- इंटरनेशनल लेवल और ओलम्पिक में मेडल लाने के लिए खेल विभाग ने बनाया प्रस्ताव

- पहले फुटबाल और हॉकी के खेल के लिए आएंगे विदेशी कोच

LUCKNOW: वह दिन दूर नहीं है, जब प्रदेश के खेल मैदानों में विभिन्न खेलों के विदेशी कोच यहां के खिलाडि़यों को ट्रेनिंग देते नजर आएंगे। प्रदेश में खेलों का स्तर सुधारने के लिए खेल विभाग ने विदेश के दिग्गज कोच को अप्वाइंट करने की तैयारी कर ली है। खेल विभाग ने इसके लिए एक प्रस्ताव तैयार कर लिया है। जल्द ही इस प्रस्ताव को शासन में भेज कर फॉरेन कोच को अप्वाइंट करने की परमीशन ली जाएगी।

26 से अधिक खेलों की चल रही है ट्रेनिंग

यूपी स्पो‌र्ट्स डायरेक्ट्रेट के अधिकारियों की मानें तो इस समय प्रदेश में 26 से अधिक खेलों की ट्रेनिंग चल रही है। इसमें एथलेटिक्स, तीरंदाजी, नेटबॉल, तलवारबाजी, जिम्नास्टिक, बैडमिंटन, ताइक्वांडो, वुशू, फुटबॉल, हैंडबॉल, लॉन टेनिस, तैराकी, बास्केटबॉल, वॉलीबॉल, पॉवरलिफ्टिंग, वेटलिफ्टिंग, हॉकी, जूडो, बॉक्सिंग, क्रिकेट, स्कवैश, शूटिंग, रेसलिंग खेल शामिल हैं। खेलों की ट्रेनिंग के लिए खेल विभाग के स्पो‌र्ट्स हॉस्टल और स्पो‌र्ट्स कॉलेज मौजूद हैं। जहां पर खिलाडि़यों के लिए हॉस्टल भी हैं। खिलाड़ी यहां रहकर प्रोफेशनल ट्रेनिंग हासिल करते हैं। अभी तक हॉकी, फुटबॉल, वॉलीबॉल, बास्केटबॉल, स्वीमिंग, जिम्नास्टिक, हैंडबॉल, जूडो और रेसलिंग जैसे खेलों में ही हॉस्टल की सुविधा मिल पा रही है। इन सभी जगहों पर देश के नेशनल और इंटरनेशनल लेवल के खिलाडि़यों और एनआईएस कोच की तैनाती की गई है। वे ही खिलाडि़यों की ट्रेनिंग कराते हैं।

सामने नहीं आ रहा रिजल्ट

खेल विभाग के अधिकारियों ने बताया कि करोड़ों का बजट खर्च होने के बाद भी इंटरनेशनल लेवल पर यूपी का रिजल्ट बेहद खराब रहता है। यहां के खिलाड़ी इंटरनेशनल लेवल पर मेडल्स नहीं ला पाते हैं। खासी ट्रेनिंग के बाद भी हम उनसे बहुत पीछे छूट जाते हैं। फुटबॉल और हॉकी जैसे खेलों में इंडिया टॉप फाइव में नहीं है। इतना ही नहीं यहां पर ट्रेनिंग शेड्यूल और टेक्निक कई साल पुरानी ही चल रही है। उसी के अनुसार खिलाडि़यों को ट्रेंड किया जाता है। यहां के कोचेस भी विदेशों में उपलब्ध होने वाली सुविधाओं के बारे में जानकारी नहीं ले पाते हैं। जबकि विदेशों में खिलाडि़यों की ट्रेनिंग व्यवस्था हमसे कहीं बेहतर हैं।

खूब होता है टेक्नोलॉजी का यूज

वहां पर टेक्नोलॉजी का यूज जमकर किया जा रहा है। वहां की टेक्नोलॉजी और उनकी ट्रेनिंग सिस्टम को इंडिया में लागू किया जा सके, इसी के लिए यहां पर विदेशी कोच की जरूरत पड़ी है। खेल विभाग के अधिकारियों की मानें तो सबसे पहले फुटबॉल में और उसके बाद हॉकी में सबसे पहले विदेशी कोच को लाये जाने की तैयारी है।

साई में पहले से है व्यवस्था

यूपी स्पो‌र्ट्स डायरेक्ट्रेट के अधिकारियों ने बताया कि साई (स्पो‌र्ट्स अथारिटी ऑफ इंडिया) में पहले से ही विदेशी कोच को अप्वाइंट करने की छूट है। उनके यहां समय-समय पर विदेशी कोच ट्रेनिंग देने के लिए आते रहते हैं। इतना ही नहीं उनके यहां खेलों के प्रमोशन के लिए समय-समय पर फॉरेन भेजा जाता है। जिससे इंडियन कोच फॉरेन में ट्रेनिंग के लिए उपलब्ध सुविधाओं और उनकी टेक्निक जानकर खुद को अपग्रेड कर सके। खेल विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अभी पहले विदेशी कोचेज को यहां पर बुलाया जाएगा, उसके बाद अगले दौर में यहां के कोचेज को भी ट्रेनिंग के लिए फॉरेन भेजा जा सकता है।

अभी इस मामले की जानकारी मुझे नहीं है। प्रस्ताव आने पर इस पर विचार किया जा सकता है। स्पो‌र्ट्स डेवलपमेंट के लिए जो जरूरी होगा, उस पर काम किया जाएगा।

- भुवनेश कुमार

खेल सचिव

क्या कहते हैं प्लेयर्स

फुटबॉल में इंडिया टीम व‌र्ल्ड कप जैसे टूर्नामेंट में क्वालीफाई करने के लिए सपना ही देख रही है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि विदेशों में फुटबॉल की टीम कैसे तैयारी कर रही है। उनकी रणनीति क्या है। विदेशी कोच को यहां पर ग्रास रूट लेवल से इसकी शुरुआत करेंगे।

- धन सिंह,

पूर्व नेशनल प्लेयर

विदेशी कोच के आने से निश्चित रूप से फायदा होगा। वहां की टेक्निक और तैयारी के बारे में हम लोगों को जानकारी करने का मौका मिलेगा। इससे निश्चित रूप से हमें फायदा होगा।

- रजनीश मिश्रा

पूर्व कप्तान, इंडिया हॉकी टीम

इंडिया टीम पर विदेशी कोच की सुविधा खिलाडि़यों को मिल ही रही है। लेकिन जब ग्रास रूट लेवल पर भी इसकी ट्रेनिंग मिलने लगेगी तो खिलाडि़यों को फायदा मिलेगा ही। जरूरी नहीं कि इनको साल भर के लिए बुलाया जाए। कम समय में भी इनसे शेडयूल और ट्रेनिंग सिस्टम की जानकारी लेकर बेहतर ट्रेनिंग खिलाडि़यों को दी जा सकती है।

- जेएस भाटिया

पूर्व कोच इंडिया एथलेटिक्स टीम