- एसजीपीजीआई के सीवीटीएस विभाग के डॉक्टर्स ने विकसित की तकनीक

LUCKNOW: संजय गांधी पीजीआई के प्रो। निर्मल गुप्ता व उनकी टीम ने मरीजों की आसान सर्जरी करने की दिशा में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। हार्ट से संबंधित सभी प्रकार की सर्जरी के लिए अब सीने की हड्डियों को नहीं काटना पड़ेगा। 8 इंच के चीरे की बजाए 2 इंच के छेद से ही हार्ट की जटिल सर्जरी हो सकेंगी। ये कमाल किया है पीजीआई के डॉक्टर्स ने, जिन्होंने हाल ही में इस नई तकनीक के जरिए नौ मरीजों की सर्जरी कर उन्हें नई जिंदगी दी।

काटनी पड़ती थी स्टर्नम

अभी तक हार्ट सर्जरी के लिए सीने पर बड़ा चीरा लगाना पड़ता है और स्टर्नम यानी सीने की सभी हड्डियों को बीच से काटकर अलग करना पड़ता है। उसके बाद ही डॉक्टर सर्जरी कर पाते हैं। सर्जरी के उपरांत तारों से इन हड्डियों को पुन: बांध दिया जाता है। सर्जरी की इस तकनीक को एंटीरियर मिनी थोरेक्टमी कहते हैं। इसमें खतरा भी अधिक होता है। ब्लीडिंग भी ज्यादा होती है और मरीज लगभग 6 हफ्ते बाद ही अपने रूटीन कार्य कर पाता है।

नई विधि से सर्जरी से खतरा कम

प्रो। निर्माण गुप्ता ने बताया कि सर्जरी की जटिलता कम करने के लिए सीना खोलने की बजाए दाहिने हाथ के नीचे दो इंच का कट लगाने का निर्णय लिया। इस रास्ते से हार्ट तक पहुंच कर सर्जरी की गई। उन्होंने बताया कि विश्व में अब तक कुछ एक्सप‌र्ट्स ने ही इस रास्ते से एक दो समस्याओं की सर्जरी की हैं। लेकिन एसजीपीजीआई में डबल वाल्व रिप्लेसमेंट, एओर्टा रिप्लेसमेंट, एओर्टा एनुलिज्म को छोटा करना, एरिद्मिया की सर्जरी, फेफड़े से खून लाने वाले चैंबर के बड़ा होने पर छोटा करना (लेफ्ट एट्रियल रिडक्शन) सहित अन्य समस्याओं की सर्जरी भी इसी प्रकार से की है। पिछले कुछ हफ्तों में एसजीपीजीआई में ऐसे 9 मरीजों की सर्जरी कर बीमारी से निजात दिलाई गई।

बहुत कठिन है सर्जरी

प्रो। निर्मल गुप्ता के अनुसार मरीज के लिए यह नई तकनीक फायदे मंद है लेकिन डॉक्टर के लिए बहुत मुश्किल ऑपरेशन है। पहले की सर्जरी में जहां 2 से 3 घंटे का समय लगता है अब नई तकनीक में चार घंटे का समय लगता है। यह सर्जरी बहुत चैलेंजिंग है। जिसके लिए वे अपनी टीम के डॉक्टर्स को भी ट्रेंड कर रहे हैं। सर्जरी की इस नई विधि को राइट इंफ्रा ऑक्जिलरी वर्टिकल थोरेक्टमी कहते हैं।

दो हफ्ते में मरीज काम पर

प्रो। गुप्ता ने बताया कि सर्जरी की इस नई विधि में मरीज को बहुत फायदा है। पहले जहां मरीज लगभग 10 दिन में अस्पताल से छुट्टी पाता था तो अब उसे 5 दिनों में ही छुट्टी मिल जाती है। मरीज अब दो हफ्ते में ही अपने काम पर वापस जा सकता है लेकिन पहले मरीज को 6 हफ्ते तक ठीक होने का इंतजार करना पड़ता था। यह विधि पहले की अपेक्षा सस्ती भी है। मरीज जल्दी घर जा सकता है जिससे अस्पताल के चार्जेज और स्टील वायर का भी खर्च बच जाता है।

महिलाओं को मिलेगा लाभ

प्रो। निर्मल गुप्ता ने बताया कि नई विधि से सर्जरी से सबसे अधिक फायदा महिलाओं व अनमैरिड लड़कियों को होगा। उनके सीने में बड़े चीरे का निशान नहीं होगा। हालांकि लड़कियों के भविष्य को लेकर पहले भी वह ब्रेस्ट के नीचे चीरा लगाकर सर्जरी करते थे। लेकिन बाद में देखा कि लड़कियों के ब्रेस्ट की ग्रोथ नॉर्मल नहीं है। जिसके कारण इस नई सर्जरी का सहारा लेना पड़ा। जिससे ब्रेस्ट की ग्रोथ पर कोई असर नहीं पड़ेगा और चीरे का निशान भी नहीं रहेगा।

इस टीम ने किया ऑपरेशन

ऑपरेशन में प्रो। निर्मल गुप्ता के अलावा डॉ। वरूणा वर्मा, डॉ। संजय धीरज, डॉ। सिद्धार्थ रुद्रप्पा, डॉ। अमित रस्तोगी, डॉ। वर्तिका सचान, शामिल रहे।

बनेगा देश का अग्रणी सेंटर

डॉ। निर्मल गुप्ता ने बताया कि ऐसी सर्जरी अभी व‌र्ल्ड में कहीं नहीं होती। लेकिन इसके फायदे देखते हुए वह और उनकी टीम 70 परसेंट से ज्यादा सर्जरी इसी विधि से करेंगे और एसजीपीजीआई को देश ही नहीं विश्व का अग्रणी सेंटर बनाएंगे।