- जैमर पर करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद जेल में बंद अपराधी कर रहे मोबाइल फोन का इस्तेमाल

- एमएलसी दिनेश सिंह ने विधान परिषद में जेल से धमकी मिलने की शिकायत की

- 4-जी नंबरों पर बेअसर हैं जैमर, अपग्रेड करने में लगेगा वक्त

pankaj.awasthi@inext.co.in

LUCKNOW :

केस: क्

डेट: ख् मई ख्0क्7

मिर्जापुर डिस्ट्रिक्ट जेल में बंद शातिर अपराधी मुन्ना बजरंगी गैंग का शातिर शूटर रिंकू सिंह फोन पर अपने साथी अमन सिंह को फोन पर इलाहाबाद और सिंगरौली में दो लोगों की हत्या की सुपारी देता है। एसटीएफ को भनक लगती है और चार दिन की मशक्कत के बाद अमन सिंह को अरेस्ट कर लिया गया। गौरतलब है कि अमन सिंह धनबाद के चर्चित नीरज सिंह हत्या कांड में शामिल था।

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डेट: क्क् अप्रैल ख्0क्7

मुजफ्फरनगर में हुए सनसनीखेज विक्की त्यागी हत्याकांड मामले में वाराणसी जेल में बंद मुकीम काला गैंग का शातिर शूटर सागर मलिक के बारे में यूपी एसटीएफ को जानकारी मिली कि सागर जेल से परिजनों व गैंग मेंबर्स से मोबाइल फोन पर बात करता है। सागर मलिक की मां के मोबाइल फोन की सीडीआर में पता चला कि वाराणसी जेल में तैनात बंदीरक्षक शिव प्रकाश सोनकर उसे अपने फोन से बात कराता है। पड़ताल में पता चला इसके एवज में बंदीरक्षक शिव प्रकाश के मिर्जापुर स्थित बैंक अकाउंट में मुजफ्फरनगर से फ्0 हजार रुपये भी जमा किये गए। जिसके बाद एडीजी जेल ने बंदीरक्षक शिव प्रकाश को सस्पेंड कर दिया। उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उसे अरेस्ट कर लिया गया।

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डेट: क्भ् जनवरी ख्0क्7

इलाहाबाद स्थित नैनी जेल में बंद अपराधी ऊधम सिंह करनावल मेरठ में मार्बल व्यवसाई व एक प्रॉपर्टी डीलर को फोन कर क्0-क्0 लाख की फिरौती मांगता है। फिरौती न देने पर इन दोनों युवकों को ठिकाने लगाने के लिए फोन कर अपने शूटर को बुलाता है। शूटर प्रवीण कुमार पाल मेरठ से इलाहाबाद पहुंच जाता है, लेकिन वारदात को अंजाम देने से पहले एसटीएफ ने उसे दबोच लिया और ऊधम के मंसूबे पर पानी फेर दिया।

योगी सरकार के आने के बाद प्रदेश भर की जेलों में बंद शातिर अपराधियों व माफियाओं की जेल बदल दी गई। उम्मीद की जा रही थी कि इससे इन माफियाओं व अपराधियों का संपर्क बाहर की दुनिया से कट जाएगा। पर, ऐसा हो न सका। सोमवार को विधान परिषद में एमएलसी दिनेश सिंह ने यह कहकर सनसनी फैला दी कि उन्हें जेल से फोन पर धमकियां मिल रही हैं। डीजीपी सुलखान सिंह ने इस पर जांच कराने की बात कही है पर, सवाल उठता है कि करोड़ों रुपये खर्च कर जेलों में जैमर लगाने के बावजूद अपराधियों की करतूत किस तरह आसानी से सफल हो रही है।

ब् जी के सामने हैं बेकार

सरकार ने जो जैमर लगवाए वे फ् जी नेटवर्क तक को ही ब्लॉक करने में कारगर हैं। पर, अपराधियों ने इन जैमर से पार पाने के लिये इसकी काट ढूंढ ली। अपराधियों ने अपने गैंग मेंबर्स व परिजनों से बात करने के लिये ब् जी नेटवर्क वाले सिम और फोन का इस्तेमाल शुरू कर दिया। नतीजतन, सरकार द्वारा जैमर लगाकर अपराधियों का बाहरी दुनिया से संपर्क काटने की मंशा पर पानी फिर गया। अपराधियों की इस करतूत में जेल कर्मी खौफ या रुपयों के लालच में मदद करते हैं, जिसके चलते जेल के भीतर से उनकी हुकूमत अब भी जारी है। जेल प्रशासन इन जैमर्स को ब् जी टेक्नोलॉजी के लिये अपग्रेड की बात कर रहा है। पर, यह अपग्रेडेशन कब तक होगा इस बारे में कोई भी कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं है।

मैनेज होते हैं ठेके, मांगते हैं रंगदारी

चाहे वह बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी हों या उनके विरोधी बृजेश सिंह। मुन्ना बजरंगी हों या बबलू श्रीवास्तव, सलाखों के पीछे से इन माफियाओं की हुकूमत सरेआम चलती है। आलम यह है कि रेलवे या पीडब्लूडी के बड़े ठेके जेल के भीतर से ही मैनेज किये जाते हैं। साथ ही बड़े व्यापारियों से रंगदारी तक मांगी जाती है। मनमाफिक काम न होने पर जेल के ही भीतर से किसी को भी मौत के घाट उतारने का फरमान तक सुना दिया जाता है। यूपी एसटीएफ ने बीते दिनों ऐसी तमाम घटनाओं को होने से पहले ही अपराधियों को दबोच लिया पर, एसटीएफ की इस कार्रवाई ने यह जरूर साबित कर दिया कि अपराधी अब भी जेल के भीतर से अपनी हुकूमत को बेखौफ होकर चला रहे हैं।

'नेटवर्क' से पार पाना मुश्किल

किसी भी नंबर को लिसनिंग पर लेने के लिये प्रमुख सचिव गृह की परमीशन लेनी पड़ती है। कुछ महीनों पहले एसटीएफ को लखनऊ जेल में बंद बाहुबली मुख्तार अंसारी के मोबाइल फोन इस्तेमाल करने की जानकारी मिली। एसटीएफ ने प्रमुख सचिव से उस नंबर को लिसनिंग पर लेने की परमीशन मांगी। जब तक यह परमीशन एसटीएफ को मिली उससे पहले ही अंसारी को अपने नेटवर्क से इसकी भनक लग गई और वह नंबर स्विचऑफ हो गया। इन हालात में मोबाइल नेटवर्क के साथ ही पुलिस के लिये माफियाओं व अपराधियों के 'नेटवर्क' से पार पाना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है।