23 लाख से अधिक वाहन आरटीओ में रजिस्टर्ड
22 लाख से अधिक वाहन डेली आते हैं रोड पर
19 लाख वाहनों के पास नहीं है पीयूसी सर्टिफिकेट
- जुर्माने का खौफ खत्म होते ही राजधानी में बढ़ने लगा प्रदूषण
- राजधानी की सड़कों पर 19 लाख से अधिक वाहन उगल रहे प्रदूषण
sanjeev.pandey@inext.co.in
LUCKNOW:
राजधानी की हवा को जहरीली करने में वाहनों का बड़ा योगदान है। इन वाहनों से निकलने वाली जहरीली हवा से लोगों का सांस लेना भी दुश्वार हो गया है। देश के टॉप प्रदूषित शहरों की लिस्ट में शामिल होने के बाद भी ऐसे वाहनों पर लगाम नहीं लग पा रही है। राजधानी में 23 लाख से अधिक वाहन है, लेकिन सिर्फ 5 लाख वाहनों के पास ही पाल्यूशन अंडर कंट्रोल (पीयूसी) सर्टिफिकेट है। परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार बीते सितंबर में मोटर कार संशोधित बिल लागू किया जाना था, तभी लोगों ने अपने वाहनों से निकलने वाले धुआं की जांच कराई थी। वहीं अब कोई भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है।
दस हजार था जुर्माना
विभागीय अधिकारियों के अनुसार सितंबर 2019 में मोटर कार संशोधित बिल लागू होना था। इस बिल में वाहन संबंधी नियम न मानने पर होने वाली जुर्माने की राशि बढ़ा दी गई थी। इसमें निर्धारित किया गया था कि जिन वाहन मालिकों के पास पीयूसी सर्टिफिकेट नहीं होगा, उन पर 10 हजार रुपए जुर्माना किय जाएगा। यह जुर्माना राशि देख राजधानी के प्रदूषण जांच केंद्रों पर लंबी लाइनें लगनी शुरू हो गई थीं। आलम यह था कि इन केंद्रों का लाइन में खड़े होने वालों के लिए टोकन बांटने पड़े थे। मौजूदा समय में राजधानी में तकरीबन 130 ऑनलाइन प्रदूषण जांच केंद्र मौजूद हैं।
नहीं कराते हैं प्रदूषण की जांच
वर्ष 2019 सितंबर में वाहनों के प्रदूषण की जांच करने वाले वाहनों की संख्या सवा दो लाख से अधिक पहुंच गई थी। लेकिन जब जुर्माना नहीं लागू हुआ तो लोगों ने पीयूसी सर्टिफिकेट लेना बंद कर दिया। अगले ही माह अक्टूबर में यह संख्या आधे से भी कम हो गई।
प्रदूषण की जांच के लिए अभियान जल्द शुरू होगा। जिन वाहनों के पास प्रदूषण जांच वाला सर्टिफिकेट नहीं होगा, उनका चालान किया जाएगा और जुर्माना वसूला जाएगा।
संजीव गुप्ता, एआरटीओ प्रवर्तन
आरटीओ ऑफिस लखनऊ
कितने बने सर्टिफिकेट
माह पीयूसी सर्टिफिकेट दिए गए जांच में फेल होने वाले वाहन
सितम्बर 2019 2,25,705 1569
अक्टूबर 2019 86,691 508
नवम्बर 2019 56 271 351
दिसम्बर 2019 39487 229
जनवरी 2020 45062 220
जब पड़ता है काम, तभी बनवाते सर्टिफिकेट
आरटीओ ऑफिस के अधिकारियों के अनुसार सिर्फ वे ही वाहनों के प्रदूषण की जांच कराते हैं जिन्हें आरटीओ ऑफिस में कोई काम होता है। वाहन बेचने के समय या फिर री रजिस्ट्रेशन के समय ही प्रदूषण प्रपत्र की मांग की जाती है।
इसे भी जानें
पिछले साल दिसम्बर में प्रदूषण लेवल 380 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पहुंच गया था। दिल्ली में यह लेवल 400 से ऊपर पहुंचने पर स्कूलों की छुट्टी कर दी गई थी।