लखनऊ (ब्यूरो)। ओवर स्पीडिंग, बिना हेलमेट पहने, बगैर सीट बेल्ट बांधे और रॉग साइड गाड़ी दौड़ाने के चलते ही सबसे ज्यादा रोड एक्सीडेंट होते हैं, जिसमें मरने वाली की संख्या लगातार बढ़ रही है। हालांकि, चालान जैसी पुलिस की कार्रवाई के चलते कुछ वर्षों में मौत के आंकड़ों में कमी तो आई है लेकिन इस वर्ष 6 माह में ही 200 से ज्यादा लोग रोड एक्सीडेंट में अपनी जान गंवा चुके हैैं। शहरी क्षेत्रों में तो पुलिस की सख्ती नजर आती है लेकिन हाईवे व आउट स्कर्ट एरिया में अभी भी पुलिस की अनदेखी और लोगों की लापरवाही के चलते हादसे हो रहे हैं।

पांच साल में 1800 की गई जान

राजधानी के शहरी इलाके व आउट स्कर्ट एरिया में पांच साल में पांच हजार से ज्यादा रोड एक्सीडेंट के मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें 1800 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इस हादसे की वजह से 3000 से ज्यादा लोग घायल होकर अपाहिज तक हो चुके हैं। परिवहन विभाग हो या फिर ट्रैफिक व पुलिस विभाग हादसों को रोकने के लिए सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ा रहे हैं। साल में सिर्फ एक बार यातायात माह के नाम पर जागरूकता अभियान चलाया जाता है।

तीन लापरवाहियां हादसों की वजह

रोड एक्सीडेंट के आंकड़ों के सर्वे के अनुसार, तीन अहम कारण ही हादसों की वजह है। जिसमें ओवर स्पीड, बिना हेलमेट व सीट बेल्ट और रॉग साइट चलते के कारण ही सबसे ज्यादा हादसे होते हैं। शहरी क्षेत्र में यह कारण कम है लेकिन आउट स्कर्ट, हाईवे और रूरल एरिया सबसे ज्यादा वजह है रोड एक्सीडेंट की। शहरी क्षेत्र में तीन लापरवाहियों के लिए हर दिन सैकड़ों लोगों से चालान व जुर्माना भी वसूला जा रहा है।

रोड एक्सीडेंट को रोकने के लिए समय-समय पर अभियान चलाकर लोगों को जागरूक किया जाता है। स्कूल कॉलेजों में भी बच्चों को जागरूक किया जा रहा है। इसके अलावा चालान और चेकिंग भी की जा रही है। स्टंटबाजों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई भी हो रही है।

-सुभाष शाख्य, डीसीपी ट्रैफिक