लखनऊ (ब्यूरो)। बदलती लाइफस्टाइल में हर कोई पर्फेक्ट दिखना चाहता है। खासतौर पर यंगस्टर्स अच्छा दिखने के लिए कई तरह की सर्जरी करवाते हैं। इस समय यंगस्टर्स में फैट ग्राफ्टिंग का चलन काफी तेजी से बढ़ा है। इस प्रोसेस में बॉडी में जहां अधिक फैट है, वहां से निकालकर उस जगह लगाते हैं जहां कम फैट होता है या उसकी जरूरत होती है। यह जानकारी शनिवार को इंडो-गल्फ क्रेनियोफेशियल वर्कशॉप के दौरान डॉ। अनिल कुमार मुरारका ने दी।

स्टे्रस से बच्चों के बाल हो रहे सफेद

डॉ। अनिल ने आगे बताया कि आजकल बच्चों में स्टे्रस और टेंशन इतना बढ़ गया है कि उनके बाल समय से पहले सफेद हो रहे हैं, जो चिंता का विषय है। वहीं, मार्केट में मौजूद हेयर इंप्रूवमेंट प्रोडक्ट को लेकर उन्होंने बताया कि एकबार जो चीज चली गई वो किसी दवा से नहीं आ सकती। ऐसे में बिना एक्सपर्ट की सलाह के कोई भी प्रोडक्ट नहीं यूज करना चाहिए, क्योंकि बाद में इसके साइफ इफेक्ट देखने को मिल सकते हैं। वहीं, अब सर्जन कम्प्यूटर बेस्ड टेक्नोलॉजी की मदद से काम कर रहे हैं। एक साफ्टवेयर आ गया है जिसमें सीटी स्कैन की डिटेल डालो और मशीन उसी अनुसार 3डी उपकरण बना देती है, जिससे इम्प्लांट करना बेहद आसान हो गया है।

डॉ। राजीव प्रेसिडेंट नॉमिनेट

इंडो-गल्फ क्रेनियोफेशियल द्वारा वर्कशॉप का आयोजन किया गया। जहां पहली बार एसोसिएशन के गठन की घोषणा की गई। जिसमें पीजीआई के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के हेड डॉ। राजीव अग्रवाल को इसका पहला प्रेसिडेंट नॉमिनेट किया गया। इस दौरान भारत समेत ओमान, बहरीन, सऊदी और कई गल्फ कंट्रीज के स्पेशलिस्ट मौजूद रहे। वर्कशॉप के दौरान ओमान से आये डॉ। तैमूर अल बुलुशी ने बताया कि सिर की हड्डी में चोट लगने पर टाइटेनियम की प्लेट और स्क्रू लगाये जाते हैं, लेकिन अब ऐसी प्लेट और स्क्रू आ गये हैं, जो करीब 1 साल के भीतर घुल जाते हैं। हालांकि, ये थोड़े महंगे होते हैं। वहीं, डॉ। राजीव ने बताया कि पीजीआई में घुलने वाले प्लेट और स्क्रू का इस्तेमाल हो रहा है। इसका खर्च करीब 1-2 लाख रुपए तक का आता है। हालांकि, यह ज्यादा दबाव वाली जगहों पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।