- मोटर व्हेकिल एक्ट में टैम्पो में डबल सिलेंडर लगाए जाने का नहीं है नियम

- परिवहन विभाग की लापरवाही से कभी भी हो सकता है हादसा

LUCKNOW:

कुशीनगर हादसे के बाद भी परिवहन विभाग के अधिकारी नहीं चेत रहे हैं। अवैध वाहनों की जांच के बजाय जागरुकता कार्यक्रम पर ही उनका फोकस है। एक तरफ ऑटो, टैम्पो और स्कूली वाहन नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। राजधानी में इन दिनों ऑटो, टैम्पो और स्कूली वैन अवैध सिलेंडर का प्रयोग कर धड़ल्ले से चल रहे हैं, लेकिन परिवहन विभाग के अधिकारी इससे बेपरवाह हैं। यह हाल तब है जब ग्रीन गैस लिमिटेड ने उन्हें गाडि़यों में प्रयोग हो रहे अवैध सिलेंडरों की जानकारी दे दी है।

लगवा रहे डबल सिलेंडर

कम्प्रेस नेचुरल गैस (सीएनजी) की किल्लत के चलते ऑटो, टैम्पो और स्कूली वैन वाले अपने वाहनों में डबल सिलेंडर लगवा रहे हैं। इससे कभी भी भयानक हादसा हो सकता है। ग्रीन गैस लिमिटेड के अधिकारियों ने इस मामले की जांच कराने के लिए आरटीओ ऑफिस को पत्र लिखा है। लेकिन आरटीओ ऑफिस के अधिकारियों के पास इन वाहनों की जांच के लिए वक्त नहीं है। ऐसे में यह वाहन राजधानी की सड़कों पर धड़ल्ले से फर्राटा भर रहे हैं।

किल्लत से बचने के लिए

राजधानी में सीएनजी की किल्लत से बचने के लिए अधिकांश वाहन संचालकों ने गाड़ी में मौजूद एक सिलेंडर के साथ ही एक और सिलेंडर रख लिया है। जिससे वह साढ़े चार की जगह नौ किलो तक सीएनजी एक बार में ले सकें। ग्रीन गैस लिमिटेड के अधिकारियों ने बताया कि वैन में छह किलो तो टैम्पो में साढ़े चार किलो तक सीएनजी आती है। लेकिन जब कई वाहनों में नौ से दस किलो तक सीएनजी पहुंच गई तो उन वाहनों के फ्यूल बॉक्स खुलवाए गए और जांच की गई। कई वाहनों में मानक के विपरीत डबल सिलेंडर लगे हुए पाए गए।

सीएनजी न भरने का आदेश

ऐसे में ग्रीन गैस लिमिटेड ने अपने रिफिलिंग सेंटरों के लिए आदेश जारी किया है कि वह ऐसे वाहनों में सीएनजी ना भरें। लेकिन डीलर प्वाइंट से इनमें सीएनजी मिल रही है। जब इस बात की जानकारी ग्रीन गैस को मिली तो उसने इन वाहनों की जांच के लिए आरटीओ ऑफिस के अधिकारियों को पत्र लिखा।

300 से अधिक वाहन

राजधानी में डबल सिलेंडर वाले 300 से अधिक वाहन रोड पर दौड़ रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक इनमें अवैध तरीके से प्रयोग किया जा रहा आक्सीजन सिलेंडर बेहद घातक है। सीएनजी भरते समय प्रेशर जहां 220 का रहता है तो आक्सीजन सिलेंडर में प्रेशर मात्र पांच और दस का होता है। ऐसे में कभी भी इन सिलेंडरों में सीएनजी रिफिलि करते समय हादसा हो सकता है।

आखिर कैसे मिल रही फिटनेस

अवैध रूप से लगाए जा रहे इन सिलेंडर की जांच सेंटर्स पर कैसे की जा रही है। वहां के अधिकारियों ने इस बात की सूचना अब तक आरटीओ कार्यालय में नहीं दी है। वहीं दूसरी और ऐसे वाहनों को फिटनेस प्रमाण पत्र कैसे मिल रहा है।

ऐसे वाहनों की जांच करा कर उन्हें रोका जाएगा। मुझे इन वाहनों की जानकारी नहीं थी। जिन गाडि़यों में इस तरह मोटर व्हेकिल एक्ट के अनुसार सीएनजी किट नहीं मिलेगी, उन्हें सीज किया जाएगा।

एके सिंह, आरटीओ

लखनऊ