लखनऊ (ब्यूरो)। लखनऊ के शांति नगर, सरोजनी नगर निवासी निर्मल कुमार चौरसिया ने यूक्रेन से लौटी अपनी बेटी अंजली चौरसिया का दर्द बयां किया। उन्होंने बताया कि उनकी बिटिया की जुबान लड़खड़ा रही है, आंसू झलक रहे हैैं, उसका हर शब्द यूक्रेन की भयावह तस्वीर को बयां कर रहा है। वह भले ही सुरक्षित लौट आई हो लेकिन उसने जो खौफनाक पल वहां बिताए, जो दर्द झेला, उसे वह कभी भूल नहीं पाएगी।
मेंटल ट्रामा में है अंजली
पिता निर्मल की माने तो हर तरफ बम धमाके, गोलीबारी की आवाजें अंजली के कानों में अभी तक गूंज रही हैं। हर तरफ छाए मौत के मातम की तस्वीरें उसकी आंखों में जिंदा हैं। वह सही से सो नहीं पा रही है। बार-बार यही कह रही है कि बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स अभी वहां फंसे हैैं, उन्हें भी किसी तरह यहां वापस लाया जाए।
आईनेक्स्ट से बयां किया दर्द
दैनिक जागरण आईनेक्स्ट से बात करते हुए अंजली के पिता ने बताया कि उनकी बेटी यूक्रेन के विनित्सिया में पढ़ रही है। वह 26 फरवरी को यूक्रेन से निकली और मंगलवार को मुंबई पहुंची। यहां आकर उसने बताया कि छात्रों ने खुद बस अरेंज की और लंबा सफर तय कर रोमानिया बॉर्डर पहुंचे। माइनस टेंप्रेचर और स्नोफॉल के बीच खाली पेट वे इन हालत में रहे।
भगदड़ मची, मार भी खाई
अंजली ने अपने पिता को बताया कि बार्डर पर कई बार भगदड़ मची, जिसकी वजह से वहां मौजूद सैनिकों की मार भी खानी पड़ी। एक पल तो ऐसा लगा कि शायद सब खत्म हो गया है और अब वह वापस नहीं लौट पाएगी। हालांकि बाद में हिम्मत जुटाकर किसी तरह उसने बार्डर पार किया और रोमानिया एयरपोर्ट के बेसमेंट में शरण ली। यहां से मुंबई के लिए फ्लाइट मिली और वह मुंबई में रहने वाली अपनी बहन के घर सुरक्षित पहुंची। वह अभी चार-पांच दिन यहीं रहेंगी और इसके बाद लखनऊ आएगी।
नहीं भूल सकूंगी वह पल
यूक्रेन से दिल्ली पहुंची एलडीए कॉलोनी, कानपुर रोड लखनऊ निवासी तान्या बाजपेई भी खौफजदा है। उसकी आंखों में सुरक्षित देश लौटने की खुशी तो है लेकिन जिन हालातों का उसने सामना किया है, वह शायद ही उसे कभी भूल पाएगी।
भूखे पेट पहुंची रोमानिया बार्डर
दैनिक जागरण आईनेक्स्ट से बातचीत के दौरान तान्या ने बताया कि वह यूक्रेन के विनित्सिया में रहती है। युद्ध शुरू होने के बाद उसने कई बार बार्डर पर पहुंचने का प्रयास किया लेकिन सफलता नहीं मिली। बस तक की सुविधा नहीं थी, स्टूडेंट्स ने खुद ही बस अरेंज की। जो खाना पैक किया, उसके सहारे ही पूरा सफर तय कर किसी तरह रोमानिया बार्डर पहुंचे। यहां हर तरफ भगदड़ मची हुई थी।
गन की बट से ढकेला
तान्या ने बताया कि पूरा एक दिन उसे व अन्य स्टूडेंट्स को माइनस टेंप्रेचर में खड़े रहना पड़ा। बार्डर पर बार-बार धक्का मुक्की हो रही थी और सैनिक उनके साथ मारपीट कर रहे थे। कई बार तो उन्होंने हवा में फायरिंग की और ग्रेनेड फेंक कर डराने का भी प्रयास किया। बार बार उन्हें गन की बट से पीछे ढकेला गया। वॉशरूम तक यूज नहीं करने दिया गया।
दिल्ली आ गई हूं
तान्या ने बताया कि वह तो दिल्ली आ गई है लेकिन अभी चार से पांच हजार स्टूडेंट्स बार्डर पर फंसे हैैं। उनके पास खाने पीने की चीजों की किल्लत हैै। एटीएम बंद होने से पैसे भी नहीं निकल रहे हैं। उन्हें मदद की जरूरत है।

पांच स्टूडेंट्स सकुशल लौटे
मंगलवार शाम यूक्रेन से पांच स्टूडेंट्स लखनऊ एयरपोर्ट पहुंचे। इनमें से दो स्टूडेंट्स लखनऊ के, जबकि एक-एक कानपुर, गोंडा और शाहजहांपुर का स्टूडेंट है। जिला प्रशासन की ओर से अपर जिलाधिकारी, वित्त एवं राजस्व बिपिन कुमार मिश्रा ने एयरपोर्ट पर सभी स्टूडेंट्स का वेलकम किया। जिला प्रशासन की ओर से बच्चों को घर भेजने के लिए वाहनों का इंतजाम किया गया।
ये स्टूडेंट्स लौटे
1- विकास यादव, कानपुर
2- खान नदीम अख्तर, सर्वोदय नगर, लखनऊ
3- जैनुद्दीन अंसारी, गोंडा
4- जया, शाहजहांपुर
5- अकांक्षा चौरसिया, लखनऊ

जो बच्चे यूक्रेन से लौट रहे हैैं और राजधानी आ रहे हैैं, हम लगातार उनको फॉलो कर रहे हैैं। इसके लिए एडीएम एफआर को नोडल बनाया गया है।
अभिषेक प्रकाश, डीएम