- डीएम अभिषेक प्रकाश और उनकी कोर टीम कोरोना संकट के दौर में कर रही जी-तोड़ मेहनत

- परिवार और बच्चों से बनाई दूरी, जरूरतमंदों की हर दिक्कत पर मिल रहा तुरंत रिस्पॉन्स

LUCKNOW : कोरोना संकट के दौर में जब हर कोई अपने घरों में कैद होकर खैर मना रहा है, ठीक उसी वक्त कुछ अफसर ऐसे भी हैं जो अल सुबह से लेकर देररात तक जी-तोड़ मेहनत सिर्फ इसलिए कर रहे हैं कि राजधानी के बाशिंदों को किसी भी तरह की दिक्कत न पेश आए। हम बात कर रहे हैं जिलाप्रशासन की कोर टीम के अफसरों की। जो जिम्मेदारियों के निर्वहन के चलते अपने परिवार से भी ठीक तरह से मिलजुल नहीं पा रहे। पर, इन सबके बावजूद न तो इनके चेहरे पर शिकन है और ही कोई मलाल। अफसरों का यही कहना है जब वक्त और हालात ठीक हो जाएंगे तो वे परिवार को भी दिल खोलकर समय देंगे। आइये आपको मिलवाते हैं जिला प्रशासन की कोर टीम से और बताते हैं उनके दायित्वों व उनकी दिनचर्या के बारे में। पेश है पंकज अवस्थी की विशेष रिपोर्ट-

नाम: अभिषेक प्रकाश, डीएम

दायित्व: कोरोना संकट को लेकर पूरे जिले में होने वाली सभी व्यवस्थाओं का मैनेजमेंट व मॉनीटरिंग

डीएम अभिषेक प्रकाश ने लॉक डाउन शुरू होते ही तुरंत अपनी कोर टीम गठित कर उन्हें जिम्मेदारियां बांट दीं। राजधानी में रहने वाले लोगों को किसी भी तरह की कोई दिक्कत न हो, उन्होंने इसका विशेष ख्याल रखा। दिनभर मीटिंग कर वे खुद सभी कामों की खुद मॉनीटरिंग करते हैं। इसके अलावा सुबह 7 बजे से कम्युनिटी किचन के दौरों से शुरू होने वाली दिनचर्या, दोपहर में हॉटस्पॉट के निरीक्षण, आपदा राहत कंट्रोल रूम में आने वाली शिकायतों के निस्तारण की मॉनीटरिंग के बाद फिर शाम को तमाम जगहों का निरीक्षण करते हैं। इसके साथ ही देररात फिर से कैंप ऑफिस में बैठकर अगले दिन का प्लान चाकआउट करते हैं। डीएम अभिषेक प्रकाश बताते हैं कि लंबा अरसा बीत गया जब उन्होंने परिवार के साथ बैठकर खाना खाया था। फिलहाल तो परिवारीजनों से बात भी फोन पर ही हो पाती है।

नाम: विश्वभूषण मिश्र, एडीएम ट्रांसगोमती

दायित्व: खाने-पीने के सामान दुकानों में पर्याप्त उपलब्धता, मुनाफाखोरी व कालाबाजारी पर कार्रवाई करना, टीजी एरिया की दोनों मंडियों की व्यवस्था करना आदि

एलडीए के सचिव रह चुके और वर्तमान में एडीएम टीजी विश्वभूषण मिश्र की दिनचर्या सुबह तीन बजे दुबग्गा व सीतापुर रोड स्थित फल, सब्जी व अनाज मंडियों की निगरानी से शुरू होती है। सुबह 10 बजे तक मंडियों का निरीक्षण करने के बाद वापस घर लौटते हैं और नित्यकर्म करने के बाद फिर से तैयार होकर घर से निकल जाते हैं। एडीएम विश्वभूषण बताते हैं कि खाने-पीने के सामानाें की उपलब्धता और मुनाफाखोरी व कालाबाजारी पर रोक लगाने के लिये बाजारों का निरीक्षण करते हैं। इस दौरान जहां भी शिकायत मिलती है मौके पर ही कार्रवाई की जाती है। इसके बाद शाम को ट्रांसगोमती एरिया के सभी हॉटस्पॉट का निरीक्षण और वहां लोगों को डोर स्टेप डिलीवरी की समीक्षा करते हैं। एडीएम मिश्र के परिवार में पत्नी के अलावा तीन साल की बेटी और छह माह का बेटा है। जिनसे वे हर रोज महज 5 से 10 मिनट ही मिल पाते हैं।

नाम: केपी सिंह, एडीएम पूर्वी

दायित्व: इंटीग्रेटेड कंट्रोल रूम में आने वाली शिकायतों के तुरंत निस्तारण की व्यवस्था, सीएम हेल्पलाइन से मिलने वाली शिकायतों का निस्तारण, पूर्वी इलाके में स्थित हॉटस्पॉट में जरूरी सामानों की डोर स्टेप डिलीवरी की व्यवस्था

