- भ्रूण लिंग की जांच बताने के लिए शुरू की गई थी योजना

- 'मुखबिर' के लिए राजधानी में नहीं हुआ एक भी रजिस्ट्रेशन

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रुष्टयहृह्रङ्ख:कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए प्रदेश सरकार ने 'मुखबिर' योजना शुरू की थी। जिसमें रजिस्ट्रेशन करवाकर कोई भी अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर भ्रूण लिंग की जांच की जानकारी दे सकता है। जानकारी देने वाले को प्रोत्साहन राशि दी जानी थी और उसका नाम-पता गुप्त रखना था। योजना शुरू होने के कई वर्ष बाद भी जिला स्वास्थ्य विभाग को 'मुखबिर' ढूंढे नहीं मिल रहे हैं, जिससे राजधानी में ही यह योजना परवान नहीं चढ़ पा रही है।

कार्यवाही से बचता विभाग

राजधानी के शहरी एवं ग्रामीण इलाकों में अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर भ्रूण लिंग जांच की शिकायतें मिलती हैं, लेकिन पुख्ता जानकारी और सबूत के अभाव में इन सेंटर्स पर कार्रवाई नहीं हो पाती है। इसी को लेकर मुखबिर योजना शुरू की गई थी। जिसमें दो लाख की प्रोत्साहन राशि तीन चरणों में दी जाती है। इसमें जांच कराने वाली महिला को एक लाख, मुखबिर को 60 हजार और सहायक को 40 हजार रुपए दिए जाने की व्यवस्था है। हालांकि अभी इस योजना के लिए किसी ने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है। शुरूआत में एक-दो शिकायतें आई लेकिन सबूत न होने पर विभाग ने कार्रवाई नहीं की।

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पहचान खुलने का डर

इस योजना में लोगों का सहयोग न मिलने का कारण बताया जा रहा है कि इसमें सूचना देने वाले को कोर्ट के सामने भी आना होगा। ऐसे में लोगों को पहचान खुलने का डर रहता है और वे मुखबिर बनने के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं करा रहे हैं।

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अभी कोई जानकारी नहीं मिली है कि कहीं भू्रण के लिंग की जांच हो रही है। विभाग अपने स्तर से जानकारी जुटाने का काम करता है। फिलहाल मुखबिर के लिए कोई रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है।

डॉ। नरेंद्र अग्रवाल, सीएमओ