लखनऊ (ब्यूरो)। भरवारा हो या दौलतगंज एसटीपी (सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट), दोनों में एक ही तकनीक अपनाने की तैयारी की जा रही है, जिसके बाद दोनों एसटीपी से गोमती में जाने वाला सीवरेज के पानी में पॉल्यूशन लोड बेहद कम होगा। जिसका फायदा यह है कि गोमती का पानी काफी हद तक स्वच्छ होगा।

अभी पानी ट्रीट किया जाता
वर्तमान समय में भरवारा और दौलतगंज एसटीपी में सीवरेज के पानी को ट्रीट किया जाता है, फिर इसे गोमती में छोड़ दिया जाता है। अभी करीब 401 एमएलडी पानी ट्रीट किया जा रहा है। मतलब दोनों प्लांट अपनी क्षमता के अनुसार ही चल रहे हैैं और सुएज इंडिया की ओर से दोनों प्लांट्स को बेहतर तरीके से ऑपरेट किया जा रहा है।

700 एमएलडी पानी जेनरेट हो रहा
पूरी राजधानी की बात करें तो रोज 700 एमएलडी सीवरेज वाटर जेनरेट हो रहा है। इसमें से करीब 450 एमएलडी पानी ट्रीट किया जाता है। बाकी सीवरेज का पानी तभी पूरी तरह से ट्रीट हो पाएगा, जब एसटीपी से जुड़े अन्य प्रोजेक्ट्स इंप्लीमेंट हो जाएगा। उम्मीद है कि जल्द ही भरवारा, बिजनौर में नए एसटीपी के शुरू होने के बाद जेनरेट होने वाले सीवरेज के पानी को पूरी क्षमता के साथ ट्रीट किया जा सकेगा।

इस टेक्निक पर हो रहा काम
जलनिगम और सुएज इंडिया की ओर से वर्तमान में शोधित होने वाले पानी को और बेहतर करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। इसके लिए दोनों एसटीपी में अपग्रेडेड क्लोरिनेशन सिस्टम लागू किया जा रहा है। इसका फायदा यह होगा कि अभी तक जो क्लोरिनेशन की तकनीक यूज हो रही थी, अब उससे और ज्यादा एडवांस फॉरमेट में सीवरेज को शोधित किया जा सकेगा। इस तकनीक के बाद जब एसटीपी से सीवरेज शोधित होकर गोमती में जाएगा तो उसमें पॉल्यूशन लोड बेहद कम होगा। जिससे गोमती का पानी और शुद्ध होगा।

इस तरह समझें
345 एमएलडी क्षमता भरवारा एसटीपी की
56 एमएलडी क्षमता दौलतगंज एसटीपी की
450 एमएलडी सीवरेज पानी हो रहा ट्रीट
701 एमएलडी सीवरेज हो रहा है जेनरेट
2019 से सुएज इंडिया संभाल रही एसटीपी

चार एजेंसियां कर रहीं मॉनीटरिंग
केंद्र के साथ लोकल लेवल पर चार एजेंसियां दोनों एसटीपी संचालन की मानीटरिंग कर रही हैं। इन एजेंसियों में यूपीपीसीबी, सीएसआईआर, ऑनलाइन मानीटरिंग और यूपी जल निगम शामिल हैं। समय-समय पर अमृत योजना 2.0 से जुड़े केंद्रीय स्तर के अधिकारी भी प्लांट्स की विजिट करते हैं। हाल में उच्च अधिकारियों की टीम ने दोनों प्लांट का विजिट किया था और पाया था कि प्लांट बेहतर तरीके से चल रहा है।

पाल्यूशन लोड कम होने के फायदे
जब शोधित पानी में पॉल्यूशन लोड कम होगा तो साफ है कि जब वो गोमती में जाकर मिलेगा तो गोमती का जल और शुद्ध होगा। ऐसा नहीं है कि अभी क्लोरिनेशन नहीं हो रहा है लेकिन जब एडवांस फॉर्मेट लागू हो जाएगा को क्लोरिनेशन की प्रक्रिया और बेहतर हो जाएगी।

सेफ्टी पर पूरा फोकस
सुएज इंडिया की ओर से एसटीपी में तैनात अपने कर्मचारियों की सेफ्टी पर भी पूरा फोकस किया जा रहा है। सभी कर्मचारियों को पीपीई किट देने के साथ सेफ्टी से संबंधित उपकरण भी मुहैया कराए गए हैं। जिससे एसटीपी में काम करने वाले कर्मचारी सेफ रहें और उनके साथ कोई हादसा न हो।

हमारी ओर से दोनों प्लांट भरवारा और दौलतगंज को पूरी क्षमता के साथ चलाया जा रहा है। हम अपग्रेडेड क्लोरिनेशन सिस्टम पर भी काम कर रहे हैैं, जिससे शोधित पानी में पॉल्यूशन लोड और भी कम हो जाएगा।
राजेश मठपाल, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, सुएज इंडिया, लखनऊ