लखनऊ (ब्यूरो)। ब्लड प्रेशर की तरह आंख का भी प्रेशर (ओकुलर हाइपरटेंशन) बढ़ जाता है, जिसका सही समय पर सही इलाज न होने पर आप्टिक नर्व डैमेज हो सकती है। ऐसा ग्लूकोमा के कारण हो सकता है। नर्व डैमेज होने के बाद आंख की रोशनी लाना कई मामलों में संभव नहीं होता है, इसलिए 40 की उम्र के बाद हर व्यक्ति को आंख प्रेशर की जांच जरूरी करवानी चाहिए। यह जानकारी संजय गांधी पीजीआई के नेत्र रोग विभाग द्वारा पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में दी गयी।

अन्य वजहों से भी समस्या

कोर्स में पूरे प्रदेश से 110 से अधिक छात्रों और 60 से अधिक नेत्र रोग विशेषज्ञों ने भाग लिया। छात्रों को आंख की कई बीमारियों और इलाज के बारे में जानकारी दी गयी। विभाग के प्रमुख प्रो। विकास कनौजिया और प्रो। रचना अग्रवाल ने बताया कि आंखों में दबाव होना या दर्द महसूस होना आंखों की बाकी समस्या से एकदम अलग है। यह मस्तिष्क के दूसरे हिस्से से शुरू होता है। कई बार तनाव, सिरदर्द, क्लस्टर सिरदर्द और माइग्रेन आदि की वजह से भी समस्या हो जाती है।

कम किया जा सकता है

ग्लूकोमा हमारी आंख के अंदर दबाव का एक परिणाम है। लाल आंखें हो जाना या आंखों में एलर्जी हो जाने से आंखों में दर्द तो होता है, आंखों के पीछे होने वाले दबाव या दर्द, जलन और चुभन का अहसास भी होता है। कई बार इसकी वजह से आंखों में खिंचाव भी अधिक बढ़ जाता है। आंख में प्रेशर का इलाज भी ब्लड प्रेशर की तरह पूरी जिंदगी करवाना पड़ता है। इससे रोशनी घटने की दर को काफी कम किया जा सकता है।