉजी का चुनाव किया जा सकता है।

इकोनॉमिक्स में कई विकल्प
इकोनॉमिक्स के बाद एक्चुरियल एनालिस्ट, डेटा एनालिस्ट, इकोनॉमिस्ट, फाइनेंशियल रिस्क एनालिस्ट, फारेंसिक अकाउंटेंट, इंवेस्टमेंट एनालिस्ट, डिप्लोमैटिक सर्विस ऑफिसर, मैनेजमेंट कंसल्टेंट और क्वांटिटी सर्वेयर में जॉब के कई मौके हैं।

एंथ्रोपोलॉजी के साथ सोशियोलॉजी भी ले सकते हैं
एंथ्रोपोलॉजी से बीए करने के बाद सरकारी विभाग जैसे भारतीय मानव सर्वेक्षण संगठन, एनजीओ, रिसर्च आर्गेनाइजेशन जैसे बायोलॉजिकल रिसर्च में रिसर्च ओरिएंटेड जॉब्स मिल सकती हैं। इसमें स्पेशलाइजेेशन करने के बाद टीचिंग, सोशियो मेडिकल, पब्लिक हेल्थ, इकोनॉमिक्स, कम्युनिटी मेडिसिन, फारेंसिक साइंस, अर्बन हेल्थ और सर्वे जैसे एरिया में जॉब के बेहतरीन विकल्प खुल जाते हैं। एंथ्रोपोलॉजी के साथ एंशिएंट इंडियन हिस्ट्री, अरब कल्चर, कंपोजिट हिस्ट्री, सोशियोलॉजी बेहतर हैं।

इंग्लिश के बाद कम्युनिकेशन
ऑफिसर, ट्रांसलेटर, इवेंट प्लानर, सर्च इंजन मार्केटिंग, डायरेक्ट रिस्पॉन्स कॉपी राइटर, डिजिटल कॉपीराइटर, कंटेंट मार्केटिंग, टेक्निकल राइटर, न्यूज रिपोर्टर, पब्लिक रिलेशन, कॉरपोरेट ब्लॉगर, मार्केटिंग रिसर्चर, पॉलिसी एनालिस्ट, पब्लिक रिलेशन में करियर है। इंग्लिश के साथ एजुकेशन, फिलॉसिफी, पॉलिटिकल साइंस, हिस्ट्री ली जा सकती है। इसी तरह जियॉग्रोफी के बाद कॉर्रोग्राफर, क्लाइमेट चेंज एनालिस्ट, क्लाइमेटॉलाजिस्ट, इमरजेंसी मैनेजमेंट स्पेशलिस्ट, जीआईएस स्पेशलिस्ट, हाइड्रॉलाजिस्ट, पॉल्यूशन एनालिस्ट, सर्वेयर, टाउन प्लानर, रिमोट सेंसिंग एनालिस्ट में विकल्प है।

पॉलिसी एनालिस्ट बनना है तो पॉलिटिकल साइंस लें
पॉलिसी एनालिस्ट, पब्लिक रिलेशन स्पेशलिस्ट, सोशल मीडिया मैनेजर, मार्केटिंग रिसर्च एनालिस्ट, पॉलिटिकल कंसल्टेंट,पब्लिक अफेयर रिसर्च एनालिस्ट, बजट एनालिस्ट, पॉलिटिकल साइंटिस्ट, इंटरनेशनल रिलेशन में करियर के लिए पॉलिटिकल साइंस बेहतर ऑप्शन है। इसके साथ इकोनॉमिक्स, फिलॉसिफी, हिस्ट्री, इंग्लिश, साइकोलॉजी लेकर अच्छी जॉब पाई जा सकती है।