लखनऊ (ब्यूरो)। अगर पावर कारपोरेशन की चली तो आने वाले दिनों में नया बिजली कनेक्शन लेना 20 से 25 प्रतिशत तक महंगा हो सकता है। इसके साथ ही कारपोरेशन की ओर से डबल जीएसटी भी लगाए जाने की तैयारी की जा रही है। कुल मिलाकर उपभोक्ता की जेब ढीली होगी। हालांकि, उपभोक्ता परिषद की ओर से इसका लगातार विरोध किया जा रहा है।

दर वृद्धि का लगा रहा जोर

प्रदेश की बिजली कंपनियों ने नई कॉस्ट डाटा बुक को लेकर नियामक आयोग में जवाब दाखिल किया गया है। यह जवाब उपभोक्ता परिषद की ओर से उठाए गए सवालों के एवज में दाखिल किए गए हैैं। जो जवाब दाखिल किया गया है, उससे साफ है कि पावर कारपोरेशन 20 से 25 प्रतिशत उपभोक्ता सामग्रियों की दरों में वृद्धि के लिए पूरा जोर लगा रहा है यानी पावर कारपोरेशन आने वाले समय में उपभोक्ताओं के नए कनेक्शन की दरों में व्यापक वृद्धि चाहता है, जिसे उपभोक्ता परिषद कामयाब नहीं होने देगा। वहीं दूसरी ओर, विद्युत नियामक आयोग पावर कारपोरेशन के जवाब के बाद मंथन में लगा है और विद्युत नियामक आयोग ने दोबारा पावर कारपोरेशन से कुछ सवालों का जवाब मांगा है। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा जब भी नई कॉस्ट डाटा बुक को लेकर बैठक होगी, उसमें बड़े खुलासे किए जाएंगे और पावर कारपोरेशन की चाल को किसी भी सूरत में कामयाब होने नहीं दिया जाएगा।

चार साल बाद बन रही डेटा बुक

पावर कारपोरेशन द्वारा दाखिल जवाब में यह तर्क दिया गया है की कॉस्ट डाटा बुक चार साल बाद बन रही है, इसलिए 20 से 25 प्रतिशत तक की वृद्धि स्वाभाविक है। वहीं दूसरी ओर पावर कारपोरेशन के निदेशक वाणिज्य अमित कुमार श्रीवास्तव की तरफ से उपभोक्ता परिषद द्वारा उठाए गए बिंदुओं पर जो जवाब आयोग में दाखिल किया गया है, उसमें पूरी तरीके से स्पष्ट किया गया है कि पावर कारपोरेशन द्वारा जो दरें नई कॉस्ट डाटा बुक में प्रस्तावित की गई है वह पावर कारपोरेशन के स्टॉक इशू रेट वर्ष 2022-23 के आधार पर प्रस्तावित की है। पावर कारपोरेशन का मानना है कि स्टॉक रेट में सम्मिलित सभी उपभोक्ता सामग्रियों में भले ही जीएसटी सम्मिलित हैं, लेकिन पावर कारपोरेशन कॉस्ट डाटा बुक में एक बार और जीएसटी लेने का पक्षधर है। पावर कारपोरेशन ने स्पष्ट लिखा है कि यदि दुबारा जीएसटी नहीं ली गई तो इससे बिजली निगम को वित्तीय हानि होगी। वहीं, पावर कारपोरेशन ने अपने जवाब में यह भी लिखा है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर के सभी टेंडर फाइनल नहीं किए गए हैं इसलिए उसकी दरें अभी कॉस्ट डाटा बुक में सम्मिलित किया जाना उचित नहीं है।

पहले से ही जीएसटी शामिल

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि पावर कारपोरेशन कितना भी जोर लगा ले लेकिन उसे उपभोक्ताओं का उत्पीड़न नहीं करने दिया जाएगा। यह कौन सा कानून है कि पहले उपभोक्ता सामग्री की दरों में जीएसटी सम्मिलित कर नई कॉस्ट डाटा बुक में दरें प्रस्तावित की गईं और उसमें बड़ी चालाकी से लिख दिया की जीएसटी सम्मिलित नहीं है। जब उपभोक्ता परिषद ने उसका खुलासा कर दिया की दरों में जीएसटी सम्मिलित है तो अब खुलेआम पावर कारपोरेशन जवाब दे रहा है कि यदि डबल जीएसटी न वसूली गई तो बिजली कंपनियों का नुकसान होगा। अब कारपोरेशन दोबारा जीएसटी लगाकर नई कॉस्ट डाटा बुक बनवाना चाहता है यानी कि उपभोक्ताओं से डबल जीएसटी से भी ज्यादा लगभग 37 प्रतिशत जीएसटी लेने की तैयारी की जा रही है।