- 352 किमी का सीवरेज सिस्टम

- 2011 में शुरू हुआ था काम

- 20 हजार लोग प्रभावित

- 215 करोड़ का प्राजेक्ट

- 145 करोड़ का हो चुका भुगतान

- तकरोही क्षेत्र में कंपनी की लापरवाही से 20 किमी। की सीवरलाइन फंसी

- बिना भौतिक निरीक्षण के कंपनी को किया 145 करोड़ का भुगतान

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LUCKNOW:नगर निगम और जल संस्थान के अधिकारियों की लापरवाही से जरहरा तकरोही क्षेत्र के लोगों को बारिश के दिनों में काफी नुकसान हो सकता है। यहीं नहीं यहां के हालातों को देखकर बरसात के दिनों में इसके डूबने का खतरा भी बना हुआ है। इसकी वजह क्षेत्र में 20 किमी। की अधूरी सीवरलाइन है। इसके बावजूद अफसरों ने कंपनी को 145 करोड़ का भुगतान कर दिया, जबकि कंपनी की लापरवाही से हजारों लोग प्रभावित हो रहे हैं। इतना ही नहीं चार साल बाद भी अफसरों ने कंपनी पर कोई कार्रवाई नहीं की।

सीवेज सिस्टम से डूबने के कगार पर क्षेत्र

जल निगम की लापरवाही से दो गांव जरहरा-तकरोही पर आफत आन पड़ी हैं। बरसात के दिनों में यहां के लोगों को गांव के डूबने का खतरा सताने लगता है क्योंकि क्षेत्र में अधूरा 20 किमी का सीवेज सिस्टम बिना उपयोग के ध्वस्त हो गया है, लेकिन जल निगम ने कार्यकारी कंपनी दुरहा कांस्ट्रक्शन क ार्पोरेशन लिमिटेड डीसीपीएल पर कोई कार्रवाई नहीं की। चार वर्ष बाद भी इलाका बदहाल है, पर अधिकारियों ने लोगों की सुविधा देने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं। सूत्रों की मानें तो कंपनी को जल निगम की ओर से किए गए कार्य का भुगतान (145 करोड़) भी कर दिया गया है। शेष पेमेंट के लिए कंपनी अधिकारियों से संपर्क कर रही हैं। हालांकि जलनिगम के अधिशाषी अभियंता डीएन यादव ने बताया कि क्षेत्र के एक व्यक्ति के कोर्ट में जाने से समस्या बढ़ गयी, अभी मामला विचाराधीन हैं जबकि अधिकारियों की सरपरस्ती में इतने बड़े स्तर पर लापरवाही होने के बाद भी कंपनी का पेमेंट रोकने की बजाए रिलीज कर दिया गया।

कंपनी को दिया 352 किमी का कार्य

शहर में कंपनी को जेएनएनयूआरएम के तहत डिस्ट्रिक्ट थर्ड पार्ट-2 में 352 किमी। का कार्य सौंपा गया था। इसकी शुरुआत कंपनी ने 2011 में की थी। कंपनी की ओर से कार्य के दौरान कई लापरवाही बरती गयीं और टाइम बाउंड के बाद इसे गंभीरता से नहीं लिया। साथ ही अधिकारियों के निर्देशों पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया। कंपनी ने पहले तीन वर्षो में कार्य पूरा करने का वादा किया, लेकिन समय बीतने के बाद काम को अधूरा छोड़ दिया।

भौतिक सर्वेक्षण के बिना हुआ भुगतान

नगर निगम ने कंपनी की ओर से भेजे गए बिलों का पेमेंट आनन-फानन में कर दिया। भुगतान करने से पहले अधिकारियों ने जरूरी जांच भी नहीं की। कंपनी के कार्यो का भौतिक सर्वे भी नहीं कराया गया। सूत्रों की मानें तो कंपनी को कई ऊंचे औदे पर बैठे अफसर का समर्थन हासिल था, जिसके चलते अफसरों ने ज्यादा क्वैरी नहीं की।

डिस्पोजल न होने से लोग प्रभावित

कंपनी की लापरवाही से जरहरा तकरोही के 20 हजार लोग प्रभावित हो रहे हैं। दोनों इलाके में अधिकतर निजी कालोनियां डेवलप हो गयी हैं, जिसके चलते लोगों की आबादी बढ़ गयी है, लेकिन क्षेत्र में सीवेज व्यवस्था ध्वस्त है जिसके चलते डिस्पोजल की समस्या बढ़ गयी है। नाली के पानी के साथ बरसात के पानी से लोगों का दहशत बढ़ जाती है।

कंपनी ने इस क्षेत्र के सीवरेज का कार्य कराया है। कई स्थलों पर कंपनी की लापरवाही सामने आई है, जिस पर कार्रवाई क रने के लिए लिखा गया है। जल्दी ही कंपनी के खिलाफ ठोस कदम उठाया जाएगा।

एसके गौतम, प्रोजेक्ट अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण ईकाई जल निगम