एडीएम पूर्वी केपी सिंह की भी दिनचर्या सुबह 7 बजे अपने एरिया में स्थित हॉटस्पॉट इलाकों के निरीक्षण से शुरू होती है। जहां वे खुद लोगों से मिलकर पता करते हैं कि उन्हें सभी जरूरी सामान व दवा समय पर मिल रही है या नहीं। एडीएम सिंह बताते हैं कि हॉटस्पॉट निरीक्षण के फौरन बाद वे इंटीग्रेटेड कंट्रोल रूम पहुंच जाते हैं और वहां मिली शिकायतों पर की गई कार्रवाई की पड़ताल करते हैं। इसके अलावा शिकायतकर्ताओंको खुद फोन कर फीडबैक भी लेते हैं। दोपहर 2 बजे से सीएम हेल्पलाइन में आने वाली शिकायतों का निस्तारण सुनिश्चित किया जाता है। शाम 3.30 बजे से फिर एक बार हॉटस्पॉट का दौरा करते हैं और लोगों से डोर स्टेप डिलीवरी का फीडबैक लेते हैं। शाम पांच बजे से रात 11 बजे फिर से कंट्रोल रूम में शिकायतों और उनके निस्तारण का फीडबैक लेते हैं।

नाम: आरपी पांडेय, एडीएम सिविल सप्लाई

दायित्व: सभी तरह के जरूरी सामान जैसे गैस, केरोसीन, पेट्रोल, राशन, सब्जी आदि की सुचारू सप्लाई सुनिश्चित करना, हॉटस्पॉट में आवश्यक सामानों की सप्लाई, कालाबाजारी व मुनाफाखोरी की सूचना पर छापेमारी कर कार्रवाई, गेहूं क्रय केंद्र की जिम्मेदारी

एडीएम सिविल सप्लाई आरपी पांडेय की जिम्मेदारी इस मुश्किल वक्त में सबसे अहम है। लिहाजा, वे सुबह छह बजे ही घर से निकल पड़ते हैं। सबसे पहले शहर के सभी 18 हॉटस्पॉट पर पहुंचकर वहां लोगों से जरूरी सामानों की सप्लाई सुनिश्चित करते हैं। यह करते-करते दोपहर के 12 बज चुके होते हैं। इसके बाद थोक बाजारों का दौरा कर वहां सामानों की उपलब्धता की पड़ताल करते हैं। बाजारों का हाल लेने के बाद राजधानी में बनाए गए 42 गेहूं क्रय केंद्रों में से अधिकतम केंद्रों पर पहुंचकर वहां के हालात का जायजा लेते हैं। एडीएम पांडेय बताते हैं इतना करते रात के 10 बज जाते हैं। जिसके बाद दिनभर की गतिविधि पर डीएम को ब्रीफिंग देते हैं और अगले दिन के लिये दिशानिर्देश लेते हैं। इस बीच अगर किसी जरूरतमंद की सूचना आ जाती है तो उसे आधे घंटे के भीतर मदद पहुंचवाने का भी इंतजाम करते हैं। परिवार के बारे में एडीएम पांडेय बताते हैं कि पत्‍‌नी, दो बेटियों व एक बेटे से सिर्फ मामूली बातचीत हो पाती है। इतना समय ही नहीं होता कि उनसे उनके हाल पूछें।

नाम: अमरपाल सिंह, एडीएम एडमिन

दायित्व: बेघरों को आश्रयस्थलों में ठहराना, क्वारंटाइन स्थलों का निर्माण व मैेनेजमेंट, हॉस्पिटल्स की व्यवस्था सुचारू रखना, वापस लौटे या क्वारंटाइन पूरा कर चुके लोगों को उनके घरों तक सुरक्षित पहुंचाना, गरीब मजदूरों को डीबीटी के जरिए 1000 रुपये की धनराशि मुहैया कराना

एडीएम एडमिन अमर पाल सिंह पर कोरोना संकट के दौरान जारी आपदा राहत की भारी जिम्मेदारी है। बेघरों के लिये आश्रयस्थलों का निर्माण व उनका मैनेजमेंट, बाहर से आने वाले लोगों व स्वस्थ होने वाले कोरोना मरीजों के लिये क्वारंटाइन सेंटर्स की व्यवस्था जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रहे एडीएम सिंह बताते हैं कि उन्हें सुबह 9 बजे शासन को बीते दिन की संपूर्ण रिपोर्ट शासन को भेजनी होती है। लिहाजा, वे सुबह सात बजे ही घर से निकलकर कलेक्ट्रेट पहुंच जाते हैं। रिपोर्ट भेजने के बाद डीएम के साथ मीटिंग में वर्तमान दिन का पूरा खाका खींचा जाता है। जिसके बाद क्वारंटाइन सेंटर्स का दौरा कर वहां की व्यवस्थाओं का जायजा लेते हैं। एडीएम सिंह बताते हैं कि इसके बाद दफ्तर में ही बैठकर पेंडिंग काम निपटाते हैं। रात में 11 बजे डीएम के साथ एक बार फिर मीटिंग के बाद अगले दिन का प्लान बनाते हैं और रात 12 के बाद ही घर पहुंच पाते हैं। उन्होंने बताया कि घर में पत्‍‌नी, एक बेटा नौ साल और एक बेटा सात साल का है। दिनभर बाहर रहने की वजह से एहतियातन खुद को आइसोलेट कर लिया है। बच्चों या पत्‍‌नी से सुरक्षित दूरी बनाकर ही बातचीत होती है।